मानसिक स्वास्थ्य के प्रमुख सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
मानसिक स्वास्थ्य के प्रमुख सिद्धान्त (Various Principles of Mental Health)
मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के प्रमुख सिद्धान्त निम्न हैं-
- व्यक्ति की मूल प्रवृत्तियों संवेगों एवं जन्मजात शक्तियों पर नियंत्रण एवं योग्यता प्रदान करना ।
- व्यक्ति को सामाजिक बनाना, उसे सामाजिक नियमों रीति-रिवाजों और आदर्शों से परिचित कराना।
- मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा करना एवं मानसिक रोगों की रोकथाम करना।
- मानसिक रोगों का उपचार करना एवं स्वस्थ पारिवारिक वातावरण उत्पन्न करना।
- परिवार, पड़ोस एवं विद्यालय में स्वस्थ्य समायोजन उपलब्ध कराना। मानसिक स्वास्थ्य के सिद्धान्तों में अन्य निम्न बातें उल्लेखनीय हैं-
(1) स्वस्थ पारिवारिक जीवन- मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान स्वस्थ परिवारिक वातावरण उत्पन्न करता है क्योंकि जब मानव का जीवन सन्तुलित होता है तो उसका पारिवारिक वातावरण स्वमेव सुखी और शान्तिदायक होता है। परिवार के सदस्यों में पारस्परिक प्रेम और सद्भावनापूर्ण व्यवहार में हर तरह के सुखों का संचार होता है।
(2) सन्तुलित व्यक्तित्व- मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान हमारे व्यक्तित्व के विभिन्न पक्षों शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगों को सन्तुलित रूप से विकसित होने का अवसर प्रदान से करता है। वह हमें मानसिक संघर्ष की चक्की में पिसने और भावना ग्रन्थियों की जड़ता से मुक्त रखता है।
(3) सुसमायोजित जीवन- जब हमें सन्तुलित जीवन व्यतीत करने के अवसर उपलब्ध होते हैं तो हम स्वयं सुसमायोजित और सुखी जीवन बिताने का अवसर प्राप्त करते हैं।
(4) शिशुओं का उचित पालन- पोषण-मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के द्वारा माता पिता और परिवार के सदस्य यह भलीभाँति समझ सकते हैं कि किस तरह से शिशुओं का सुचारू रूप से पालन-पोषण किया जाय।
(5) शैक्षिक प्रगति- मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के द्वारा इस प्रकार के नियम प्राप्त होते हैं जिनसे बालकों का स्वस्थ संवेगात्मक विकास हो सकता है। वे मानसिक संघर्ष और भावन ग्रन्थियों से मुक्त रह सकते हैं और परिवार, पड़ोस एवं विद्यालय से स्वस्थ समायोजन स्थापि कर सकते हैं। इस स्थिति में बालकों की शैक्षिक प्रगति उचित प्रकार से होती है।
(6) स्वस्थ सामाजिक वातावरण- समाज व्यक्तियों का समूह होता है, अतः जब व्यक्ति सुसमायोजित होंगे तो स्वस्थ समाज का निर्माण स्वमेव हो जायेगा। देश में होने वाले प्रत्येक प्रकार के सामाजिक संघर्ष मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के प्रचार से समाप्त हो जायेंगे।
(7) उपचारात्मक महत्त्व- मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान केवल स्वस्थ रहने और समायोजित जीवन बिताने के लिए नियम ही निर्धारित नहीं करता बल्कि मानसिक रोग एवं व्यवहार सम्बन्धी दोषों के उपचार में भी सहायक होता है। इसके द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त मानसिक चिकित्सा में प्रयुक्त किए जाते हैं।
(8) व्यावसायिक महत्त्व- व्यावसायिक जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए भी व्यक्ति का सन्तुलित एवं समायोजित जीवन अत्यन्त आवश्यक है। इस दृष्टि से व्यावसायिक सफलता के लिये भी मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का ज्ञान आवश्यक है।
(9) राष्ट्रीय एकता- आधुनिक युग में विभिन्न विघटनकारी तत्त्वों के फलस्वरूप राष्ट्रीय एकता छिन्न-भिन्न हो रही है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों का विचार है कि इन विघटनकारी तत्त्वों के विनाश हेतु यह आवश्यक है कि देश के लोगों में भावात्मक एकता हो। इस दिशा में मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान वरदान सिद्ध हो सकता है।
(10) अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति- आधुनिक युग में हम अन्तर्राष्ट्रीय तनाव की स्थिति में जी रहे हैं। वास्तव में अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति तभी स्थापित हो सकती है जबकि समस्त राष्ट्रों के कर्णधार नेता, विचारक और नागरिक सन्तुलित एवं सुसमायोजित व्यक्तित्व वाले हों। इस क्षेत्र में भी मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान अपना महत्त्वपूर्ण सहयोग प्रदान कर सकता है।
इस प्रकार मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान व्यक्ति को समायोजित जीवन व्यतीत करने के हेतु अवसर प्रदान कर सकता है।
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