राष्ट्रीय ज्ञान आयोग क्या है ? इसके गठन, उद्देश्य एवं कार्य प्रणाली का वर्णन कीजिए।
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राष्ट्रीय ज्ञान आयोग (National Knowledge Commission)
भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय ज्ञान आयोग (NKC) की स्थापना 13 जून, 2005 को जारी किये सरकारी घोषणा के माध्यम से प्रधानमंत्री के उच्चस्तरीय सलाहकार निकाय (High Level Advisory Body) के रूप में की गई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ० मनमोहन सिंह ने इस आयोग की कल्पना करते हुए कहा था कि अब समय आ गया है कि संस्थान निर्माण का दूसरा दौर प्रारम्भ किया जाये एवं शिक्षा, अनुसंधान व क्षमता निर्माण के क्षेत्रों में उत्कृष्टता अर्जित की जाये। योजना आयोग को राष्ट्रीय ज्ञान आयोग की नोडल संस्था (Nodal Agency) बनाया गया है जो नियोजन व बजट के साथ-साथ संसद सम्बन्धी प्रतिक्रियाओं के निष्पादन सम्बन्धी कार्य को भी देखता है।
इस आयोग को विचार-विमर्श हेतु, दिये गये विषय निम्न प्रकार थे-
(1) इक्कीसवीं शताब्दी की ज्ञान चुनौतियों का सामना करने के लिए शैक्षिक प्रणाली में उत्कृष्टता (Excellance) का निर्माण करना एवं ज्ञान के क्षेत्रों में भारत के प्रतिस्पर्धात्मक लाभ (Competitive Advantages) को बढ़ाना।
(2) विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी प्रयोगशालाओं (Science and Technological Laboratories) में ज्ञान के सृजन को बढ़ावा देना।
(3) बौद्धिक सम्पदा अधिकारों (Intellectual Property Rights) के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं के प्रबन्ध में सुधार लाना।
(4) कृषि (Agriculture) तथा उद्योग (Industry) में ज्ञान प्रयोगों (Knowledge Applications) को बढ़ावा देना।
(5) नागरिकों के लिए एक प्रभावी (Effective), पारदर्शी (Transparent) तथा जवाबदेह (Accountable) संवाप्रदाता बनाने के लिए सरकार की ज्ञान क्षमताओं के प्रयोग को बढ़ावा देना एवं सार्वजनिक लाभ को अधिकतम करने के उद्देश्य से ज्ञान के व्यापक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना।
राष्ट्रीय ज्ञान आयोग का गठन (Composition of the NKC)
राष्ट्रीय ज्ञान आयोग (NKC) को 2 अक्टूबर, 2005 से 2 अक्टूबर, 2008 तक की तीन वर्ष की निर्धारित समय अवधि प्रदान की गई है।
इस प्रकार से राष्ट्रीय ज्ञान आयोग में एक अध्यक्ष तथा छह सदस्य हैं। ये सभी अंशकालिक रूप में आयोग के सदस्यों के रूप में अपने कार्य को निष्पादित करते हैं एवं इसके लिए किसी प्रकार का वेतन (Remuneration) आदि नहीं लेते हैं। ज्ञान आयोग के सदस्यों की सहायता के लिए अधिशासी निदेशक की अध्यक्षता में तकनीकी सहायता कर्मीगण कार्य करते हैं। इसके साथ-साथ राष्ट्रीय ज्ञान आयोग को अपने विभिन्न कार्यों के सम्यक् निष्पादन में विशेषज्ञों की सहायता लेने की स्वतन्त्रता है। वर्तमान में डॉ. अशोक कोलस्कर, श्री एस. रेगुनाथन, सुश्री कल्पना दासगुप्ता तथा सुश्री रजिया सुल्तान इस्माइल इस आयोग के परामर्शक (Advisors) के रूप में कार्यरत हैं।
राष्ट्रीय ज्ञान आयोग का उद्देश्य व प्रणाली (Aims and Method of National Knowledge Commission)
राष्ट्रीय ज्ञान आयोग (NKC) का लक्ष्य ज्ञान आधारित जीवन्त समाज (Vibrant Knowledge based Society) के विकास को प्रोत्साहित करना है। इसके लिए निःसन्देह ज्ञान की बर्तमान प्रणालियों में आमूलचूल परिवर्तन लाने होंगे वहीं साथ-साथ नवीन ज्ञान के सृजन की सम्भावनाओं को भी तलाशना होगा। इन उद्देश्यों की प्राप्ति में समाज के सभी वर्गों की बढ़ती हुई सक्रिय भागेदारी तथा ज्ञान तक अधिक समरूप पहुँच अत्यधिक महत्त्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है। इस निमित्त की पूर्ति के लिए राष्ट्रीय ज्ञान आयोग-
(i) शैक्षिक प्रणाली को सुदृढ़ करने, स्वदेशी अनुसंधान व नवाचार को बढ़ाने, स्वास्थ्य, कृषि व उपयोग जैसे क्षेत्रों में ज्ञान प्रयोग को सुविधाजनक बनाने,
(ii) अधिकारिता को बढ़ाने तथा परस्पर सम्पर्क को सुधारने के लिए सूचना व सम्प्रेषण तकनीकों का उपयोग करने, तथा
(iii) वैश्विक परिदृश्य में ज्ञान प्रणालियों के बीच आदान-प्रदान तथा अन्तर्क्रिया के लिए प्रणाली तैयार करने के लिए उपयुक्त संस्थागत ढाँचा विकसित करना चाहता है। इस हेतु राष्ट्रीय ज्ञान आयोग के द्वारा अपनाई जा रही कार्यप्रविधि को निम्नवत् ढंग से लिखा जा सकता है-
(i) प्रमुख चिह्नित क्षेत्रों की पहचान करना।
(ii) विविध हितधारकों की पहचान करना तथा क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों को समझना।
(iii) कार्यदलों का गठन तथा कार्यशालाओं/संगोष्ठियों का आयोजन करना तथा सम्बन्धित विशेषज्ञों तथा हितधारकों के साथ औपचारिक व अनौपचारिक परामर्श करना।
(iv) प्रशासनिक मन्त्रालयों तथा योजना आयोग के साथ परामर्श करना।
(v) अध्यक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री को पत्र के रूप में भेजी जानी वाली संस्तुतियों को अन्तिम रूप देने के लिए आयोग में चर्चा करना।
(vi) प्रधानमंत्री को भेजे जाने वाले पत्र जिनमें संस्तुतियों, प्रारम्भिक उपाय तथा वित्तीय निहितार्थ आदि सम्मिलित हैं, को तैयार करना।
(vii) राज्य सरकारों; नागरिक समाज तथा अन्य हितधारकों के बीच संस्तुतियों का व्यापक प्रसार करना। इसमें एन.के. सी. वेबसाइट का उपयोग करना भी सम्मिलित है।
(viii) प्रधानमंत्री कार्यालय के तत्त्वावधान में संस्तुतियों का कार्यान्वयन प्रारम्भ करना।
(ix) हितधारकों से प्राप्त प्रस्तावों के कार्यान्वयन से प्राप्त प्रतिपुष्टि के आधार पर समन्वय करना तथा अनुवर्ती कार्यवाही करना ।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि राष्ट्रीय ज्ञान आयोग की संस्तुतियाँ जनमत की यथासम्भव अधिकाधिक व्यापक श्रृंखला का प्रतिनिधित्व करती हैं, आयोग अनेकानेक व विभेदीकृत हितधारकों से सतत् परामर्श करता रहता है। इसके लिए आयोग ने अनेक कार्यदलों तथा समितियों का गठन किया है, अनेक कार्यशालाएँ व संगोष्ठियाँ आयोजित की हैं तथा अनेक सर्वेक्षण कराये हैं। अधिक समय तक व अधिक उच्चस्तर की विशेषज्ञ सहभागिता वाले क्षेत्रों में कार्य करने के लिए कार्यदल बनाये गये हैं। कार्यशालाओं व संगोष्ठियों के द्वारा प्रबुद्ध वर्ग व जनसाधारण का मस्तिष्क उद्वेलित करके व्यापक विचारविमर्श को बढ़ावा दिया जाता है।
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