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शैक्षिक पर्यवेक्षण का अर्थ एंव परिभाषाएँ | Meaning and Definitions of Educational Supervision in Hindi

शैक्षिक पर्यवेक्षण का अर्थ एंव परिभाषाएँ | Meaning and Definitions of Educational Supervision in Hindi
शैक्षिक पर्यवेक्षण का अर्थ एंव परिभाषाएँ | Meaning and Definitions of Educational Supervision in Hindi

शैक्षिक पर्यवेक्षण का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसकी कुछ परिभाषाएँ दीजिए। 

पर्यवेक्षण का अर्थ (Meaning of Supervision)

‘पर्यवेक्षण’ शब्द अंग्रेजी भाषा के Supervision शब्द का पर्याय है। अंग्रेजी भाषा का यह शब्द भी Super + Vision दो शब्दों के मेल से बना है। ‘Super’ का अर्थ ‘असाधारण’, ‘अलौकिक’ या ‘दिव्य’ होता है। इसी प्रकार ‘Vision’ का अर्थ है ‘दृष्टि’, ऐसी दृष्टि जो दिव्य अर्थात् अत्यन्त सूक्ष्म हो, यह पर्यवेक्षण के अन्तर्गत आती है। पर्यवेक्षक’ को कुछ विद्वान ‘परिवीक्षण’ भी कहते हैं। इन शब्दों का अर्थ ‘चारों ओर देखना’ है। वस्तुतः जहाँ पर्यवेक्षण होता है, वहाँ पर्यवेक्षकों को अपनी दृष्टि तीव्र एवं सारगर्भित रखनी पड़ती है। किसी संस्था की चहुंमुखी दिशाओं का ध्यानपूर्वक अवलोकन करना तथा उन्नति के लिए सुझाव देना पर्यवेक्षण ही कहा जाता है।

शैक्षिक पर्यवेक्षण का अर्थ (Meaning of Educational Supervision)

ऐसा पर्यवेक्षण जो शिक्षा के क्षेत्र में किया जाता है, शैक्षिक पर्यवेक्षण कहलाता है। शिक्षा प्रक्रिया में शिक्षक, छात्र, प्राचार्य एवं अन्य कर्मचारी सम्मिलित होते हैं। शिक्षण संस्थाओं में जो कुछ भी किया जाता है, उसका प्रथम तथा अन्तिम उद्देश्य छात्रों के व्यवहार में वांछित परिवर्तन करना ही समझा जाता है। “शिक्षकों की उत्तम विधि, प्रधानाचार्य का निरीक्षण, पुस्तकालय तथा प्रयोगशाला की सुविधा, क्रीड़ा क्षेत्र की सुव्यवस्था” आदि सभी कार्यों का उद्देश्य शिक्षण संस्था में पढ़ने वाले छात्रों की सर्वांगीण प्रगति में सहायता करना होता है। शिक्षण संस्था के सम्पूर्ण कार्यभार का उत्तरदायित्व अनेक व्यक्तियों के कन्धों पर होता है। वैयक्तिक विभिन्नता के आधार पर कुछ व्यक्ति कुशाम होते हैं, कुछ आलसी होते हैं, जिन्हें निरन्तर जगाने की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त शिक्षा क्षेत्र में नित्यप्रति नवीन उपागमों का स्वागत किया जाता है। पुराने एवं अनुभवी शिक्षकों को भी नवीन जानकारी देनी होती है। इस नवीन जानकारी तथा शिक्षण प्रक्रिया में सहायक सामग्री के सम्बन्ध में सुझाव देने का प्रमुख उत्तरदायित्व संस्था के प्रधानाचार्य का होता है। प्रधानाचार्य के अतिरिक्त अनुभवी एवं वरिष्ठ अध्यापकों को भी नवनियुक्त अध्यापकों का मार्गदर्शन करना पड़ता है। शिक्षाधिकारियों को भी अपने है क्षेत्र में शिक्षा स्तर को ऊँचा करने के लिए कठिन प्रयास करना पड़ता है। प्रधानाचार्य, वरिष्ठ अध्यापक एवं शिक्षाधिकारी जब अपने उपयोगी सुझावों द्वारा ‘शिक्षण सामग्री, शिक्षण विधि, मूल्यांकन आदि का स्तर उन्नत करने के लिए कार्य करते हैं तब वे पर्यवेक्षक की भूमिका का ही निर्वाह करते हैं।

उपर्युक्त शब्दों का सार भी यही है कि पर्यवेक्षण का शिक्षकों, सीखने की परिस्थितियों एवं छात्रों की बहुमुखी उन्नति से गहरा सम्बन्ध होता है। छात्र अध्ययन की क्रिया में किस प्रकार प्रगतिशील हों, पाठ्येत्तर क्रियाओं में वे किस प्रकार अग्रणी बनें, शिक्षक नवीनतम शिक्षण सामग्री का कक्षा भवनों में किस प्रकार प्रयोग करें, संस्था की उन्नति हेतु मानवीय एवं भौतिक साधनों को किस प्रकार जुटाया जाए, आदि अनेक लाभकारी कार्यों की पर्यवेक्षण के अन्तर्गत योजना बनाई जाती है तथा उनकी सफलता-असफलता का मूल्यांकन किया जाता है। सारांश में कहा जा सकता है कि, “शैक्षिक पर्यवेक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है, जो शिक्षकों के व्यावसायिक विकास में, शिक्षण संस्था की उत्तरोत्तर उन्नति में एवं छात्रों की सर्वांगीण उन्नति में पूर्ण रूप में सहायक होती है।”

शैक्षिक पर्यवेक्षण की परिभाषाएँ (Definitions of Educational Supervision)

शैक्षिक पर्यवेक्षण के अर्थ को स्पष्ट करने में सहायक कतिपय परिभाषाओं का निम्नलिखित पंक्तियों में उल्लेख किया जा रहा है-

1. वार, बर्टन तथा बुकनर ( A. S. Bar, WH. Burton & L. J. Bruckner) – “पर्यवेक्षण एक कुशल तकनीकी सेवा है, जो उन अवस्थाओं का अध्ययन करने तथा उनमें उन्नति करने से सम्बन्धित होती है, जो सीखने तथा छात्र विकास के चारों ओर व्याप्त होती है। “

2. एच० आर० डगलस (H. R. Douglass & Others)- “पर्यवेक्षण शिक्षकों को व्यक्तिगत तथा सामूहिक रूप में उत्साहित करने, समायोजित करने तथा निर्देशित करने की ऐसी प्रक्रिया है, जो उनके निरन्तर विकास तथा शिक्षण सामग्री को प्रभावशाली ढंग में प्रस्तुत करने में सहायक है तथा जिसके कारण शिक्षक, अपने छात्रों को समाज के कार्यों में बुद्धिमानीपूर्वक भाग लेने के लिए उत्साहित तथा दिशा प्रदान करने में अधिकाधिक सहायक बनते हैं।”

3. फ्रैंड सी० अय्यर (Fred C. Ayer)- “पर्यवेक्षण समस्त शैक्षिक प्रयासों में सर्वश्रेष्ठ तथा गत्यात्मक है। यह अत्यन्त श्रेष्ठ इसीलिए है, क्योंकि यह सर्वाधिक सृजनात्मक है।”

4. माध्यमिक शिक्षा आयोग (Secondary Education Commission Report 1953)- “हमारी दृष्टि में निरीक्षक की वास्तविक भूमिका (जिसे हम शैक्षिक परामर्शदाता कहना अधिक उपयुक्त समझते हैं) प्रत्येक विद्यालय की समस्याओं का अध्ययन करना है तथा इसके समस्त कार्यों के विषय में विस्तृत दृष्टिकोण अपनाना है। इसके अतिरिक्त शिक्षकों की सहायता भी इस प्रकार करना है, जिससे वे परामर्शदाता के परामर्श तथा संस्तुतियों को मान सकें।”

5. विल्स किम्बाल (Wiles Kimball) – “पर्यवेक्षण उत्तम अधिगम तथा शिक्षण की अवस्था को विकसित करने में सहायक प्रक्रिया है।

6. एडम्स तथा डिम्की (Adams & Dimkey)- “पर्यवेक्षण शिक्षण की उन्नति के लिए एक सुनियोजित कार्यक्रम है।”

7. चेस्टर टी० मैकनवें (Chester T. Mc. Nervey)- “पर्यवेक्षण शिक्षण प्रक्रिया का आलोचनात्मक मूल्यांकन करने तथा निर्देशन देने की एक विधि है। पर्यवेक्षण का अन्तिम उद्देश्य छात्रों को उत्तम शिक्षण सेवा द्वारा सभी स्तरों पर योग्य बनाना होना चाहिए।”

8. ग्लेन जी० आई० तथा नेटजर (Gleng G. Eye and A. L. Netzer) – “पर्यवेक्षण, विद्यालय प्रशासन का वह रूप है, जिसका सम्बन्ध मुख्य रूप से शैक्षिक सेवा की आशाजनक तथा उपयुक्त उपलब्धियों से होता है। “

शैक्षिक पर्यवेक्षण की उपर्युक्त सभी परिभाषाओं में शिक्षण प्रक्रिया में सुधार, शिक्षकों की शक्ति को विकसित करना, में छात्रों की योग्यता में वृद्धि करना, पाठ्यक्रम में सुधार करना सीखने की दशाओं का मूल्यांकन करना आदि बातों का समावेश किया गया है। वास्तव में, शैक्षिक पर्यवेक्षण शिक्षा के स्तर को ऊँचा करने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन समझा जाता उत्तम शैक्षिक पर्यवेक्षण वही है, जो शिक्षकों, छात्रों एवं विद्यालय की समस्त परिस्थितियों को उन्नत करता है। शैक्षिक पर्यवेक्षण को वर्तमान युग में एक प्राविधिक सेवा (Technical Service) के रूप में समझा जाता है।

शैक्षिक पर्यवेक्षण की समस्त विशेषताओं पर ध्यान रखते हुए सारांश में शैक्षिक पर्यवेक्षण की परिभाषा इस प्रकार की जा सकती है-

“शैक्षिक पर्यवेक्षण ऐसी विशिष्ट सेवा है, जो शिक्षकों को कार्यक्षमता तथा व्यावसायिक नेतृत्व प्रदान करती है। पाठ्यक्रम में सुधार करके शिक्षण स्तर को ऊँचा बनाती है तथा छात्रों को समाज में उपयुक्त आचरण करने का प्रशिक्षण देती है।”

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Anjali Yadav

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