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शैक्षिक पर्यवेक्षण के उद्देश्य तथा लक्ष्य | Objectives and goals of educational supervision in Hindi

शैक्षिक पर्यवेक्षण के उद्देश्य तथा लक्ष्य | Objectives and goals of educational supervision in Hindi
शैक्षिक पर्यवेक्षण के उद्देश्य तथा लक्ष्य | Objectives and goals of educational supervision in Hindi

शैक्षिक पर्यवेक्षण के उद्देश्यों तथा लक्ष्यों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।

शैक्षिक पर्यवेक्षण में उद्देश्यों का महत्व

शैक्षिक पर्यवेक्षण, वस्तुतः शिक्षा की प्रक्रिया में सहायता करते हैं। शिक्षा स्वयं उद्देश्यपूर्ण क्रिया है, क्योंकि शिक्षा के उद्देश्य ही राष्ट्र को ठीक दिशा प्रदान करते हैं। शिक्षा की उद्देश्यपूर्णता के लिए कहा गया है— “शिक्षा एक उद्देश्यपूर्ण तथा नैतिक क्रिया है, अतएव यह सोचना ही व्यर्थ है कि वह उद्देश्यरहित हो सकती है।” “शैक्षिक पर्यवेक्षण’ शिक्षक, छात्र पाठ्यक्रम, विद्यालय तथा शिक्षण विधि आदि की दशाओं में सुधार करता है, उत्तम शिक्षा प्रदान करने के महत्वपूर्ण कार्य में शैक्षिक पर्यवेक्षण की मुख्य भूमिका होती है। इस कार्य को पूरा करने के लिए ‘शैक्षिक पर्यवेक्षण’ को अपने उद्देश्य निश्चित करने पड़ते हैं। शैक्षिक पर्यवेक्षण के निर्धारित उद्देश्य, शिक्षण संस्थाओं, शिक्षक दशाओं एवं शिक्षण विधियों को प्रभावकारी बनाते हैं। शिक्षण व्यवसाय को उत्तम बनाने में भी शैक्षिक पर्यवेक्षण के अनेक सुझाव उपयोगी होते हैं। इन सभी कार्यों के कार्यान्वयन में शैक्षिक पर्यवेक्षण के उद्देश्यों का बड़ा महत्व होता है।’

शैक्षिक पर्यवेक्षण के उद्देश्य (Aims of Educational Supervision)

शिक्षा में केवल परिमाणात्मक (quantitative) सुधार ही नहीं, अपितु गुणात्मक (qualitative) सुधार की आवश्यकता है। शिक्षा के प्रत्येक क्षेत्र में गुणात्मकता लाने के लिए शैक्षिक पर्यवेक्षण के उद्देश्य सहायक होते हैं। शैक्षिक पर्यवेक्षण के उद्देश्यों के सम्बन्ध में अनेक विचारकों ने अपने मत प्रकट किए हैं। इन सभी उद्देश्यों का स्पष्टीकरण निम्न प्रकार किया जा सकता है-

‘हैराल्ड स्पीयर्स’ के अनुसार शैक्षिक पर्यवेक्षण के उद्देश्य-

  1. शिक्षकों, पर्यवेक्षकों तथा प्रशासकों के सेवाकालीन प्रशिक्षण का प्रबन्ध करना
  2. शैक्षिक समस्याओं में अध्यापकों की सहायता करना ।
  3. शैक्षिक प्रयासों में सन्तुलन रखने में सहायता करना

‘हरमैन’ के अनुसार पर्यवेक्षण के उद्देश्य-

  1. सामुदायिक शैक्षिक सेवा का विकास करना।
  2. विद्यालय के कार्यों के उचित मूल्यांकन हेतु वैज्ञानिक प्रवृत्ति का विकास करना।
  3. सेवाकालीन प्रशिक्षण का प्रबन्ध करना
  4. विद्यालयों के कार्यक्रमों में शैक्षिक सुधार करना।

क्रो तथा क्रो (Crow & Crow) के अनुसार शैक्षिक पर्यवेक्षण के उद्देश्य-

  1. पाठ्यक्रम का निरीक्षण करना।
  2. शैक्षिक उद्देश्यों पर प्रकाश डालना।
  3. बालकों की क्षमता का मापन करना ।
  4. शिक्षण विधियों का निरीक्षण करना तथा उनमें सुधार करना।
  5. पर्यवेक्षण का आलोचनात्मक अध्ययन करना।
  6. सहायक सामग्रियों को बतलाना और उन्हें प्राप्त करना।
  7. रचनात्मक प्रवृत्तियों का विकास करना।
  8. बालकों को अध्ययन एवं कार्य की ओर बढ़ाना।
  9. शैक्षिक परिणामों का मूल्यांकन करना।

शैक्षिक पर्यवेक्षण के उद्देश्यों पर व्यापक दृष्टि (Broader view on the aims of Educational Supervision) – शैक्षिक पर्यवेक्षण के उद्देश्यों को एक निश्चित संख्या में नहीं बाँधा जा सकता। फिर भी इन उद्देश्यों की व्यापक रूप में इस प्रकार गणना की जा सकती है-

  1. शैक्षिक कार्यक्रमों का मूल्यांकन करना तथा विकास हेतु प्रेरणा प्रदान करना।
  2. प्रभावशाली शिक्षकों को प्रेरित करना ।
  3. अध्यापन क्रिया के विविध क्षेत्रों में शिक्षकों को तकनीकी सहायता प्रदान करना।
  4. समय तथा आवश्यकताओं के अनुरूप शैक्षिक पर्यवेक्षण की भूमिका का निर्धारण करना।
  5. शैक्षिक क्षेत्र में कुशल नियन्त्रक नीति नियामक तथा आदर्श विचारक के रूप में कार्य करना।
  6. शैक्षिक क्षेत्र में शिक्षकों की नियुक्ति, शिक्षण के प्रति अभिरुचि तथा समायोजित करने आदि क्रियाओं में सुधार करना
  7. शिक्षण प्रक्रिया का समुचित विकास करने हेतु शैक्षिक नेतृत्व प्रदान करना।
  8. शिक्षण तथा अधिगम सम्बन्धी नवीन अनुसन्धानों तथा उपागमों से शिक्षकों को परिचित कराना।
  9. शिक्षण प्रक्रिया को अधिकाधिक सक्षम बनाने के लिए शिक्षण सामग्री को उन्नत बनाना।
  10. शिक्षण प्रक्रिया की उन्नति हेतु समुचित लक्ष्यों का निर्धारण करना।
  11. छात्रों को अधिक गत्यात्मक एवं उन्नत बनाने की कला में शिक्षकों की योग्यता में वृद्धि करना ।
  12. सामुदायिक कार्यों के प्रति छात्रों तथा शिक्षकों के दृष्टिकोण में उचित परिवर्तन करना।
  13. शैक्षिक क्षेत्र से सम्बन्धित सभी कर्मचारियों को मानवीय सम्बन्धों की श्रेष्ठता से अवगत कराना।
  14. अध्यापनरत शिक्षकों की व्यावसायिक कुशलता में वृद्धि हेतु सेवाकालीन प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।
  15. प्रतिभावान छात्रों को विशिष्ट शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करना।

शैक्षिक पर्यवेक्षण के लक्ष्य (Objectives of Educational Supervision)

शैक्षिक पर्यवेक्षण के उपर्युक्त उद्देश्यों में उन्हीं कार्यों को सम्मिलित किया गया है, जो समूची शिक्षण प्रक्रिया तथा शैक्षिक क्षेत्र की उन्नति से सम्बन्धित हैं। छात्र, शिक्षक, संरक्षक, समुदाय तथा समाज की उन्नति के लिए शैक्षिक पर्यवेक्षण सदैव जागरूक रहता है तथा इसके उद्देश्यों के निर्धारण में भी व्यापक दृष्टिकोण निहित होता है। शैक्षिक पर्यवेक्षण के लक्ष्य, उद्देश्यों की अपेक्षा, सीमित तथा कम समय में पूरे होने वाले होते हैं। लक्ष्यों के अन्तर्गत शिक्षण संस्थाओं एवं शिक्षण प्रक्रिया के विविध कार्यों को उन्नत रूप देने का निश्चय किया जाता है। शैक्षिक पर्यवेक्षण के ‘प्रमुख लक्ष्यों को निम्नलिखित पंक्तियों में दिया गया है-

  1. चहुंमुखी विकास हेतु विद्यालयों की गुणात्मकता के विकास में सहायता करना ।
  2. शैक्षिक उपलब्धि के पर्याप्त स्तर पर पहुँचने के लिए विद्यालय की सहायता करना ।
  3. सामुदायिक सहयोग प्राप्ति के लिए आवश्यक विधियों तथा साधनों को ज्ञात करना।
  4. शैक्षिक सुधारों में पहल करने तथा उन्हें विकसित करने का प्रयास करना।
  5. शिक्षण संस्थाओं की पारस्परिक समस्याओं का विश्लेषणात्मक ढंग से अध्ययन करना ।
  6. पाठ्य सहगामी तथा पाठ्येत्तर क्रियाओं की उन्नति हेतु विद्यालयों की प्रतियोगिताओं का आयोजन करने में सहायता करना।
  7. टोली पर्यवेक्षण द्वारा शिक्षण संस्थाओं की सर्वांगीण गतिविधियों का मूल्यांकन करना।
  8. शिक्षण संस्थाओं में शैक्षिक उन्नति हेतु विविध समितियों के निर्माण तथा निर्देशन करने में सहायता करना।
  9. विद्यालय के समुदाय तथा समुदाय को विद्यालय के समीप ले जाने की योजना बनाना तथा कार्यान्वित करना ।
  10. शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के कार्य में संलग्न शिक्षण संस्थाओं को सक्षम बनाना।
  11. कम समय तथा अल्पव्यय में शिक्षण संस्थाओं के संचालन कार्य हेतु आवश्यक परामर्श देना।
  12. विद्यालयों की विकास प्रक्रिया में निरन्तरता को बनाए रखने के लिए नियम तथा नवीन परिस्थितियों का निर्माण करना।
  13. शैक्षिक क्षेत्र के नवीनतम उपागमों से शिक्षकों, प्रबन्धकों, प्रशासकों तथा संरक्षकों को परिचित कराना।
  14. निर्धारित मानदण्डों के आधार पर शिक्षकों तथा प्रधानाचार्यों को आत्म-मूल्यांकन हेतु योग्य बनाना।
  15. संस्थागत योजना (Institutional planning) का निर्माण करने में सहायता प्रदान करना ।
  16. विद्यालय एवं समुदाय के मानवीय तथा भौतिक स्रोतों का अधिकाधिक उपयोग करने हेतु सुझाव देना।
  17. शैक्षिक कार्यक्रमों में विद्यालयों को बौद्धिक नेतृत्व प्रदान करना ।
  18. शिक्षण संस्थाओं में छात्र, शिक्षक एवं प्रधानाचार्य के पारस्परिक मानवीय सम्बन्धों में सुधार करने हेतु सुझाव देना ।

शैक्षिक पर्यवेक्षण के उपर्युक्त लक्ष्यों को किसी निश्चित संख्या में नहीं बाँधा जा सकता। समय तथा परिस्थिति की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए इन लक्ष्यों का निर्धारण किया जा सकता है। वास्तव में, व्यापक उद्देश्यों की सहायता के लिए ही इन लक्ष्यों का निर्माण किया जाता है। ये लक्ष्य शैक्षिक उन्नति में सहायक होते हैं।

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Anjali Yadav

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