समुदाय से आप क्या समझते हैं ? समुदाय तथा विद्यालय के सम्बन्ध की विवेचना कीजिये। अथवा समुदाय से आप क्या समझते हैं ? समुदाय की परिभाषा दीजिए बालक पर समुदाय का क्या शैक्षिक प्रभाव पड़ता है ?
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समुदाय का अर्थ एवं परिभाषा
सामान्यतः समुदाय व्यक्तियों का एक ऐसा समूह है, जो मिलकर सामान्य उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये तथा सामान्य जीवन व्यतीत करने के लिये एक निश्चित स्थान पर रहते हैं। इस समूह में उन व्यक्तियों की समान आवश्यकतायें होती हैं। अतएव समुदाय को आधारभूत कसौटी यह है कि उसके अन्तर्गत उसके सदस्यों का सामान्य जीवन व्यतीत होता है।
अनेक विद्वानों ने समुदाय की अलग-अलग परिभाषायें दी हैं, जो निम्नलिखित हैं-
डेविस के अनुसार, “समुदाय एक ऐसा लघुत्तम क्षेत्रीय समूह है, जिसके अन्तर्गत सामाजिक जीवन के सभी पक्ष सम्मिलित हो सकते हैं।”
“A Community is the smallest territorial group that can embrace all aspects of social life.” – Davis
मैकाइवर तथा पेज के अनुसार, “जब कभी किसी छोटे अथवा बड़े समूह के सदस्य इस प्रकार मिल-जुलकर रहते हैं कि वे एक-दूसरे के विशिष्ट कार्यों में ही हाथ नहीं बँटाते, अपितु सामान्य जीवन की आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं तो हम उस समूह को समुदाय कहते हैं। “
“Whenever the members of any group, small or large, live together in such a way that they share, not this or that particular interest, but the basic conditions of a common life, we call the group a community.” – Maclver and Page
कुक के अनुसार, “एक भौगोलिक क्षेत्र के अन्तर्गत मानवीय सम्बन्धों का एक निश्चित रूप अर्थात् व्यक्ति संस्कृति एवं भूमि का समन्वित रूप समुदाय है।”
“Community is a configuration of land, people and culture, a structured pattern of human relations within a geographical area.” -Cook
बोगाईस के शब्दों में, “समुदाय एक ऐसा सामाजिक समूह है, जिसमें कुछ मात्रा में हम की भावना होती है और वह एक क्षेत्र विशेष में रहता है।”
“A Community is a social group with some degree of ‘we feeling and living in a given – Bogardus
ग्रीन के शब्दों में, “समुदाय व्यक्तियों का समूह है, जो निश्चित सीमा में रहते हैं और जिनके जीवन का एक जैसा area.” ढंग होता है। “
“A Community is a cluster of people living within a narrow territorial radius who share a common way of life.” – A. W. Green
गिन्सबर्ग के शब्दों में, “समुदाय का अर्थ सामान्य जीवन व्यतीत करने वाले सामाजिक व्यक्तियों के समूह विशेष से समझना चाहिये। इस सामान्य जीवन में हम उन सभी असीमित और जटिल सम्बन्धों को सम्मिलित करते हैं, जो इसका निर्माण करते हैं अथवा इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं।”
“The community is to be understood a group of social beings living a common life including all the infinite variety and complexity of relations which results from common life or constitute it.” – Ginsberg
इस प्रकार समुदाय में व्यक्तियों का समूह, निश्चित भू-भाग और सामुदायिक भावना इत्यादि तीन महत्वपूर्ण तत्व पाये जाते हैं, जो समुदाय के स्वरूप का निर्माण करते हैं।
समुदाय तथा स्कूल में सम्बन्ध (Relation Between Community and School)
समुदाय तथा स्कूल में घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। शिक्षा के क्षेत्र में समुदाय का सहयोग प्राचीन काल से चला आ रहा है, वर्तमान में भी है और भविष्य में भी बिना इसके सहयोग के शिक्षा की उचित व्यवस्था करना असम्भव होगा। आज हमारे शिक्षक का उद्देश्य बालकों का शारीरिक, मानसिक, रित्रिक, नैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास करना है और उन्हें किसी उद्योग अथवा उत्पादन कार्य में निपुण करके लोकतन्त्र में सशक्त, योग्य एवं सुसंस्कृत नागरिक बनाना है। देश का नैतिक पतन रोकने के लिये आज धार्मिक शिक्षा और आध्यात्मिक विकास की भी आवश्यकता अनुभव की जा रही है। समुदाय हमें इन सब उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायता करता है। विद्यालय और समुदाय में सहयोग स्थापित करने के लिये निम्न सिद्धान्तों का ध्यान रखना आवश्यक है-
1. समुदाय की सेवा की भावना (Service of the Community) – विद्यालय के वातावरण में समुदाय की सेवा करने की भावना छिपी होनी चाहिये। समुदाय शिक्षा पर पूँजी व्यय करता है, परन्तु इसके बदले में शिक्षा संस्थाओं से भी अपेक्षा करता है कि वह अपना कार्यक्रम समुदाय की सेवा के लिये आयोजित करें।
2. समुदाय का ज्ञान (Knowledge of Community) – समुदाय और विद्यालय में अच्छे सम्बन्ध स्थापित करने के लिये यह आवश्यक है कि विद्यालय समुदाय का ध्यान रखे। विद्यालय को समुदाय की आवश्यकताओं, भौतिक और मानवीय साधनों का ज्ञान रखना चाहिये। यह ज्ञान सर्वेक्षण, साक्षात्कार और संगठनों की सदस्यता से तथा अनुभवों से प्राप्त किया जा सकता है। इससे विद्यालय समुदाय को समझ सकेगा और सम्बन्ध सुदृढ़ होंगे।
3. विद्यालय का ज्ञान (Knowledge of School) – विद्यालय को समुदाय को अपने शैक्षिक कार्यक्रम का ज्ञान समय-समय पर देते रहना चाहिये, क्योंकि समुदाय अपने बालकों को विद्यालय में भेजता है। समुदाय यह भी जानने की अपेक्षा करता है कि विद्यालय उनके लिये क्या कर रहा है। इसके लिये विद्यालय प्रगति रिपोर्ट पत्रिका, विज्ञापन आदि के माध्यम से जानकारी दे सकता है।
4. सामुदायिक पृष्ठभूमि के अनुसार बच्चे का अनुकूलन (Adaptation of the Child According to the Background of the Community) – विभिन्न प्रकृति के समुदायों में विद्यालय की भूमिका भिन्न-भिन्न होगी। समुदाय की प्रकृति के अनुसार बालक की आवश्यकतायें भी भिन्न-भिन्न होंगी। इस बात का ध्यान रखा जाये कि सामुदायिक पृष्ठभूमि के अनुसार बालक का अनुकूलन किया जाना चाहिये ताकि वह बड़ा होकर समुदाय का एक उपयोगी अंग बन सके।
5. विद्यालय की सहायता की भावना (Help of the School by the Community) – समुदाय को विद्यालय की सहायता के लिये सदैव तैयार रहना चाहिये, क्योंकि विद्यालय तब ही उनकी महत्वाकांक्षाओं और आवश्यकताओं के अनुरूप बन सकेगा।
समुदाय और में सहयोग स्कूल (Collaboration of School and Community)
स्कूल और समुदाय में सहयोग तभी सम्भव है, जब समुदाय विद्यालयों के प्रति और स्कूल समुदाय के प्रति अपने-अपने कर्तव्यों का पालन करें। विद्यालय को सामुदायिक जीवन का केन्द्र बनाने, शिक्षा सुधार करने, समुदाय के जीवन में सुधार लाने तथा शिक्षा कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देने एवं लोकप्रिय बनाने के लिये निम्नलिखित उपायों के द्वारा स्कूल और समुदाय में सहयोग स्थापित किया जा सकता है-
स्कूल एवं समुदाय के सम्बन्धों को विकसित करने के उपाय (Measures to Develop School-Community Relations)
1. स्कूल पाठ्यक्रम समाज की आवश्यकताओं के अनुकूल हो। अतएव वह केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित न हो, बल्कि उसमें समाज की आकांक्षाओं एवं उपयोगिता का ध्यान रखा गया हो।
2. स्कूल में अध्यापक-अभिभावक संघ’ (Parents-Teachers Association) की स्थापना करनी चाहिये, इसकी बैठक भी समय-समय पर बुलाई जानी चाहिये। इससे स्कूल को इस संघ के माध्यम से बच्चों की प्रगति के विषय में बताना चाहिये। इससे शिक्षक और अभिभावक छात्रों का प्रगति एवं समस्याओं के समाधान को खोज सकते हैं तथा आपस में विचार-विमर्श कर सकते हैं।
3. स्कूल को प्रौढ़-शिक्षा, मनोरंजन, खेलकूद, आदि प्रवृत्तियों का केन्द्र बनाया जाना चाहिये। स्कूल भवन, खेल के मैदान, पुस्तकालय, वाचनालय तथा अन्य साधन-सुविधाओं का स्कूल व समुदाय की सम्मिलित प्रवृत्तियों तथा प्रौढ़ शिक्षा के कार्य हेतु उपयोग किया जाना चाहिये।
4. समुदाय स्कूल को अच्छा वातावरण प्रदान करके बालकों के विकास में सहायता कर सकता है। अभिभावक का यह कर्त्तव्य है कि समय-समय पर बालकों को विद्यालय के सभी कार्यों में भाग लेने की प्रेरणा दें। उनका सहयोग करें एवं उन्हें आवश्यक साधन उपलब्ध करायें।
5. स्कूल को समाज के निकट लाने का प्रयास किया जाना चाहिये। स्कूल के छात्र एवं अध्यापक स्थानीय समुदाय के विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेकर विद्यालय समुदाय में सहयोग स्थापित करने में सहायता कर सकते हैं।
6. समुदाय को स्कूल के निकट ले जाने का प्रयास भी किया जाना चाहिये। स्कूल अपनी प्रबन्ध कमेटियों में समुदाय के सदस्यों को उचित स्थान प्रदान करें। इससे समुदाय के सदस्यों का स्कूल के प्रति उत्तरदायित्व बढ़ेगा और सहयोग विकसित होगा। राष्ट्रीय संकट के समय विद्यालय विभिन्न कार्यक्रमों को आयोजित करके समुदाय में देश भक्ति की भावना पैदा कर सकता है।
7. विद्यालय समुदाय के ऐतिहासिक, धार्मिक, औद्योगिक, वैज्ञानिक और शैक्षिक स्थलों पर छात्रों को शैक्षिक प्रमण के लिये ले जाने का प्रबन्ध करें। इससे छात्रों को समुदाय के विषय में ज्ञान प्राप्त होगा कि समाज हमारे लिए क्या सुविधाएँ प्रदान कर रहा है।
8. विद्यालयों को समय-समय पर खेलकूद तथा विभिन्न साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिये तथा इन अवसरों पर समुदाय के सदस्यों को आमन्त्रित करना चाहिये।
9. विद्यालय, राष्ट्रीय सेवा आयोग, एन० सी० सी०, स्काउटिंग आदि के कैम्प लगाकर भी समुदाय में व्याप्त कुरीतियों को दूर करके उसे सहयोग दे सकता है।
10. सामुदायिक सर्वेक्षण द्वारा समुदाय की विभिन्न समस्याओं का अध्ययन कर उनके निराकरण के उपाय सुझाए जा सकते हैं। सर्वेक्षणों द्वारा विद्यालय समुदाय के सम्बन्ध सुदृढ़ रहते हैं और एक-दूसरे को समझने का मौका मिलता है।
11. विद्यालय, समुदाय के पिछड़े वर्ग के बच्चों को बैंक बुक के माध्यम से मुफ्त पुस्तकें उपलब्ध करा सकता है। उन्हें छात्रवृत्तियाँ, शुल्क-छूट देकर शिक्षा के अवसर प्रदान कर सकता है।
12. सामुदायिक सेवा कार्यों द्वारा भी विद्यालय समुदाय बढ़ाने चाहियें। सामुदायिक विकास अथवा सेवा कार्यों को विभिन्न प्रयोजनाओं के रूप में प्रभावशाली बनाने का प्रयत्न किया जाये। विद्यालय समुदाय हित के लिए सार्वजनिक सफाई, वृक्षारोपण, पेयजल की व्यवस्था, प्रौढ़ शिक्षा इत्यादि प्रयोजनाओं को बढ़ावा दे सकता है। उपरोक्त विवरण से यह स्पष्ट हो जाता है कि स्कूल एवं समुदाय का अस्तित्व आपसी सहयोग पर ही सुरक्षित है। इसमें अध्यापक की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
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