विद्यालय संगठन / SCHOOL ORGANISATION

सामुदायिक विद्यालय से आप क्या समझते हैं ? What do you understand by community school?

सामुदायिक विद्यालय से आप क्या समझते हैं ?  What do you understand by community school?
सामुदायिक विद्यालय से आप क्या समझते हैं ? What do you understand by community school?

सामुदायिक विद्यालय से आप क्या समझते हैं ? आप समुदाय के साधनों को शैक्षिक क्षेत्र में किस प्रकार प्रयोग करेंगे ?

सामुदायिक विद्यालय का अर्थ (Meaning of Community School)

समुदाय व्यक्तियों का एक ऐसा समूह है, जो आपस में मिलकर सामान्य उद्देश्यों की प्राप्ति तथा साधारण जीवन बिताने के लिये एक निश्चित स्थान पर रहते हैं। ग्रीन (Green) के अनुसार, “समुदाय व्यक्तियों का समूह है, जो निश्चित सीमा में रहते हैं और जिनके जीवन का एक ढंग होता है।” इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये शिक्षा का होना अनिवार्य माना गया और औपचारिक शिक्षा का साधन विद्यालय माना गया। माध्यमिक शिक्षा आयोग (Secondary Education Commission, 1952-1953) के शब्दों में, “हमारे विद्यालय समाज होंगे, लेकिन वे छोटे-छोटे समाज होंगे और उनकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि किसी रूप में उनके और बाहर के समाज के जीवन में निरन्तर रूप में सम्बन्धों की घनिष्ठता की धारा बहती है।” इस प्रकार शिक्षा का समुदाय से गहरा सम्बन्ध स्थापित हो गया। शिक्षा को सामाजिक प्रक्रिया माना गया है। वह सामाजिक प्रगति और विकास का साधन बन गई। शिक्षा ने अपनी प्रक्रिया को सफल एवं प्रभावशाली बनाने के लिये विद्यालय का सहारा लिया। अतएव यह विचार जोर पकड़ गया कि विद्यालय समाज के बिना नहीं रह सकता। इस प्रकार शिक्षा की सामाजिक प्रक्रिया, सामुदायिक साधनों के प्रयोग, बाल-केन्द्रित और जीवन केन्द्रित शिक्षा आदि कारणों ने सामुदायिक विद्यालय के विचार को जन्म दिया है। सामुदायिक विद्यालय (Community School) से तात्पर्य उस स्कूल से है, जो समुदाय की सभी विशेषताओं को बालकों में विकसित करता है तथा समुदाय की उन्नति के लिए इन्हें तैयार करता है।

सामुदायिक विद्यालय (Community School), समुदाय केन्द्रित, बाल केन्द्रित और लघु समाज होता है।

प्रो० के० जी० सैयदेन (Prof. K. G. Saiyidain) के अनुसार, “लोगों का स्कूल लोगों की आवश्यकताओं और समस्याओं पर आधारित होना चाहिये। उसका पाठ्यक्रम उनके जीवन का संग्रह हो। उसकी कार्यविधि अधिकांश उन्हीं के अनुरूप हो। यह उन सब बातों को प्रतिबिम्बित करे, जो सामुदायिक जीवन के लिए विशिष्ट एवं महत्वपूर्ण है।”

“A people’s school must obviously be based on the people’s needs and problems, its curriculum should be epitome of their life. Its method of work must approximate to theirs. It should reflect all that is significant and characteristic in the life of the community, in its natural setting.” –K. G. Saiyidain

सामुदायिक विद्यालय अपने आप में एक लघु समाज है। इसलिये सामुदायिक विद्यालय वह समाज हैं, जो छात्रों को सामाजिक विकास के लिये विकसित करे और सामुदायिक जीवन से जुड़ा हो।

सामुदायिक विद्यालय के प्रमुख तत्य (Chief Elements of a Community School)

सामुदायिक विद्यालय के प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं-

1. सामुदायिक विद्यालय शिक्षा को सामाजिक प्रक्रिया के रूप में मानता है।

2. सामुदायिक विद्यालय का वातावरण सामाजिक होता है तथा यह जीवन-केन्द्रित (Life-centred) तथा बाल केन्द्रित होता है।

3. सामुदायिक विद्यालय समाज के सर्वमान्य लक्ष्य-सामाजिक जीवन में सुधार की प्राप्ति के लिये लगा रहता है।

4. सामुदायिक विद्यालय समाज की सेवा करता है।

5. सामुदायिक विद्यालय समाज के हित के लिये समुदाय के एजेन्ट (Agent) के रूप में कार्य करता है।

6. सामुदायिक विद्यालय जिसे सामाजिक विद्यालय की संज्ञा भी दी जा सकती है, शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये अपना पाठ्यक्रम व्यापक तथा लचीला बनाता है।

7. इस प्रकार का विद्यालय विभिन्न शैक्षणिक सामग्री का विकास व निर्माण करता है।

8. सामुदायिक विद्यालय सीखने के अनुभवों (Learning Experiences) के लिये सामुदायिक संसाधनों का पूरा उपयोग करता है।

9. सामुदायिक विद्यालय सामुदायिक जीवन में सुधार लाने का प्रयत्न करता है।

10. सामुदायिक विद्यालय समाज की आवश्यकताओं, महत्वाकांक्षाओं, रीति-रिवाजों, मूल्यों, प्रतिमानों, आदर्शों, नियमों आदि का प्रतिबिम्ब होता है तथा उनकी प्राप्ति के लिये प्रयास करता है।

विद्यालय सामुदायिक केन्द्र के रूप में (School as Community Centre)

शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है तथा समाज विद्यालय को ऐसे कार्य सौंपता है कि वह युवकों का प्रशिक्षण इस प्रकार करे कि वे समाज के सभी कार्यों में प्रभावी ढंग से भाग ले सकें। बालकों को सामाजिक परम्पराएँ उसी प्रकार उत्तराधिकार में प्राप्त होती हैं, जैसे-उन्हें माता-पिता की सम्पत्ति प्राप्त होती है। बालकों को सामाजिक संस्कृति जन्म के साथ नहीं मिलती, बल्कि इसको सीखना पड़ता है। यदि बालकों को सामाजिक परम्पराओं तथा संस्कृति से अलग रखा जायेगा तो उनका समाजीकरण करने के सभी प्रयत्न निष्फल हो जायेंगे। इस प्रकार उनका विकास सम्भव नहीं हो सकेगा और विद्यार्थी अंधेरे में भटकते रहेंगे।

विद्यालय यह सभी कार्य तभी कर सकता है, जब उसका बाहरी समाज के जीवन से घनिष्ठ सम्बन्ध हो, परन्तु वास्तविकता यह है कि आज भारतीय विद्यालयों का जीवन की वास्तविकताओं के साथ कोई सम्बन्ध नहीं है।

इस कारण भारतीय विद्यालय सामुदायिक जीवन की उन्नति में कोई योगदान नहीं दे रहे हैं। यदि विद्यालय को सामाजिक केन्द्र के रूप में कार्य करना है तो उसे सामुदायिक विद्यालय के रूप में कार्य करना होगा। विद्यालय को सामुदायिक जीवन का केन्द्र बनाने के लिये निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं-

  1. समुदाय को विद्यालय के निकट लाना।
  2. विद्यालय को समुदाय के निकट लाना।
1. समुदाय को विद्यालय के निकट लाना (Taking the Community to the School)

समुदाय को स्कूल के निकट लाने के निम्नलिखित साधन हैं-

  1. स्कूलों में अभिभावक दिवस मनाने चाहिये तथा अभिभावक शिक्षक संघ स्थापित किये जाने चाहिये।
  2. स्कूल के उत्सवों व कार्यक्रमों में माता-पिता को अवश्य निमंत्रित करना चाहिये।
  3. स्कूल की प्रबन्ध कमेटियों (Managing committees) में माता-पिता तथा समाज के प्रतिनिधि लेने चाहियें।
  4. स्कूलों में सामूहिक सभाएँ व प्रार्थनाओं का आयोजन करना चाहिये।
  5. शिक्षा सम्मेलनों में माता-पिता व राज्य के प्रतिनिधियों को बुलाना चाहिये।
  6. समुदाय के सदस्यों के लिये प्रदर्शनियों और फिल्मों का आयोजन करना चाहिये।
  7. समुदाय के लोगों के लिये व्यावसायिक मार्गदर्शन कार्यक्रमों की व्यवस्था करनी चाहिये।
  8. सामुदायिक समस्याओं का समाधान करना चाहिये।
2. विद्यालय को समुदाय के समीप लाना (Bringing School Nearer to Community)

1. सामुदायिक सर्वेक्षण- विद्यालय सामुदायिक समस्याओं का सर्वेक्षण करने के लिये छात्रों को समुदाय में ले जा सकता

2. स्कूल द्वारा समुदाय में समाज सेवा का आयोजन- स्कूल, समुदाय में समाज सेवा का आयोजन कर सकता है, जैसे-एन० एस० एस० कैम्प इससे छात्र शिक्षक के नेतृत्व में रहकर सेवा कार्य करने की भावना सीखेंगे। इससे समुदाय में प्रगति होगी।

3. सामूहिक जीवन को सुधारना- स्कूल को समुदाय में जाकर उनके सामाजिक जीवन को भी सुधारने का प्रयास करना चाहिये। समुदाय में जाकर उन्हें बाल-विवाह, दहेज प्रथा और अन्य सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध आन्दोलन प्रारम्भ करना चाहिये।

4. छात्रों को समुदाय के साधनों को दिखाना- प्रत्येक समुदाय के कुछ शिक्षा के साधन होते हैं, जैसे—संग्रहालय, कलाभवन, स्मारक तथा भौगोलिक अथवा ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान । छात्रों को इन्हें देखने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये।

5. प्राकृतिक प्रकोपों में सहायता प्रदान करना- अनेक बार समुदाय में प्राकृतिक प्रकोप आ जाते हैं। जैसे— बाढ़, भूकम्प तथा महामारी। ऐसे समय में स्कूल समुदाय में जाकर सहायता प्रदान कर सकता है।

6. प्रौढ़ शिक्षा- यदि किसी कारणवश प्रौढ़ शिक्षा हेतु समुदाय के लोग स्कूल में नहीं आ सकते तो छात्रों को समुदाय में भेजा जा सकता है।

7. क्षेत्र पर्यटन– छात्रों को समुदाय में जाने के लिये लघु तथा लम्बे पर्यटनों का आयोजन किया जा सकता है। छात्र समुदाय में जाकर इनकी आवश्यकताओं, आकांक्षाओं तथा समस्याओं को समझ सकेंगे हैं।

8. साक्षात्कार- छात्र समुदाय के विभिन्न लोगों से साक्षात्कार करके विभिन्न प्रकार की सूचनायें भी प्राप्त कर सकते हैं।

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About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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