विद्यालय संगठन / SCHOOL ORGANISATION

निरीक्षण के दोष | दोषों को दूर करने के उपाय | निरीक्षण तथा पर्यवेक्षण में अन्तर

निरीक्षण के दोष | दोषों को दूर करने के उपाय | निरीक्षण तथा पर्यवेक्षण में अन्तर
निरीक्षण के दोष | दोषों को दूर करने के उपाय | निरीक्षण तथा पर्यवेक्षण में अन्तर

निरीक्षण में व्याप्त दोषों का उल्लेख कीजिए एवं सुधार के लिए उपाय बताइए। निरीक्षण तथा पर्यवेक्षण में अन्तर स्पष्ट कीजिए। 

निरीक्षण के दोष (Defects of Inspection)

आज विद्यालयों के निरीक्षण में अनेक दोष पाए जाते हैं। वे निम्न प्रकार हैं-

  1. निरीक्षण कार्य बहुधा अनियोजित होता है। अनियोजित निरीक्षण अप्रभावशाली होता है।
  2. निरीक्षण प्रतिवर्ष नियमित रूप से नहीं हो पाता।
  3. बहुधा निरीक्षण के पीछे खाना-पूर्ति की भावना कार्य करती है।
  4. बहुधा निरीक्षक विद्यालय के सभी पहलुओं का निरीक्षण नहीं कर पाते।
  5. निरीक्षण में दोषालोचन की भावना पाई जाती है। अच्छे कार्यों का आंकलन नहीं किया जाता।
  6. सभी निरीक्षक प्रत्येक विषय के ज्ञाता नहीं होते।
  7. निरीक्षण के समय यथार्थ स्थिति छिपा ली जाती है।
  8. निरीक्षकों का सम्पर्क निरीक्षण के समय अध्यापकों से नहीं होता।

दोषों को दूर करने के उपाय (Remedies to Remove Defects)

ये उपाय निरीक्षक के दोषों को दूर करने के लिए काम में लाने चाहिएँ-

  1. निरीक्षण की योजना बनानी चाहिए।
  2. निरीक्षण में नियमितता लाई जाए।
  3. निरीक्षक, वास्तविक रूप से निरीक्षण करे।
  4. निरीक्षक, अधिकारी न होकर मार्ग प्रदर्शक हों।
  5. निरीक्षकों का व्यवहार सहानुभूतिपूर्ण हो ।

निरीक्षण तथा पर्यवेक्षण में अन्तर

निरीक्षण (Inspection) पर्यवेक्षण (Supervision)
1. निरीक्षण का अर्थ किसी घटना को देखकर उसकी रिपोर्ट तैयार करना है। 1. पर्यवेक्षण का अर्थ घटना का अवलोकन करके सुझाव प्रदान करना है।
2. निरीक्षण का उद्देश्य सूचना प्राप्त करना है। 2. पर्यवेक्षण का उद्देश्य समुचित निर्देशन देना है।
3. निरीक्षण में निरीक्षक एक अधिकारी के रूप में होता है। 3. पर्यवेक्षण में पर्यवेक्षक एक परामर्शदाता के रूप में होता है।
4. निरीक्षण में अधिक भय व आतंक प्रदर्शित किया जाता हैं। 4. पर्यवेक्षण में सहयोग तथा सहानुभूति के भाव होते हैं।
5. निरीक्षण का स्वरूप संकुचित होता है। 5. पर्यवेक्षण का स्वरूप व्यापक होता है।
6. निरीक्षण सत्ताप्रद रूप है। 6. पर्यवेक्षण एक शिक्षाप्रद रूप है।
7. निरीक्षण में सामान्य सिद्धान्तों पर बल दिया जाता है। 7. पर्यवेक्षण में अनुसंधानों के परिणामों पर अधिक बल दिया जाता है
8. निरीक्षण में सदैव स्वामित्व की झलक आती है। 8. पर्यवेक्षण में मैत्रीपूर्ण व्यवहार की झलक आती है।

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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