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बाजार विभक्तीकरण के आधार अथवा मापदण्ड (Bases or Criteria for Market Segmentation)
बाजार विभक्तीकरण के लिए भिन्न-भिन्न आधारों अथवा मापदण्डों का प्रयोग किया जा सकता है। विभिन्न उत्पादों के बाजारों के विभक्तीकरण के लिये भिन्न-भिन्न आधारों का प्रयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए औद्योगिक वस्तुओं के बाजार के विभक्तीकरण के लिए उपभोक्ता वर्ग का आकार, उनका भौगोलिक या क्षेत्रीय विभाजन, क्रय करने का छंग आदि आधार का प्रयोग किया जा सकता है, जबकि उपभोक्ता वस्तुओं के बाजार विभक्तीकरण के लिए आयु, लिंग, शिक्षा धर्म, आय, पेशा आदि आधारों का प्रयोग किया जा सकता है क्योंकि इनके सम्बन्ध में आँकड़े आसानी से एकत्रित किये जा सकते हैं। सामान्य रूप से बाजार विभक्तीकरण के लिए निम्नलिखित आधारों का प्रयोग किया जा सकता है:-
1. सामाजिक-आर्थिक आधार ( Socio-Economic Bases)- उपभोक्ता वस्तुओं के बाजार विभक्तीकरण के लिए सामाजिक-आर्थिक भिन्नताओं के आधारों का प्रयोग किया जा सकता है। सामाजिक-आर्थिक तत्वों के निम्नलिखित आधार अधिक प्रचलित हैं-
(1) आयु (Age)- आयु के आधार पर बाजार को बच्चे, किशोर, वयस्क और वृद्ध आदि वर्गों के रूप में विभाजित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए बिनाका और अजन्ता टूथ बुश इन विभिन्न वर्गों के लिए अलग-अलग बनाये जाते हैं। इसी प्रकार पत्रिकाओं के बाजार को भी आयु के आधार पर बाँटा जा सकता है। कपड़े या पोशाकों के विक्रेता भी आयु के आधार पर बाजार को बच्चों, किशोरों और वयस्कों के औसत आकार वाले खण्डों में विभक्त कर सकते हैं।
(2) लिंग (Sex) – बाजार को लिंग के आधार पर दो भागों में विभक्त किया जा सकता है – स्त्री वर्ग एवं पुरूष वर्ग। कुछ वस्तुएँ विशिष्ट रूप से स्त्रियों के लिए बनायी जाती है। जबकि कुछ वस्तुओं को पुरूषों के लिए ही प्रस्तुत किया जाता है। उदाहरण के लिए लिपिस्टिक को स्त्रियों के लिए और चिपस्टिक को पुरूषों के लिए बनाया जाता है। विपणनकर्ता के भेद के आधार पर पुरूषों के द्वारा उपयोग करने वाली वस्तुओं के विज्ञापन में पुरुषोचित अभिलाषाओं, पारिवारिक सुरक्षा एवं उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा में होने वाली वृद्धि आदि प्रेरक तत्वों का सहारा लिया जा सकता है, जबकि स्त्रियों के सुन्दर बनने बुद्धिमान क्रेता होने आदि तत्वों का सहारा लिया जा सकता है।
(3) आय (Age)- उपभोक्ताओं या ग्राहकों की क्रय शक्ति उनकी आय पर निर्भर करती है। अतः विपणनकर्त्ता को अपनी विपणन नीति निर्धारित करने से पूर्व यह अध्ययन करना चाहिए कि उसकी वस्तु किस आय वर्ग के क्रेताओं के लिए है। यह जानकारी इसलिए आवश्यक है कि क्रेताओं की आय में भिन्नता के कारण उनकी रूचियों, आवश्यकताओं तथा स्वभाव में भिन्नता पायी जाती है। उदाहरण के लिए उच्च आय वर्ग के क्रेता वस्तु के मूल्य की अपेक्षा, वस्तु के गुण, डिजाइन, फैशन आदि को अधिक महत्व देते हैं, जबकि निम्न आय वर्ग के क्रेता वस्तु, मूल्य को अधिक महत्व देते हैं। टेलीविजन सेट के भिन्न-भिन्न मॉडल विभिन्न आय वर्ग के क्रेताओं के लिए प्रस्तुत किये जा रहे हैं।
(4) शैक्षिक स्तर (Education Standard)- शिक्षा स्तर के आधार पर उपभोक्ताओं के कई वर्ग बनाये जा सकते हैं जैसे अशिक्षित, साक्षर, औसत रूप से शिक्षित और उच्च रूप से शिक्षित आदि। उदाहरण के लिए पुस्तकों के बाजार को साक्षर, जूनियर हाईस्कूल, माध्यममिक, स्नातक, स्नातकोत्तर आदि के आधार पर विभक्त किया जा सकता है। इसी प्रकार ज्यामिति बॉक्स (Geometry box ) के बाजार को माध्यमिक शिक्षा स्तर के विद्यार्थियों, ड्राफ्टमैन, इन्जीनियरिंग या अन्य तकनीकी कक्षाओं के आधार पर विभाजित किया जा सकता है क्योंकि प्रत्येक कक्षाओं के लिए ज्यामिति बॉक्स की भिन्न-भिन्न आवश्यकतायें होती हैं।
(5) परिवार का आकार ( Size of Family)- परिवार के आकार के आधार पर भी बाजार विभक्तीकरण किया जा सकता है, जैसे- रेफ्रीजरेटर के विभिन्न साइज के मॉडल परिवार के आकार को ध्यान में रखकर बनाये जाते हैं। इसी प्रकार प्रेशर कुकर के विभिन्न साइज परिवार के आकारों को ध्यान में रखकर ही बनाये जाते हैं।
(6) जाति अथवा धर्म के अनुसार (In the Basis of Race or religion)- बाजार विभक्तीकरण जाति अथवा धर्म के अनुसार भी किया जा सकता है, जैसे धार्मिक पुस्तकों के बाजार को सनातनी, सिख, ईसाई, जैन एवं इस्लाम आदि धर्म के आधार पर विभक्त किया जा सकता है।
(7) व्यवसाय एवं पेशा (Business and Profession)- व्यवसाय एवं पेशे के आधार पर उपभोक्ताओं को कई वर्गों में विभक्त किया जा सकता है, जैसे नौकरी, पेशेवर एवं व्यवसायी।
2. भौगोलिक आधार (Geographical Bases) – बाजार विभक्तीकरण भौगोलिक तत्वों, जैसे- क्षेत्र, जलवायु, घनत्व आदि के आधार पर भी किया जा सकता है। क्षेत्र के आधार पर – ग्रामीण क्षेत्र, अर्द्धशहरी क्षेत्र, शहरी क्षेत्र, जलवायु आधार पर गर्म-क्षेत्र तथा ठण्डे क्षेत्र आदि । भौगोलिक तत्वों के आधार पर बाजार विभक्तीकरण तब ही करना चाहिए जबकि उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता हो और उसका वितरण दूर-दूर बिखरे हुए उपभोक्ताओं को करना हो। इस प्रकार के बाजार विभक्तीकरण की सहायता से विपणनकर्त्ता प्रत्येक क्षेत्र की विशेषताओं के अनुरूप अपना विपणन कार्यक्रम समायोजित कर सकता है।
3. मनोवैज्ञानिक या व्यक्तित्व सम्बन्धी आधार (Psychological or Personality Bases)- सभी उपभोक्ताओं का व्यक्तित्व तथा सोचने समझने का ढंग एक सा नहीं होता है। कुछ उपभोक्ता तो ऐसी वस्तुएं ही खरीदना चाहते हैं जिनके उपयोग से समाज में उनकी प्रतिष्ठा में वृद्धि हो, इसलिए प्रायः ऐसे उपभोक्ता नवीनतम डिजाइन और फैशन की वस्तु खरीदना अधिक पसन्द करते हैं जबकि कुछ उपभोक्ता साधारण वस्तुयें खरीद कर सादा जीवन व्यतीत करना चाहते हैं। अतः उपभोक्ताओं के व्यक्तित्व या मनोविज्ञान के आधार पर बाजार विभक्तीकरण किया जा सकता है।
4. क्रेता व्यवहार सम्बन्धी तत्व ( Bases Relating to Consumer Behaviour) – क्रेता व्यवहार सम्बन्धी तत्वों के आधार पर भी बाजार विभक्तीकरण किया जा सकता है। क्रेता व्यवहार सम्बन्धी तत्वों में मुख्यतः तीन आधारों पर बाजार विभक्तीकरण किया जा सकता है। – प्रयोग दर (Usage Rate), क्रेता अभिप्रेरक (Buyer Motives) एवं ब्राण्ड निष्ठा (Brand Loyalty)। वस्तु की प्रयोग दर के अनुसार उपभोक्ताओं के चार वर्ग बनाये जा सकते हैं, न प्रयोग करने वाले (Non Usage), हल्का या कम प्रयोग करने वाले (Lite User), मध्यम प्रयोग करने वाले (Medium User) एवं अधिक या भारी प्रयोग करने वाले (Heavy-User)। न प्रयोग करने वाले उपभोक्ता भी दो प्रकार के हो सकते हैं – असम्भावित उपभोक्ता और सम्भावित उपभोक्ता। क्रेता अभिप्रेरक के अन्तर्गत हम उन तत्वों को सम्मिलित करते है जिनसे क्रेता प्रभावित होकर वस्तु को खरीदता है, जैसे- मितव्ययिता, वस्तु के गुण, विश्वसनीयता (गारन्टी), प्रतिष्ठा प्राप्ति आदि। इन तत्वों के आधार पर क्रेताओं के कई वर्ग बनाये जा सकते हैं। ब्राण्ड निष्ठा में ग्राहकों को ब्राण्ड की लोकप्रियता के आधार पर विभक्त किया जाता है, जैसे ग्राहकों को बाजार में प्रचलित चार ब्राण्डों के आधार पर विभक्त करना।
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