शिक्षा मनोविज्ञान में निरीक्षण, विधि की आवश्यकता तथा महत्त्व का उल्लेख कीजिए ।
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निरीक्षण अथवा अवलोकन विधि
निरीक्षण का तात्पर्य है ध्यान से देखना। इस विधि के द्वारा मनोवैज्ञानिक किसी बालक की मानसिक प्रक्रियाओं का ध्यानपूर्वक अध्ययन करता है। इन मानसिक प्रक्रियाओं में बालक के आचार, विचार, संवेग एवं योग्यता को सम्मिलित किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि एक बालक मुस्कुरा रहा है तो यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वह खुश है।
मोजर का मत है, “निरीक्षण विधि को उचित रूप से वैज्ञानिक पूछ-ताछ की उत्तम विधि मानी जा सकती है। निरीक्षण में आँखों का सर्वाधिक योगदान रहता है।”
निरीक्षण विधि के लाभ अथवा गुण
निरीक्षण विधि के लाभ अथवा गुण निम्न हैं-
- निरीक्षण विधि द्वारा बालक के व्यवहार का व्यापक अध्ययन किया जाता है।
- निरीक्षण विधि एक अत्यन्त सरल विधि है। इस विधि में किसी यन्त्र अथवा उपकरण की आवश्यकता नहीं होती।
- निरीक्षण विधि किसी व्यवहार, घटना अथवा स्थिति का प्रत्यक्ष रूप से अध्ययन करती है, अतएव यह सर्वोत्तम विधि है।
- निरीक्षण विधि वास्तविक परिस्थितियों में प्रयोग की जाती है, अतएव यह विधि वास्तविक व्यवहार का अध्ययन करती है। बालक
- निरीक्षण विधि नेत्र प्रधान विधि है। मनुष्य के नेत्रों को प्रत्यक्ष ज्ञान का द्वार माना जाता है, अतएव यह एक विश्वसनीय विधि है।
- निरीक्षण विधि समस्त विधियों की आधारभूत विधि है। इसमें एक वैज्ञानिक विधि के समस्त गुण पाये जाते हैं।
- निरीक्षण विधि वैज्ञानिक अनुमान लगाने और निष्कर्ष प्राप्त करने में अत्यन्त उपयोगी है।
- निरीक्षण विधि कार्य-कारण सम्बन्धों की उचित व्याख्या करती है।
- निरीक्षण विधि का प्रयोग पशु व्यवहार के अध्ययन में भी उपयोगी है।
- निरीक्षण विधि छोटे बालकों के व्यवहारों का अध्ययन करने की अत्यन्त उपयोगी विधि है।
- निरीक्षण विधि द्वारा भिन्न-भिन्न भाषा बोलने वाले व्यक्तियों का अध्ययन सम्भव
- इस विधि में उच्च वैज्ञानिक गुण, यथा-वैधता, विश्वसनीयता आदि पाये जाते हैं।
- निरीक्षण विधि किसी व्यवहार अथवा घटना की भविष्यवाणी करने में सक्षम है।
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