व्यक्तित्व आकलन की विभिन्न तकनीकों की व्याख्या कीजिए। हाईस्कूल व्यक्तित्व प्रश्नावली का विस्तृत वर्णन कीजिए।
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व्यक्तित्व मापन की विधियाँ (Methods of Measuring Personality)
शिक्षा मनोविज्ञान के शैक्षिक प्रभाव एवं प्रगति को जानने के लिए व्यक्तित्व मापन का प्रश्न उठता है। व्यक्तित्व का परीक्षण बहुत कठिन कार्य है। उसके लिए किसी विधि विशेष को प्रमाणित नहीं किया जा सकता। भिन्न-भिन्न मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व के परीक्षण अथवा मापन की कुछ विधियों का निर्माण किया है जिन्हें निम्न चार वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-
- वैयक्तिक विधियाँ (Subjective Methods),
- वस्तुनिष्ठ विधियाँ (Objective Methods),
- प्रक्षेपण विधियाँ (Projective Methods),
- मनोविश्लेषण विधियाँ (Psycho-Analytic Methods ),
(1) वैयक्तिक विधियाँ
इन विधियों के अन्तर्गत व्यक्तित्व का परीक्षण स्वयं परीक्षक करता है। यह जाँच व्यक्ति विशेष अथवा उसके परिचित से पूछताछ द्वारा की जाती है। इनमें निम्नलिखित चार विधियों से की सहायता ली जाती है-
- व्यक्ति इतिहास विधि (Case History Method),
- प्रश्नावली विधि (Questionnaire Method),
- साक्षात्कार अथवा भेंट विधि (Interview Method),
- आत्म-कथा लेखन विधि (Autobiography Method) ।
(i) व्यक्ति इतिहास विधि- यह व्यक्तित्व मापन की एक अत्यन्त प्रचलित विधि है। इस विधि के द्वारा व्यक्ति अथवा बालक के गुणों, व्यवहार एवं मानसिक योग्यताओं का क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है। इस विधि के अन्तर्गत सूचनाएँ अनेक स्रोतों से संकलित की जाती हैं, उदाहरण के लिए-
- (क) व्यक्ति अथवा बालक से स्वयं पूछकर
- (ख) माता-पिता से जानकारी प्राप्त कर।
- (ग) मित्रों अथवा पड़ोसियों से।
- (घ) सगे-सम्बन्धियों से।
- (ङ) परिवार के चिकित्सक से।
- (च) बालक के अध्यापक से और
- (छ) छात्रों के विद्यालय अभिलेखों से।
उपर्युक्त स्रोतों से प्राप्त सूचनाओं का समयबद्ध संकलन और विश्लेषण करके व्यक्ति के विकास-क्रम, रुचि, इच्छा, संवेग, सामाजिक सामंजस्य, व्यवहार सम्बन्धी असमानता और स्वभाव आदि का पता लगाया जाता है तथा उसके व्यक्तित्व का मापन किया जाता है। यह व्यक्तित्व मापन की एक सरल और व्यापक विधि है, परन्तु इसमें बालक के व्यक्तित्व के सन्दर्भ में प्राप्त सूचनाएँ अस्पष्ट, अपूर्ण और अपरिमार्जित होती हैं जिसके परिणामस्वरूप व्यक्तित्व का ठीक-ठीक मापन नहीं हो पाता।
(ii) प्रश्नावली विधि- इस विधि में व्यक्तित्व के विभिन्न गुणों से सम्बन्धित प्रश्नों की सूची तैयार की जाती है और व्यक्ति को लिखित “हाँ” अथवा “नहीं” में उत्तर देना होता है। इस विधि को “कागज पेन्सिल परीक्षण” (Paper-Pencil Test) भी कहा जाता है। व्यक्ति द्वारा दिए गए उत्तरों के आधार पर उसके व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है।
(2) वस्तुनिष्ठ विधियाँ
व्यक्तित्व मापन की वे विधियाँ जो बालक अथवा व्यक्ति के बाह्य व्यवहार का अध्ययन करके व्यक्तित्व का मापन करती हैं, उन्हें वस्तुनिष्ठ विधि कहा जाता है। इन विधियों में वैध और विश्वसनीय मानकीकृत विधियों का प्रयोग किया जाता है। व्यक्तित्व की वस्तुनिष्ठ विधियों में निम्नलिखित प्रमुख हैं
- नियन्त्रित निरीक्षण विधि (Control Observation Method),
- निर्धारण मापी विधि (Rating Scale Method),
- समाजमिति विधि (Sociometric Method),
- शारीरिक क्रिया विधि (Physiological Method),
- व्यक्तित्व अनुसूचियाँ (Personality Invetries)
विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने विभिन्न प्रकार की व्यक्तित्व अनुसूचियों का निर्माण किया है।
(3) प्रक्षेपण विधियाँ
व्यक्तित्व मापन की प्रक्षेपण विधियों का जन्म फ्रायड के मनोविश्लेषणवाद से हुआ। फ्रायड ने प्रक्षेपण शब्द की व्याख्या करते हुए कहा- “प्रक्षेपण का अर्थ उस प्रक्रिया से है, जिसमें व्यक्ति अपने भावों, विचारों, भावनाओं, इच्छाओं, संवेगों, स्थायी भावों एवं आन्तरिक संघर्षों को अन्य बाह्य जगत के माध्यम से सुरक्षात्मक रूप प्रदान करता है।”
प्रक्षेपण एक “मनोरचना” (Defence Mechanism) है जो व्यक्ति के आत्म की रक्षा करता है। यह एक अचेतन प्रक्रिया है। इस प्रकार जब व्यक्ति के समक्ष कोई अस्पष्ट उद्दीपक प्रस्तुत किया जाता है तो वह अपने अचेतन के भावों, विचारों, संवेगों, अभिवृत्तियों एवं दमित इच्छाओं को उस पर आरोपित अथवा प्रक्षेपित कर देता है। इसके फलस्वरूप व्यक्ति के अचेतन के विभिन्न पक्षों का ज्ञान प्राप्त किया जाता है। ये सभी पक्ष व्यक्तित्व के अभिन्न अंग माने जाते हैं।
इन विधियों के अन्तर्गत परीक्षण सामग्री के रूप में स्याही के धब्बों, अपूर्ण वाक्यों और अस्पष्ट तस्वीरों अथवा कुछ विशेष प्रकार के चित्रों का प्रयोग किया जाता है। जिस परीक्षण सामग्री में चित्र अथवा विषयवस्तु स्पष्ट होती है उसे संरचित सामग्री (Structured Material) कहा जाता है। अस्पष्ट परीक्षण सामग्री को “असंरचित सामग्री” (Unstructured Material) कहा जाता है। इन्हीं सामग्रियों के सन्दर्भ में व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं, भावनाओं, द्वन्द्वों, आकांक्षाओं और संवेगों को व्यक्त करता है जिनके आधार पर व्यक्तित्व का मापन किया जाता है। इन विधियों में प्रमुख हैं-
- रोशक स्याही के धब्बों का परीक्षण (Rorschach’s Ink-Blot
- प्रासंगिक अन्तर्बोध परीक्षण (Thematic Apperception Test),
- बाल-सम्प्रत्यक्षण परीक्षण (Children Apperception Test),
- वाक्य-पूर्ति परीक्षण (Sentence Completion Test ) ।
(4) मनोविश्लेषण विधियाँ
मनोविश्लेषण विधि के दो रूप हैं जिनका उल्लेख यहाँ किया जा रहा है-
(अ) स्वप्न विश्लेषण विधि (Dream Analysis Method) – स्वप्न विश्लेषण मनोचिकित्सा विधि है। फ्रायड के अनुसार स्वप्न अचेतन मन की गहराई में किसी विषयवस्तु के बारे में महत्त्वपूर्ण संकेत है। इस विधि के अन्तर्गत व्यक्ति के अपने स्वप्नों के आधार पर उसकी विभिन्न समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया जाता है और साथ ही उसके व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जाता है। पहले तो स्वप्नों को याद रखने में पर्याप्त कठिनाई होती हैं, परन्तु स्वतन्त्र साहचर्य के अभ्यास द्वारा स्वप्नों को याद करने में सुविधा होती है। स्वप्नों की विषयवस्तु और उसमें छिपी समस्याओं को स्वतन्त्र साहचर्य का आधार बनाया जाता है।
(ब) स्वतन्त्र साहचर्य विधि (Free-Word Association Method) – इस विधि में Test), 50 से 100 तक उद्दीपन शब्द होते हैं। परीक्षक बारी-बारी से एक-एक शब्द बोलता है व्यक्ति इन शब्दों को सुनकर जो कुछ उसके मन में आता है, कह देता है। उसके द्वारा कहे गए शब्दों को लिख लिया जाता है और उसके आधार पर उसके व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जाता है।
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