इतिहास की अवधारणा स्पष्ट कीजिए। इतिहास से आप क्या समझते हैं ? इतिहास विषय की प्रकृति एवं क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
शिक्षा जगत् में इतिहास का एक अनूठा स्थान है। यह विषय भावी नागरिकों को अतीत का परिचय कराता हुआ, उनके मस्तिष्क में ऐसी पृष्ठभूमि तैयार करता है जिसके आधार पर वे वर्तमान को सँवारते एवं भविष्य का दिग्दर्शन करते हैं। इतिहास हमारे लिए वह उद्वार रज्जु है जिसके सहारे हम अवनति के गर्त से निकलकर उन्नति की चरम परिणत पर पहुँच सकते हैं। इतिहास का शिक्षण कम महत्त्वपूर्ण नहीं, क्योंकि यह विषय हमारे सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक सभी अवयवों को समान रूप से प्रभावित करता है।
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इतिहास क्या है ?
“History” शब्द ग्रीक शब्द “historica” से निकला है, जिसका अर्थ है “जो कि वास्तविक रूप में व्यतीत हो चुका है “What has actually passed or happened”. यह एक ऐसा विशद् विषय है जो कि मानव सभ्यता की प्रत्येक सीढ़ी का दिग्दर्शन कराता है। हमें तो इतिहास को सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक सभी दृष्टिकोणों से अपनाना है। इतिहासकार मेटलैण्ड के शब्दों में, “What men have done and said and above all what they have thought that is history.”
इतिहास के विषय में बहुत भ्रममूलक मत भी प्रचलित हैं। नैपोलियन के अनुसार “इतिहास एक ऐसा विकल्प है जिसे लोगों ने सत्य मान लिया है।” उसने तो ‘Fable agreed upon’ कहकर इतिहास को निकृष्ट विषय ठहराने की चेष्टा की। Spencer महोदय ने इसका स्वागत इस रूप में किया। उनका कथन है, “Read them (the facts of history) if you like for amusement but do not flatter yourself. They are instructions”. इतिहास हमको ऐसे तथ्य देता है जो कि विद्यार्थियों के लिए अनुपयोगी असंभव एवं हानिप्रद हैं अतः ऐसे विषय को पाठ्यक्रम में स्थान देना कदापि उचित नहीं।
इसके विपरीत दूसरे मतावलम्बियों के अनुसार इतिहास एक ऐसा विषय है जिसमें स्वयं ईश्वर अपनी सत्ता बनाये रखता है “God manifested himself in history”. Freud महोदय के अनुसार, “History records are a law of right and wrong”. Jones का कथन है, “इतिहास मनुष्य जीवन के अनुभवों की एक अनन्त धनराशि है जो कभी समाप्त नहीं होता है। लोग इतिहास का पठन इस निमित्त करते हैं कि वे दूसरे के अनुभवों से लाभान्वित हो सकें।”
“Histroy is a veritable mine of life experiences and the youth of today studies history that he may profit by the experience of his race”. Ziller बताया है कि इतिहास वह केन्द्रीय विषय है जिसके चारों ओर अन्य विषय घूमते हैं अर्थात् यही वह आधार विषय है जिसके द्वारा अन्य विषयों का शिक्षण सम्भव हो सकता है।
इस प्रकार हम देखते हैं कि इतिहास के विषय में अनेकानेक इतिहासकारों एवं अन्य विद्वानों ने अपने-अपने अनुभवों एवं समझ के द्वारा काफी प्रकाश डाला है। कुछ विद्वानों ने तो उसे सर्वोपरि एवं सर्वश्रेष्ठ विषय करार दिया है, जबकि अन्य विद्वानों ने उसे रसातल में गिराने की भरसक चेष्टा की है। वास्तविकता क्या है ? इस पर भी विचार कर लीजिए।
“इतिहास वास्तव में एक ऐसा वैज्ञानिक विषय है, जो कि हमें भूत को सम्पूर्ण अवस्थाओं से अवगत कराता है।” वह जितने भी तथ्य हमें देता है वे सभी सत्यता से पूर्ण एवं विश्वसनीय होते हैं। मानव इस धरती पर कब और कैसे आया ? उसकी प्रारम्भिक अवस्था क्या थी ? उसने कौन-कौन सी सीढ़ियाँ पार करते हुए इतनी उत्कृष्टता की प्राप्ति की ? आदि प्रश्नों का उत्तर हमें यही विषय देता है। इतिहास किसी काल अथवा देश विशेष का ही ज्ञान हमें नहीं कराता वरन् इसने हमें मानव की आदि अवस्था से लेकर आज तक का सम्पूर्ण ज्ञान-कोष प्रदान किया है। कहने का आशय यह है कि इस विषय का जन्म समाज के जन्म के साथ ही साथ हुआ और यह विकास की ओर उसी प्रकार और उसी क्रम से अग्रसर होता गया। जैसे कि मानव समाज। इसका सम्बन्ध मानव के सर्वांगीण विकास से है। इतिहास ही एक ऐसा विषय है जिसने कि घटनाओं का तारतम्य बनाए रखा, उसका एक क्रमिक रूप हमारे सम्मुख रखा। इस प्रकार इतिहास एक वैज्ञानिक विषय है।
कार्य- इतिहास के तीन प्रमुख कार्य हैं-
(अ) इतिहास सम्बन्धी आँकड़ों को एकत्र करना इसका पहला काम है। यह तथ्य कहीं से भी प्राप्त किए जाय इससे हमारा कोई भी सम्बन्ध नहीं है। हम तो इतिहास द्वारा अनेकानेक तथ्यों को एक क्रमिक रूप में ही अपने सामने पाते हैं।
(आ) केवल आँकड़ों को एकत्रित करना ही इसका काम नहीं है। इतिहास इस एकत्रीकरण का परीक्षण भी करता है। यह परीक्षण उसकी निष्पक्षता का द्योतक है, क्योंकि वह इससे उन तथ्यों की सत्यता एवं असल्यता की परख भी करता है।
(इ) तीसरा महत्त्वपूर्ण कार्य इसी से सम्बन्धित है। इतिहास उन प्राप्त किए हुए तथ्यों एवं आँकड़ों के परीक्षण के बाद कुछ सामान्य नियमों की भी सृष्टि करता है । भौतिक विज्ञान के समान तो हम इसके द्वारा नियमों एवं सिद्धान्तों को नहीं पाते किन्तु हाँ इतना तो अवश्य है कि ये नियम एवं सिद्धान्त काफी मात्रा में विश्वसनीय होते हैं।
इस प्रकार हम इस निष्कर्ष पर पहुँच जाते हैं कि यदि विषय को एक वैज्ञानिक विषय की संज्ञा दी जाय तो अनुचित न होगा।
इतिहास विज्ञान है अथवा कला ? (History is a Science or Art ?)- सामान्यतः यह प्रश्न किया जाता है कि इतिहास विज्ञान है अथवा कला विज्ञान वास्तव में किसी विषय का क्रमबद्ध ज्ञान है। इस ज्ञान की प्राप्ति में निरीक्षण (Observation), परीक्षण एवं प्रयोग (Experiment) आदि साधनों का प्रयोग किया जाता है। अन्त में कुछ निष्कर्ष भी प्राप्त किए जाते हैं। इस दृष्टि से इतिहास को विज्ञान की संज्ञा नहीं दी जा सकती है, किन्तु इस संदर्भ में यह अवश्य कहा जा सकता है कि उसमें विज्ञान के तत्त्व अवश्य हैं और वह विज्ञान है भी, अन्तर केवल इतना है कि इतिहास समाज विज्ञान है, प्राकृतिक विज्ञान (Natural Science) नहीं।
इतिहास विज्ञान होने के साथ-साथ कला (Art) भी है। इसमें घटनाओं के तथ्यों के आंकलन और संकलन के साथ-साथ उनकी रचना भी होती है। यह कल्पना अपना कार्य करती है। वास्तव में इतिहास में अध्ययन की निष्पक्षता, आलोचनात्मकता और नवीनता के तथ्य दृष्टिगोचर होते हैं और इस कारण यह विज्ञान और कला दोनों ही है।
इतिहास की प्रकृति (Nature of History)
सामान्यतः यह प्रश्न किया जाता है कि इतिहास विज्ञान है अथवा कला। विज्ञान वास्तव में किसी विषय का क्रमबद्ध ज्ञान है। इस ज्ञान की प्राप्ति में निरीक्षण (Observation), परीक्षण एवं प्रयोग (Experiment) आदि साधनों का प्रयोग किया जाता है। अन्त में कुछ निष्कर्ष भी प्राप्त किए जाते हैं। इस दृष्टि से इतिहास को विज्ञान की संज्ञा नहीं दी जा सकती है, किन्तु इस संदर्भ में यह अवश्य कहा जा सकता है कि उसमें विज्ञान के तत्त्व अवश्य हैं और वह विज्ञान है भी, अन्तर केवल इतना है कि इतिहास समाज विज्ञान है, प्राकृतिक विज्ञान (Natural science) नहीं।
इतिहास विज्ञान होने के साथ-साथ कला (Art) भी है। इसमें घटनाओं के तथ्यों के आंकलन और संकलन के साथ-साथ उनकी रचना भी होती है। यह कल्पना अपना कार्य करती है। वास्तव में इतिहास में अध्ययन की निष्पक्षता, आलोचनात्मकता और नवीनता के तथ्य दृष्टिगोचर होते हैं और इस कारण यह विज्ञान और कला दोनों ही हैं।
इतिहास का क्षेत्र (Scope of History)
इतिहास की परिभाषा देते हुए हम यह स्पष्ट कर चुके हैं कि इतिहास एक प्राचीनतम विषय है जिसका आदि मानव का आदि है और जिसका विकास मानव का विकास एवं जिसका अन्त भी मानव के अन्त के साथ-ही-साथ सम्भव होगा। इस प्रकार इतिहास का मानव एवं मानव समाज के साथ अन्योन्याश्रित सम्बन्ध है। इनका सम्बन्ध विच्छेद कदापि सम्भव नहीं। इतिहास मानव की आदि से लेकर वर्तमान तक की एक क्रमिक एवं पूर्ण कहानी है। मानव विकास के हर-स्तर, हर पक्ष एवं हर पहलू से यह अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है। ऐसे विषय के क्षेत्र को स्पष्ट करना कोई अधिक दूर की बात नहीं है। यह विषय उतने क्षेत्र को घेरे हुए हैं जितने क्षेत्र को हमारा मानव समाज। मानव समाज की आदि से लेकर वर्तमान स्थिति तक की झाँकी ही इसका क्षेत्र है। जहाँ तक मानव पहुँच सके, इतिहास स्वभवतः वहाँ तक अपना जाल बिछा लेगा। मानव का सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक एवं राजनीतिक सभी पक्ष इसके क्षेत्र में आते हैं। किसी भी पक्ष को जो कि मानव से सम्बन्धित है, इससे अलग नहीं किया जा सकता है। हाँ यह बात दूसरी है कि किसी भी देश में उसके सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक पहलू राजनीतिक स्थिति से अनुप्राणित होते हैं अर्थात् इन पक्षों में परिवर्तन राजनीतिक परिवर्तनों पर निर्भर करते हैं किन्तु फिर भी इनका अध्ययन तो अलग ही किया जाता है अतः इतिहास भी राजनीतिक स्थिति का दिग्दर्शन कराते हुए इन सभी अन्य पक्षों की समान रूप से जानकारी कराती है।
इतिहास वर्तमान मानव समाज को ही अपने क्षेत्रान्तर्गत अध्ययनार्थ नहीं अपनाता है, वरन् उसका तो क्षेत्र भूतकालीन मानव समाज से बहुत कुछ मात्रा में सुसम्बद्ध है। वही तो वास्तविक रूप से उसके क्षेत्र को निर्धारित करते हुए उसकी विशालता का दिग्दर्शन कराता है। जोन्स (Jones) महोदय का कथन एक बार पुनः रखना इस स्थिति को स्पष्ट करने में बहुत ही सहायक सिद्ध होगा।
“History is a veritable mine of life experiences and the youth of today studies history that he may profit by the experiences of the race.”
इस क्षेत्र में हम इतिहास के बहुत ऋणी हैं। यह विषय हमको भूतकालीन अनुभवों का एक अक्षय कोष है और हम इन्हीं अनुभवों के आधार पर अपनी वर्तमान गति को नियंत्रित एवं प्रेरित करते हैं और यही वर्तमान गति भविष्य का पूर्व अनुभव होगी और उसका पथ-प्रदर्शन एवं निर्देशन करेगी। इस प्रकार इतिहास वर्तमान को तो अपने क्षेत्रान्तर्गत रखता है, भविष्य भी उसके क्षेत्र से बाहर नहीं है। कल के अनुभव आज के पूर्व अनुभव हैं और आज के अनुभव कल के पूर्व अनुभव होंगे। इतिहास इस प्रकार भूत, वर्तमान एवं भविष्य इन तीनों में ही मानव स्थिति की विवेचना करता है। इतिहास केवल इन समस्त स्थितियों की सूचना ही नहीं देता वरन् हमें सतर्क रहने के लिए चेतावनी भी देता है।
इतिहास मानव जीवन के हर अंग सम्बन्धित है। वह मानव के बौद्धिक विकास को भी प्रभावित करता है। बालक के मस्तिष्क को मोड़ देने के लिए प्रारंभ में उसे महान् पुरुषों की कथाओं को सुनाना चाहिए। स्थानीय इतिहास का ज्ञान कराना उचित होगा। वे कहाँ रहते हैं ? वहाँ की सामाजिक स्थिति कैसी है ? कौन-कौन सी विशेषताएँ एवं कमजोरियाँ उनके समाज में हैं ? कमियों को कैसे दूर किया जा सकता है ? आदि ऐतिहासिक तथ्यों से उन्हें अवगत कराना चाहिए। आने-जाने के साधनों से परिचित कराना; महान देशभक्तों की कथाओं द्वारा उनमें देशभक्ति की भावना को भरना इस विषय का सदुपयोग करना होगा।
उपर्युक्त वर्णन के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँच जाते हैं कि इसका क्षेत्र बड़ा ही विस्तृत है। यह क्षेत्र उतना ही विस्तृत है जितना कि मानव जाति और मानव के प्रत्येक पक्ष से सम्बन्धित है। संक्षेप में Lord Acton के अनुसार, “If the past has been an obstacle and a burden, knowledge of the past is the safest and surest emancipation.” -Acton
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