प्रयोग प्रदर्शन विधि अथवा डिमान्सट्रेशन मेथड से आप क्या समझते हैं ? इसके गुण-दोषों का वर्णन कीजिए।
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प्रयोग प्रदर्शन विधि (Demonstration Method)
विज्ञान प्रयोग पर आधारित रहता है। इसलिए विज्ञान शिक्षण में इस बात पर विशेष रूप से बल दिया जाता है कि छात्र जो कुछ भी सीखे, वह प्रयोग के आधार पर सीखे, वह प्रयोग के आधार पर सीखे। प्रयोग व्याख्या की पूर्ति करते हैं। किसी भी अस्पष्ट बात को प्रयोग प्रदर्शन द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है। यदि छात्रों को यह दिखाना है कि ताप से धातु का प्रसार होता है तो इसको छल्ले-गेंद वाले यन्त्र के प्रयोग द्वारा भली प्रकार प्रदर्शन द्वारा समझाया जा सकता है। इस विधि में छात्र कानों से प्रयोग के विषय में सुनते जाते हैं तथा आँखों से देखते जाते हैं। प्रयोग प्रदर्शन विधि में व्याख्यान विधि की कमी को पूरा किया जाता है। व्याख्यान विधि में छात्र केवल निष्क्रिय श्रोता बनकर बैठे रहते हैं जबकि प्रयोग प्रदर्शन विधि में उत्साहित तथा सक्रिय होकर भाग लेते हैं। माध्यमिक स्तर तक की विज्ञान कक्षाओं के लिए यह विधि सर्वोत्तम है।
प्रयोग प्रदर्शन विधि के गुण (Merits of Demonstration Method)
इस विधि के गुणों को निम्न क्रम में रखा जा सकता है-
- इसके अपनाने से कक्षा का वातावरण सक्रिय और सजग रहता है।
- अध्यापक तथा छात्र दोनों सक्रिय रहते हैं।
- यह विधि छात्रों की निरीक्षण शक्ति का विकास करती है।
- प्रयोग विधि प्रत्यक्ष ज्ञान प्रदान करने की सबसे सरल विधि है।
- यह रोचक विधि है तथा छात्रों में प्रयोगात्मक प्रवृत्ति का विकास करती है।
- इस विधि में स्थूल से सूक्ष्म की ओर चला जाता है अतः यह मनोवैज्ञानिक विधि है।
- यह विधि धन और समय की बचत करती है। कम उपकरणों द्वारा ही अध्यापक पूरी कक्षा को प्रयोग करके दिखा देता है। दूसरे, अध्यापक स्वयं प्रयोग करता है अतः समय भी कम लगता है।
- अध्यापक के श्रम की बचत होती है।
प्रयोग प्रदर्शन विधि के दोष ( Demerits of Demonstration Method )
इस विधि की कमियाँ या दोष इस प्रकार हैं-
- इस विधि में छात्रों को यन्त्रों तथा उपकरणों के प्रयोग के अवसर नहीं मिलते।
- कक्षा में जहाँ कि छात्रों की संख्या अधिक होती है, यह विधि अधिक प्रभावशाली नहीं होती।
- प्रयोग प्रदर्शित करते समय अध्यापक इतना लीन हो सकता है कि उसे ध्यान ही नहीं रहे कि छात्र प्रयोग को भली प्रकार समझ रहे हैं अथवा नहीं।
- इस विधि में छात्रों की अपेक्षा अध्यापक अधिक क्रियाशील रहता है।
- यह आवश्यक नहीं कि छात्र प्रयोग के समस्या भाग को ध्यान से देखते या सुनते रहें।
- प्रयोग में समस्त छात्रों का सहयोग नहीं लिया जा सकता।
- छात्रों की व्यक्तिगत कठिनाइयों की उपेक्षा होती है।
प्रयोग प्रदर्शन विधि के लिए सुझाव (Suggestions for Demonstration Method)
इस विधि हेतु निम्न सुझाव दिये जा सकते हैं-
- प्रयोग प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए अध्यापक को समस्त वैज्ञानिक यन्त्रों तथा उपकरणों का ज्ञान होना चाहिए।
- छात्रों के सामने प्रयोग प्रदर्शन करने से पूर्व अध्यापक को स्वयं अभ्यास कर लेना चाहिए। प्रयोग कभी असफल नहीं होना चाहिए।
- कक्षा में प्रयोग प्रदर्शन करने से पूर्व प्रयोग में आने वाले समस्त उपकरणों तथा यन्त्रों को प्रदर्शन मेज पर रख देना चाहिए। प्रयोग करते समय बीच-बीच में से उठकर जाना अनुचित है।
- प्रयोग अधिक लम्बे न हों। छात्र प्रयोग के परिणाम के लिए अधिक उत्सुक रहते हैं, अत: प्रयोग ऐसे किए जाएँ जिनके कि परिणाम शीघ्र निकल सकें।
- प्रयोग में आने वाले उपकरण आकार में इतने बड़े होने चाहिए कि कक्षा के समस्त छात्र सरलता से उन्हें देख सकें।
- प्रदर्शन किसी समस्या को हल करने या अवधारणा को स्पष्ट करने में सहायता पहुँचाने वाले होने चाहिए।
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