शिक्षाशास्त्र / Education

प्लेटो के अनुसार शिक्षा के पाठ्यक्रम | Curriculum of Education according to Plato in Hindi

प्लेटो के अनुसार शिक्षा के पाठ्यक्रम | Curriculum of Education according to Plato in Hindi
प्लेटो के अनुसार शिक्षा के पाठ्यक्रम | Curriculum of Education according to Plato in Hindi

प्लेटो के अनुसार शिक्षा के पाठ्यक्रम की विवेचना कीजिए।

पाठ्यक्रम

प्लेटो ने जीवन के विभिन्न भागों के लिए विभिन्न पाठ्यक्रम की व्यवस्था की, उसका विभाजन इस प्रकार था-

1. जन्म से तीन वर्ष तक की शिक्षा- जन्म लेते ही बालक को राज्य के संरक्षण में सौंप देना चाहिए। छोटे बालकों को उल्लासमय वातावरण में रखा जाना चाहिए, जिससे उनके चरित्र और उनकी रुचि का ठीक ढंग से विकास हो सके। उनकी प्रारम्भिक देखभाल भली प्रकार से होनी चाहिए। इन बालकों को पौष्टिक भोजन दिया जाये, क्योंकि प्रारम्भिक अवस्था में ही शरीर का स्वस्थ विकास हो सकता है। अतः उस समय सब प्रकार के क्लेश और संकट से उनकी रक्षा की जाये।

2. तीन वर्ष से सात वर्ष तक की शिक्षा – इस अवस्था की शिक्षा में बालकों को देवताओं की कहानियाँ सुनायी जायें, खेलकूद की सुविधाएँ देकर उनके स्वास्थ्य का विकास किया जाये, उनकी आरम्भिक रुचियों और प्रवृत्तियों को नैतिकता की ओर उन्मुख किया जाये और उन्हें महान पुरुषों की जीवनियों से परिचित कराया जाये, जिससे वे उनके पदचिन्हों पर चलकर अपनी आध्यात्मिक उन्नति कर सकें।

3. सात से तेरह वर्ष तक की शिक्षा – इस अवस्था की शिक्षा के पाठ्यक्रम में खेलकूद, पढ़ना-लिखना, कविता करना, गणित, संगीत, नीतिशास्त्र इत्यादि का समावेश हो। इस अवस्था में बालकों में विनय की भावना का समुचित विकास होना चाहिए। कुरूप और अरुचिकर वस्तुओं के सम्पर्क से उन्हें बचाना चाहिए। ऐसी कहानियों से भी बचाना चाहिए जिनसे शान्त धारणा बनने की आशंका हो तथा शिक्षा ऐसी रुचिकर ढंग से प्रदान की जानी चाहिए किं बालकों पर अत्यधिक दबाव न पड़े तथा उनमें आज्ञाकारिता, आत्म-संयम तथा सत्यवादिता के सद्गुणों का विकास हो। संगीत के अन्तर्गत गाना-बजाना तथा शिक्षाप्रद कथाओं का भी समावेश है, जिससे बालक के आत्मा का विकास हो और उन्हें विश्वास हो जाये कि ईश्वर प्रत्येक अच्छे कार्य का प्रणेता है।

4. तेरह से सोलह वर्ष तक की शिक्षा- यह किशोरावस्था का काल है। इसमें धार्मिक गीत, गणित तथा काव्य के अध्यापन का विधान है। वह संगीत और व्यायाम की समन्वयात्मक शिक्षा देना चाहता है। उसका कथन था कि संगीत से नवयुवक का स्वभाव कोमल और मृदुल हो जायेगा तथा व्यायाम और खेलों से शरीर निरोग रहेगा। वह आदर्श समाज के नागरिकों को पूर्ण स्वस्थ देखना चाहता था।

5. सोलह से बीस वर्ष तक की शिक्षा – इस काल में सैनिक शिक्षा को प्रधानता दी जाये। युवकों को ऐसे व्यायाम की शिक्षा दी जाये जो उनमें स्फूर्ति उत्पन्न करे। व्यायाम, घुड़सवारी, शस्त्र संचालन आदि की शिक्षा को उसने प्रमुखता दी। उसका विश्वास था कि इनसे स्वस्थ शरीर के साथ ही साथ उनमें संयमभाव का भी विकास होगा। जब युवक 20 वर्ष का हो । जायेगा तो कठिन परीक्षा द्वारा देखा जायेगा कि उसमें उच्च शिक्षा की प्रतिभा है या नहीं। इस परीक्षा में युवक की सहनशीलता, साहस, योग्यता और आरम्भिक शक्ति की जाँच की जाती थी। यदि उपर्युक्त गुणों की क्षमता उसमें पायी जाती थी। तभी वह उच्च शिक्षा का अधिकारी समझा जाता था।

6. बीस वर्ष से तीस वर्ष तक की शिक्षा – इस काल में चुने हुए स्त्री-पुरुष दस वर्ष तक वैज्ञानिक विषयों का अध्ययन करें, जिसके अन्तर्गत अंकगणित, रेखागणित, ज्योतिषशास्त्र, हारमोनिक्स अर्थात् संगीत की गणितमय विधि का उच्च तथा व्यवस्थित अध्ययन समाविष्ट है। ये विषय किसी भी प्रकार के व्यावहारिक कार्य के लिए नहीं वरन् सिद्धान्त के रूप में सिखाये जायेंगे। इस प्रकार वे नागरिक चिन्तन-मनन में योग्यता प्राप्त करेंगे।

7. तीस से पैंतीस वर्ष तक की शिक्षा – उपर्युक्त अध्ययन काल में जिन स्त्री-पुरुषों को उच्च अधिकारी बनने के योग्य समझा जाये उन्हें पाँच वर्ष के लिए उच्च शिक्षा दी जाये। इस अवस्था में भाषण में प्रवीणता तथा तर्क करने की योग्यता के साथ दर्शनशास्त्र, शिक्षाशास्त्र, कानून और मनोविज्ञान का गहन अध्ययन कराया जाये।

8. पैंतीस से पचास वर्ष तक की शिक्षा- इसे प्लेटो व्यावहारिक शिक्षा का काल कहते हैं। इतनी योग्यता सम्पादित कर चुकने पर यही वर्ग पन्द्रह वर्ष तक राज्य का शासन संभालेगा। इन्हें पचास वर्ष की अवस्था से मुक्त कर दिया जायेगा। अवकाश प्राप्ति के बाद वे अपना जीवन सत्य की खोज में बितायेंगे और उच्च दर्शन का अध्यसन करके सबका मार्गदर्शन करेंगे।

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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