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भाषा प्रयोगशाला का अर्थ एवं परिभाषा | भाषा प्रयोगशाला में उपकरण तथा प्रक्रिया

भाषा प्रयोगशाला का अर्थ एवं परिभाषा | भाषा प्रयोगशाला में उपकरण तथा प्रक्रिया
भाषा प्रयोगशाला का अर्थ एवं परिभाषा | भाषा प्रयोगशाला में उपकरण तथा प्रक्रिया

भाषा प्रयोगशाला से आप क्या समझते हैं ? भाषा प्रयोगशाला उपकरण तथा प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।

भाषा प्रयोगशाला का अर्थ एवं परिभाषा

भाषा प्रयोगशाला का अर्थ स्पष्ट करने के लिए कुछ विद्वानों ने परिभाषाएँ दी हैं जिनका विवरण निम्न प्रकार है

1. ए0एस0 हियास (A. S. Hayas), “ने भाषा प्रयोगशाला की परिभाषा इस प्रकार दी है, “भाषा प्रयोगशाला एक कक्षा-कक्ष (Classroom) है जिसमें विदेशी भाषा के अधिगम को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए विशेष प्रकार के उपकरण जुटाए जाते हैं। सामान्यतया यह कार्य साधारण व्यवस्था में इतना प्रभावशाली नहीं बन सकता।”

2. रॉबर्ट लेडो (Robert Lado) के अनुसार, “भाषा प्रयोगशाला भाषा शिक्षण का केन्द्र है जिसमें छात्रों को सुनने, बोलने, पढ़ने तथा लिखने आदि के लिए नियन्त्रित वातावरण प्रदान किया जाता है।”

भाषा प्रयोगशाला में उपकरण तथा प्रक्रिया

भाषा प्रयोगशाला के निम्नलिखित तीन अनुभाग होते हैं-

  1. श्रवण (सुनना) कोष्ठ-बूथ (Hearing Booths),
  2. परामर्शदाता / सलाहकार का कोष्ठ (Adviser or Constole’s Booth),
  3. नियन्त्रण कक्ष (Control Room)।

(1) श्रवण कोष्ठ- प्रायः भाषा प्रयोगशाला में 16 अथवा 20 श्रवण कोष्ठ होते प्रत्येक कोष्ठ में एक मेज तथा कुर्सी होती है जिस पर बैठकर छात्र कार्य कर सकता है। कोष्ठ में अन्य सामग्री निम्न प्रकार होती है

  1. दूरभाष परामर्शदाता से वार्तालाप के लिए,
  2. श्रवणेन्द्रिय दूरभाष- ईयर फोन (Ear Phone),
  3. स्विस (Switches),
  4. टेप रिकॉर्डर (Tape Recorder) ।

ऊपर दर्शाये गये यन्त्रों से छात्रों का नियन्त्रण कक्ष से सम्पर्क स्थापित होता है। अपनी आवाज को रिकार्ड करने तथा फिर सुनने का प्रबन्ध होता है, छात्र आवश्यकतानुसार टेप का चुनाव कर लेते हैं।

प्रत्येक कोष्ठ की चार फुट की ऊँची दीवारें अथवा अलग-अलग भाग होते हैं ताकि छात्र बिना किसी बाधा के अपने कार्य कर सके। छात्र परामर्शदाता से परामर्श ले सकता है।

(2) परामर्शदाता का कोष्ठ- इस कोष्ठ में कई टेप तथा मास्टर टेप रहते हैं तथा इस प्रकार की व्यवस्था रहती है जिससे परामर्शदाता छात्र से सम्पर्क स्थापित कर सके।

परामर्शदाता के कोष्ठ में निम्नलिखित सामग्री उपलब्ध होती है-

(i) डिस्ट्रीब्यूशन स्विच्स (Distribution Switches) – इनके माध्यम से छात्रों के लिए रिकार्ड किया गया प्रोग्राम नियन्त्रित किया जाता है।

(ii) मॉनीटरिंग स्विच्स (Monitoring Switches) – इनके माध्यम से छात्रों की आवाज आदि को परामर्शदाता सुन सकता है तथा उपयुक्त सुधार कर सकता है।

(iii) इण्टरकॉम स्विच्स (Intercom Switches) – इनके द्वारा छात्रों से दोतरफा (Two-way) सम्प्रेषण किया जाता है।

(iv) ग्रुप कॉल स्विच (Group Call Switch) – इसके द्वारा उन छात्रों के लिए घोषणाएँ की जाती हैं जो विशेष टेप से कार्य करते हों।

(v) ऑल काल स्विच (All Call Switch)- यह सभी छात्रों के लिए घोषणाएँ करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।

(3) नियन्त्रण कक्ष – इस कक्ष में सभी प्रकार के टेप रिकार्ड तथा उपकरण होते हैं। ताकि आवश्यकतानुसार छात्रों को उपलब्ध कराये जो सकें।

(i) अध्यापक अथवा परामर्शदाता मास्टर टेप का प्रयोग करता है। प्रत्येक कोष्ठ में विद्यमान टेप में आवाजों को रिकार्ड कर लिया जाता है।

(ii) छात्र अपने टेप को सुनता है तथा मौखिक अनुक्रिया करता है। ये अनुक्रियाएँ छात्र के बूथ में रखे गये उपकरण द्वारा रिकार्ड की जाती हैं। छात्र अपने टेप का अनेक बार प्रयोग कर सकता है। वह स्वयं जान जाता है कि उसकी उपलब्धियाँ संतोषजनक हैं अथवा नहीं।

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About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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