मध्यमान (Mean) का अर्थ स्पष्ट करते हुये अवर्गीकृत आंकड़ों व वर्गीकृत आंकड़ों से मध्यमान ज्ञात करने की विधि को उदाहरण सहित समझाइए।
मध्यमान (Mean) का अर्थ – यह केन्द्रीय प्रवृत्ति के मापों में सर्वाधिक प्रचलित हैं क्योंकि यह सबसे अधिक विश्वसनीय माध्य है। सामान्य रूप से इसके लिए औसत शब्द का प्रयोग होता है। इसे गणितीय मध्यमान भी कहा जाता है। मध्यमान वह मान है, जो समस्त पदों के मूल्यों के योग को पदों की संख्या से भाग देने पर प्राप्त होता है। इसका मान ज्ञात करने में समूह के समस्त पदों का उपयोग किया जाता है, जिससे इस माध्य की वैधता और बढ़ जाती है। मध्यमान के सम्बन्ध में विभिनन विद्वानों के विचार निम्नलिखित हैं-
मिल्स- “समान्तर माध्य या मध्यमान किसी वितरण का समतोलन केन्द्र है। “
किंग- “मध्यमान वह मूल्य है, जो समंक माला के सभी पदों के योग को उनके पदों की संख्या से भाग देने पर प्राप्त होता है।”
गैरिट- “गणितीय मध्यमान या अधिक संख्या में कहे जाने पर मध्यमान विभिन्न प्राप्तांकों या मापनों का वह कुल योग है, जो उनकी संख्या से भाग देने पर आता है। “
गिलफोर्ड- “माध्य परीक्षणों या व्यक्तियों को समूह के केन्द्रीय मूल्य की ओर संकेत करने वाली संख्या है। “
Contents
(अ) अवर्गीकृत आंकड़ों से मध्यमान निकालना
अवर्गीकृत आंकड़ों से मध्यमान ज्ञात करने के लिये निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग होता है-
सूत्र- M = ∑x/N
इसमें- M= Mean (मध्यमान); ∑ = योग; x = दिये हुए प्राप्तांक ; N = प्राप्तांकों की संख्या
मध्यमान ज्ञात करने की विधि- मध्यमान ज्ञात करने के लिये सर्वप्रथम दिये हुए प्राप्तांकों का योग Zx ज्ञात करते हैं तत्पश्चात् दिये हुए प्राप्तांकों की संख्या N से भाग देने पर जो भजनफल आता है, वह अभीष्ट मध्यमान (Mean) होता है।
उदाहरण- एक कक्षा के 9 छात्रों ने एक परीक्षा में निम्नलिखत अंक प्राप्त किये। उनके प्राप्तांकों का मध्यमान ज्ञात कीजिये।
30,20,40,35,25,39,21,41, 19
छात्रों की संख्या (N=9)
प्राप्तांकों का योग (∑x) = 30+20+40+35+25+39+21+41+19 = 270
मध्यमान (Mean)= ∑x/N = 270/9= 30
(ब) आवृत्ति वाले अवर्गीकृत आंकड़ों से मध्यमान निकालना
आवृत्ति वितरण वाले अवर्गीकृत आंकड़ों से मध्यमान ज्ञात करने के लिये निम्नलिखित सूत्र प्रयुक्त होता है।
सूत्र- M = Σfx /N
इसमें- M= Mean (मध्यमान) ; ∑ = योग; f= आवृत्तियां; x = प्राप्तांक; N= आवृत्तियों का कुल संख्या
मध्यमान ज्ञात करने की विधि- मध्यमान ज्ञात करने के लिए सर्वप्रथम प्राप्तांकों का संगति आवृत्तियों से गुणनफल (fx) ज्ञात करते हैं। तत्पश्चात् समस्त गुणनफलों का योग (∑fx) निकालकर प्राप्तांकों की कुल संख्या (N) से भाग देते हैं। इस प्रकार जो भजनफल आता है वही अभीष्ट मध्यमान होता है-
उदाहरण– प्राप्तांक- 5, 10, 15, 20, 25, 30, 35, 40, 45,50
आवृत्तियाँ- 20,43,75,67, 72, 45, 39, 9, 8, 6 का मध्यमान की गणना कीजिए।
प्राप्तांक | आवृत्तियाँ (f) | आवृत्तियों का गुणनफल (fx) |
5 | 20 | 100 |
10 | 43 | 430 |
15 | 75 | 1125 |
20 | 67 | 1340 |
25 | 72 | 1800 |
30 | 45 | 1350 |
35 | 39 | 1365 |
40 | 9 | 360 |
45 | 8 | 360 |
50 | 6 | 300 |
N= 384 | ∑fx= 8530 |
M= ∑fx/N= 8530/384= 22.2
(स) वर्गीकृत आंकड़ों से मध्यमान निकालना
वर्गीकृत आंकड़ों से मध्यमान निकालने में दो विधियां प्रयुक्त होती हैं।
- लम्बी विधि
- लघु विधि
(1) लम्बी विधि द्वारा मध्यमान ज्ञात करना- इस विधि द्वारा मध्यमान ज्ञात करने में M = ∑fx/N सूत्र का प्रयोग किया जाता है परन्तु इस सूत्र से मध्यमान ज्ञात करने में ∑fx के लिए आवृत्तियां और मध्यबिन्दुओं के गुणनफल का योग लिखा जाता है। इसमें सर्वप्रथम सभी वर्गान्तरों के मध्य बिन्दु ज्ञात करते हैं फिर आवृत्तियों और मध्यम बिन्दुओं का गुणा करके उनका कुल योग ∑fx ज्ञात करते हैं अन्त में समस्त मानों को निम्नलिखित सूत्र में रखकर मध्यमान ज्ञात कर लेते हैं-
सूत्र- M = ∑fx/N
इसमें- M= Mean (मध्यमान) ; ∑ = योग ; f= आवृत्तियां ;x = मध्य बिन्दू ; N= प्राप्तांकों की कुल संख्या
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