महिला समाख्या कार्यक्रम के प्रमुख घटक
महिला समाख्या कार्यक्रम के प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं-
(1) संघ- महिला समाख्या कार्यक्रम के नोडल केन्द्र मुहिला संघ हैं और इस कार्यक्रम की समस्त गतिविधियों का संचालन इनके द्वारा ही होता हैं। महिला संघ एक ऐसा स्थान प्रदान करते हैं जहाँ सभी महिलायें आपस में मिल सकती हैं। व अपने सामूहिक कार्यों द्वारा अपने विचार प्रकट करना, प्रश्न करना, निर्भयतापूर्वक अपनी बात कहना, चिन्तन व विश्लेषण करना व अपनी आवश्यकताओं को आत्मविश्वास से व्यक्त करना जैसे प्रक्रियायें आरम्भ करती हैं। जहाँ तक संभव हो सकता हैं, अपनी समस्याओं जैसे- ईधन, चारा, पीने का पानी आदि का समाधान ब्लाक व जिला प्रशासन स्तर पर बातचीत कर व कार्य प्रारम्भ करके कर लेती हैं।
महिला संघों के समर्थन देने हेतु, हर तीन साल हेतु, प्रत्येक संघ के लिए एक लघु कोष निर्धारित किया जाता हैं ये फंड (कोष) महिला संघ के नाम से जमा किये जाते हैं व एक सामान्य व सर्वसम्मत उद्देश्यों हेतु सघ की महिलाओं द्वारा इसका सामूहिक उपयोग किया जाता हैं। इस संघ के कोषीय धन के प्रयोग का विस्तृत वितरण, राज्य महिला समाज की कार्यकारिणी समिति द्वारा निश्चित किया जाता हैं।
इस कार्यक्रम का दीर्घावधि उद्देश्य शक्तिशाली संघों का निर्माण करना हैं जो स्वायत्तता पूर्वक व पूर्ण क्षमता के साथ कर सकें। ऐसे क्षेत्रों में इन संघों का प्रयोग महिला समाख्या कार्यक्रम के गाँव के अन्दर व पास पड़ोस के गाँवों में विस्तार हेतु भी किया जाता हैं व इसके लिए नये संघ बनाये जाते व महिला समाख्या योजना को दूसरे भागों में भी प्रचारित किया जाता हैं ऐसे क्षेत्रों में राज्य की महिला समाख्या सभा, सतत रूप से ग्राम्य स्तर पर कार्यक्रम के क्रियान्वयन हेतु प्रत्यक्षतः शामिल ही नहीं होती हैं बल्कि वही संसाधन भी उपलब्ध कराती हैं जहाँ आवश्यकता होती हैं।
(2 ) सहयोगिनी- महिला समाख्या कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिए एक सहयोगिनी होती हैं, जो 10 गाँवों की प्रेरक, समर्थक व निर्देशक होती हैं। संघों में महिलाओं को गतिशील बनाने व संगठित करने का प्रारम्भिक प्रयास सहयोगिनों द्वारा किया जाता है। वह दस गाँवों के बीच की एक समन्वयक कड़ी होती हैं व जिला स्तर पर शैक्षिक संस्थाओं की संरचना को समर्थन देती हैं।
सहयोगिनों जैसे-जैसे अनुभव प्राप्त करती जाती हैं कार्यक्रम के नियोजन और क्रियान्वयन, प्रशिक्षण व जिला इकाई के साथ क्रियाओं के समन्वयन में उसका योगदान और मुखर होता जाता हैं। पुराने क्षेत्रों में जहाँ संघ शक्तिशाली हैं और स्वायत्तपूर्वक कार्य कर रहे हैं, सहयोगिनियों की भूमिका भी बदल गई है और वे गतिशील कार्यकर्त्री, पहलू आधारित ज्ञान प्रदाता एवं लिंग व वर्ण आधारित सूचना प्रादाता की जगह विशेषज्ञ व सुविधा प्रदाता बन गई हैं। ऐसे क्षेत्र में सहयोगिनियों को चरणबद्ध तरीके से निकाला जायेगा और उनके द्वारा किये जाने वाले कार्यों को समूहों व शक्तिशाली संघों द्वारा पूरा किया जायेगा। पुराने जिलों में सहयोगिनियों को अगले 2 वर्षों में निकाले जाने की संभावना हैं और पाँच वर्षों मे उन्हें महिला समाख्या क्षेत्रों में समायोजित किया जायेगा।
( 3 ) फेडरेशन समूह- नौवीं योजना में भी पुराने महिला समाख्या जिलों में महिला संघों के समूह को स्थापित किया गया। ये संघ समूह, जिला व राज्य स्तर पर महिला समाख्या की गतिविधियों के समन्वयन में मुख्य भूमिका अदा करेगें। जैसे-जैसे ये शक्तिशाली संघ अपनी कार्यविधि में ज्यादा स्वायत्त होते जायेंगे, इन्हें महिला केन्द्र, नारी अदालत जैसे संगठनों के समन्वयन, मूल्यांकन व प्रबन्धन का कार्य भी सौपा जायेगा। ये संघ महिलाओं द्वारा किए गए सामूहिक कार्यों का शक्ति प्रदान करते हुए फोरम के रूप में भी कार्य करेंगे। इस प्रकार ये संघ महिला समाख्या कार्यक्रम के लिए एक ‘विकसित रणनीति’ की तरह होगी।
शैक्षिक गतिविधियों की गतिशीलता हेतु जहाँ कहीं भी कोष की आवश्यकता होगी, उसे इन समूहों द्वारा ही संघों तक प्रेषित किया जायेगा। महिला समाख्या योजना जिला व ब्लाक स्तर तक इन समूहों को विभिन्न संगठनों के माध्यम से प्रशिक्षण देगी व इनकी क्षमता व संसाधनों में वृद्धि करेगी। ये फेडरेशन (समूह) जिले के अन्दर व पड़ोसी जिले में कार्यक्रम के विस्तार हेतु तेजी से कार्य करेंगे।
(4) शैक्षिक गतिविधियों- महिला समाख्या कार्यक्रम द्वारा महिलाओं व किशोरियों को सतत् शिक्षा हेतु प्रोत्साहित किया जाता है तथा उन्हें अपने अनुभवों के अन्य क्षेत्रों में विस्तारित हेतु आवश्यक मदद भी दी जाती हैं। इस कार्यक्रम द्वारा महिला केन्द्रों को शिक्षित व प्रशिक्षित महिलाओं के जाग्रत समूह के रूप में संरचित किया जाता हैं जो ग्राम्य स्तर पर शैक्षिक गतिविधियों के विकास में अपनी प्रभावी भूमिका अदा करते हैं। ये केन्द्र अत्यन्त गुणवत्तापूर्ण व लिंगभेदरहित शिक्षा को उन किशोरियों तक पहुँचाते हैं जो कभी स्कूल नहीं गयी हैं या जिन्होंने विद्यालय छोड़ दिया हैं और इस समय प्रौढ़ावस्था में हैं।
इस योजना में केवल सेवाओं व संसाधनो को प्रदान कर देना मात्र ही सम्मिलित नहीं हैं। चूंकि महिला संघों को सेवाओं व संसाधनों को उपयुक्त लोगों तक पहुँचाने में समस्या होती हैं, अतः यह कार्यक्रम इन महिला संघों को इस योग्य बनाता हैं कि उनकी संसाधनों तक प्रभावी पहुँच हो तथा वे संसाधनों की उपयोगिता हेतु उसे ग्राम, ब्लाक स्तर पर उपलब्ध कर सके, विशेषतः सरकार द्वारा प्रायोजित महिला कार्यक्रमों जैसे सर्व शिक्षा अभियान, बाल समन्वित विकास सेवा, प्रौढ़ व सतत् शिक्षा केन्द्र, इन्द्रिरा महिला योजना व राष्ट्रीय महिला कोष जैसे कार्यक्रमों में अतः इन योजनाओं को समाज हेतु लाभप्रद बनाने हेतु ग्राम्य व अन्य स्तरों पर महिला समाख्या, महिला संघ, महासंघ जैसे कड़ियों का जोड़ा जाता हैं।
(5) प्रशिक्षण- महिला समाख्या कार्यक्रम की प्रक्रियाओं को गति प्रदान करने हेतु व कार्यक्रम में मूल्यों व दृष्टिकोण को शक्ति प्रदान करने हेतु प्रशिक्षण की भी बड़ी भूमिका हैं। महिला समाख्या कार्यक्रम में प्रशिक्षको का एक ही समय कई घटनाओं की श्रृंखला के बजाय, निरन्तर चलने वाली क्रिया के रूप में देखा जाता हैं।
प्रत्येक प्रशिक्षण कार्यक्रम चाहे वह कार्यक्रम के कार्यकर्ताओं के लिए हो या संघ की महिलाओं हेतु हो, उसमें इस कार्यक्रम के सि(न्तों की झलक मिलती हैं। इसमें प्रशिक्षणकर्ता व प्रशिक्षणार्थी के विभाजन के बजाय क्षेत्रों के सम्मिलित प्रयासों को शामिल किया जाता है। प्रशिक्षण आनुभविक होता है। और प्रत्येक व्यक्ति के अनुभवों, शक्तियों व क्षमताओं की जानकारी का प्रारम्भिक बिन्दु होता हैं। क्रियान्वयन की प्रक्रिया के दौरान प्राप्त किए गए अनुभव व दूरदृष्टि, प्रशिक्षण को एक सार्थक दिशा देते हैं। प्रशिक्षण की क्रियाओं के इस तरह के पारस्परिक सामंजस्य व विश्वास भरे माहौल में महिलायें निर्णय लेना, नेतृत्व प्राप्त करना व अपने भाग्य को बदलने हेतु सामूहिक रणनीतियों का विकास करना आदि सीखती हैं।
(6) मानीटरिंग व अनुश्रवण (मूल्यांकन)- मानीटरिंग और मूल्यांकन किसी भी कार्यक्रम की प्रक्रियाओं की सफलता हेतु आवश्यक होते हैं कार्यक्रम को किस सीमा तक विकसित कर लिया गया हैं, कार्यक्रम के आधारभूत उद्देश्यों व समूह निर्माण के स्तर का अनुमान व सहभागी मूल्यांकन प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी ली जाती हैं । इसके अतिरिक्त कार्यक्रम के क्रियान्वयन का मूल्यांकन फ्रामिक राज्य व राष्ट्रीय स्तरीय मूल्यांकनकर्ताओं के द्वारा किया जाता हैं। विर्तीय एजेन्सियों के द्वारा भी सामूहिक मूल्यांकन कराया जाता हैं।
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