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मानकीकृत बुद्धि परीक्षा | Standardised Intelligence Tests in Hindi

मानकीकृत बुद्धि परीक्षा | Standardised Intelligence Tests in Hindi
मानकीकृत बुद्धि परीक्षा | Standardised Intelligence Tests in Hindi

मानकीकृत बुद्धि परीक्षा क्या है? मानकीकृत बुद्धि परीक्षा की उपयोगिता का वर्णन कीजिए।

मानकीकृत बुद्धि परीक्षा (Standardised Intelligence Tests)

मानकीकृत बुद्धि परीक्षा (Standardised Intelligence Test) एक ऐसी बुद्धि परीक्षा है जिसमें कुछ मानकों के आधार पर बुद्धि का परीक्षण करके निष्कर्ष निकाले जाते हैं। इन निष्कर्षों के आधार पर बालक को बुद्धि-लब्धि के अनुसार वर्गीकृत कर दिया जाता है। बुद्धि परीक्षा का शैक्षिक एवं सामाजिक क्षेत्र में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसी के आधार पर बालकों के कार्य, व्यवहार एवं कुशलता का आकलन किया जाता है। मानकीकृत बुद्धि परीक्षण को मनोविज्ञान की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक कहा जाता है। यह निश्चित रूप से एक व्यापक अविष्कार है। चूँकि अल्फ्रेड बिनेट ने पहली बार 1900 के दशक में शुरूआती दौर में परसियन बच्चों की पहचान करने के लिए मानकीकृत परीक्षण का इस्तेमाल किया, इसलिए मानसिक मंदता और सीखने में विकलांग बच्चों की पहचान करने के लिए यह एक प्राथमिक उपकरण बन गया। यह परीक्षण विभिन्न प्रकार की योग्यता और उपलब्धि परीक्षणों को जन्म दिया है। इसके द्वारा विद्वानों ने वेवस्सेलर इंटेलिजेंस स्केल (WISC) और स्टैनफोर्ड-बिनेट इंटेलिजेंस स्केल को अपडेट करने के लिए परीक्षणों को उल्लेखित किया है। इसके द्वारा विद्यालयों एवं चिकित्सीय क्षेत्र में अनेक परीक्षण किये जाते हैं।

मानकीकृत बुद्धि परीक्षा की उपयोगिता (Use of Standardised Intelligence Tests)

शिक्षा के क्षेत्र में बुद्धि-परीक्षाओं की विशेष उपयोगिता है। आधुनिक युग में बालक को में केन्द्र मानकर शिक्षा प्रदान की जाती है। इस हेतु बालक की बुद्धि एवं योग्यता को ध्यान में रखते हुए शिक्षा प्रदान करना आवश्यक हो जाता है। फलस्वरूप बुद्धि-परीक्षायें शिक्षा का महत्त्वपूर्ण साधन बन गयी है। इनकी उपयोगिता निम्नलिखित दृष्टियों से है-

1. छात्रों के चयन में सहायता- बुद्धि-परीक्षाओं के माध्यम से उपयुक्त छात्रों को उपयुक्त कक्षाओं में प्रवेश देने में सहायता प्राप्त होती है। छात्रों को प्रवेश आसान हो जाता है और अनुपयुक्त छात्रों को छाँट दिया जाता है।

2. बालकों के मनोवैज्ञानिक वर्गीकरण में सहायता- बुद्धि-परीक्षाओं के माध्यम से बालकों को विभिन्न वर्गों में बाँट दिया जाता है, यथा तीव्र बुद्धि, सामान्य बुद्धि और मन्द-बुद्धि । विभिन्न प्रकार की बुद्धि वाले छात्रों को अलग-अलग वर्गों में बाँटकर उनकी योग्यतानुसार उन्हें शिक्षा प्रदान की जा सकती हैं।

3. विशिष्ट योग्यता की माप में सहायता- बुद्धि-परीक्षाओं द्वारा विद्यालय में सर्वोत्तम बालकों का चुनाव सम्भव है। जो बालक जिस क्षेत्र में विशिष्ट योग्यता रखते हैं उनसे उसी प्रकार के कार्य कराये जाते हैं।

4. समस्यात्मक बालकों से व्यवहार करने में सहायता- बुद्धि परीक्षाओं द्वारा छात्रों की बुद्धि-लब्धि का पता लगता है। यह भी प्राप्त होता है कि उनके व्यवहार का कारण बुद्धि की कमी है अथवा अन्य कोई कारण बुद्धि परीक्षा द्वारा छात्रों के असामान्य व्यवहार के कारणों की जानकारी प्राप्त करके उनका उपचार एवं सुधार किया जा सकता है।

5. बालकों की क्षमता के अनुसार कार्य देने के सहायता- बुद्धि-परीक्षा द्वारा छात्रों की बुद्धि-लब्धि का ज्ञान प्राप्त हो जाने पर उन्हें उनकी क्षमतानुसार कार्य देने में सहायता प्राप्त होती है।

6. पाठ्य-विषयों के चयन में सहायता- बुद्धि-परीक्षाओं के आधार पर यह भी जाना जा सकता है कि किसी बालक के लिए कौन-कौन विषयों का अध्ययन करना उपयुक्त होगा।

7. बालक के भविष्य की ओर संकेत- डगलस एवं हालैण्ड का विचार है, “बुद्धि-परीक्षाएँ, छात्रों की भावी सफलताओं की ओर संकेत करती हैं। इन परीक्षाओं द्वारा उनकी भावी संभावनाओं का पता लगाया जा सकता है।”

8. वार्षिक परीक्षाओं के समय सहायता- इन परीक्षाओं के आधार पर वार्षिक परीक्षाओं में भी सहायता प्राप्त होती है। यदि कोई कुशाग्र बुद्धि का बालक वार्षिक परीक्षा में  कम अंक प्राप्त करत है तो उसे आगे की कक्षा में बढ़ाया जा सकता है।

9. अध्यापकों को शिक्षण कार्य में सहायता बुद्धि- परीक्षण द्वारा तीव्र बुद्धि, सामान्य बुद्धि एवं मंद बुद्धि के बालकों को अलग-अलग वर्गों में रखा जाता है। इस तरह की कक्षा में जिसमें एक ही स्तर की बुद्धि के बालक होते हैं, शिक्षकों को पढ़ाने में सुविधा प्राप्त होती है और बालक भी ध्यान लगाकर पढ़ते हैं।

10. विद्यार्थियों की प्रगति का ज्ञान- बुद्धि-लब्धि का प्रयोग करके शिक्षक यह ज्ञात कर सकता है कि विद्यार्थी अपनी योग्यतानुसार विभिन्न विषयों में प्रगति कर रहा है अथवा नहीं। इस तरह की परीक्षाओं में विद्यार्थियों द्वारा किये गये परिश्रम की जाँच की जा सकती है।

11. अध्यापक के कार्य की जाँच- बुद्धि-परीक्षणों द्वारा इस बात की जानकारी भी की जा सकती है कि अध्यापक छात्र को संतोषजनक ढंग से पढ़ा रहा है अथवा नहीं।

12. छात्रवृत्ति देने के निर्णय करने में सहायता- इन परीक्षाओं से बुद्धि-परीक्षण करके योग्य छात्रों को छात्रवृत्ति देने में सहायता प्राप्त की जा सकती है।

13. व्यवसाय सम्बन्धी मार्गदर्शन में सहायता- बुद्धि-परीक्षाओं के उपयोग से बालकों की व्यावसायिक योग्यता का अनुमान लगाया जा सकता है और उन्हें व्यवसाय के चुनाव में सहायता प्रदान की जा सकती है

14. मानसिक अस्वस्थता का निदान- बुद्धि परीक्षाओं के माध्यम से बालकों की मानसिक अस्वस्थता का पता लगाकर उसका उपचार करने में सहायता प्राप्त होती है।

15. शिक्षा में अपव्यय का निवारण- यह देखा जाता है कि विद्यालयों में अनेक छात्र परीक्षाओं में अनुत्तीर्ण होने पर पढ़ाई छोड़ देते हैं। इसलिए अपव्यय को दूर करने के हेतु बुद्धि परीक्षाओं द्वारा बालकों की योग्यताओं का ज्ञान प्राप्त करके उन्हें उन्हीं पाठ्य-विषयों का चुनाव करने में सहायता प्रदान की जाती है जिनका अध्ययन वे कर सकें।

16. व्यक्तियों के विशिष्ट वर्गों के अध्ययन में सहायता- बुद्धि-परीक्षाओं के द्वारा विशिष्ट वर्गों जैसे अंधे, बहरे, गूंगे तथा अन्य जातीय समुदायों के बौद्धिक स्तर का सर्वेक्षण करने में सहायता प्राप्त होती है। इस तरह यह परीक्षण व्यक्तियों के विशिष्ट वर्गों के अध्ययन में सहायता प्रदान करता है।

17. उद्योग एवं व्यावसायिक क्षेत्र में उपयोगिता- बुद्धि-परीक्षाओं द्वारा सरकारी एवं गैर-सरकारी सेवाओं के हेतु अधिकारियों, कर्मचारियों के चुनाव में भी सहायता प्राप्त होती है।

18. मानसिक अस्वस्थता का निदान एवं उपचार- बुद्धि परीक्षणों द्वारा बालकों की मानसिक अस्वस्थता का पता लगाकर उनका उचित उपचार किया जा सकता है।

19. छात्रवृत्ति प्रदान करने में सहायता- योग्य प्रतिभाशाली बालकों को छात्रवृत्ति देने में में बुद्धि परीक्षणों द्वारा सहायता ली जा सकती है। वर्तमान समय में जैसे-जैसे मनोविज्ञान का महत्त्व बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे बुद्धि-परीक्षणों का भी विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग बढ़ा रहा है। बुद्धि- परीक्षणों के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुये गेट्स ने लिखा है, “बुद्धि परीक्षण मानवीय संगठन के बहुत से क्षेत्रों में शक्ति प्रदान करता है। मनोवैज्ञानिक बालकों के विभिन्न लक्षणों जैसे- स्वभाव, सुझाव, क्षमता, दयालुता, कोमल हृदयता, संयोगात्मकता इत्यादि का मूल्यांकन करने के लिये परीक्षणों के निर्माण में व्यस्त है।”

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About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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