पर्यवेक्षण को प्रभावशाली बनाने के लिए किन नियमों को ध्यान में रखना चाहिए ?
शैक्षिक पर्यवेक्षण को प्रभावशाली बनाने हेतु कुछ नियम (Principles for Effective Educational Supervision)
शैक्षिक पर्यवेक्षण की प्रभावशीलता में वृद्धि करने के लिए यद्यपि कुछ विशेषताओं का उल्लेख किया जा चुका है तथापि विद्वानों द्वारा निर्देशित कुछ ऐसे नियम भी हैं, जो पर्यवेक्षण कार्य को प्रभावशाली बनाने में सहायक हैं। संक्षेप में इन नियमों को निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है-
नियम निर्धारक | नियम |
1. जान रोरर (John Rearer) |
|
2. बार, वर्टन एवं ब्रुकनर (Bar, Burton & Brukner) |
|
3. ब्रिग्स तथा ज़स्टमैन (Briggs and Justman) |
|
शैक्षिक पर्यवेक्षण के उपर्युक्त नियमों का विवेचन, संक्षेप में निम्न प्रकार किया जा रहा है-
1. उद्देश्यपूर्ति तथा सहयोग से सम्बन्धित (Related with Aims & Cooperation) – शैक्षिक पर्यवेक्षण किन्हीं उद्देश्यों पर आधारित होना चाहिए। निरुद्देश्य पर्यवेक्षण तो समय तथा शक्ति का अपव्यय करने वाला होता है। पर्यवेक्षण के कार्य में सभी सहकर्मियों का सहयोग होना चाहिए। इस सम्बन्ध में बार, बर्टन तथा बुबेकर के अनुसार-“आधुनिक पर्यवेक्षण सम्पूर्ण अधिगम तथा शिक्षण की दशा का अध्ययन तथा विश्लेषण करता है। यह पर्यवेक्षण अपने विभिन्न कार्यों तथा सुनियोजित कार्यक्रमों के माध्यम से समस्त भागीदारों (Participants) के सक्रिय सहयोग को प्राप्त करता है, जिससे वांछनीय आवश्यकताओं की पूर्ति होती है।” वस्तुतः, पर्यवेक्षक कोई भयानक व्यक्ति न होकर कोमल तथा सहानुभूति से पूर्ण होना चाहिए।
2. प्रोत्साहन से सम्बन्धित (Related with encouragement) – उत्तम कार्य करने वाले शिक्षकों को शाब्दिक प्रशंसा प्रदान करने का उत्तरदायित्व भी शैक्षिक पर्यवेक्षण पर होता है। पर्यवेक्षण इसलिए नहीं होता कि वह शिक्षकों तथा अन्य कार्यकर्ताओं के कार्य को सदैव निन्दा तथा आलोचना की दृष्टि से देखे उचित रूप में दिया हुआ प्रोत्साहन सम्पूर्ण -शिक्षण संस्था के वातावरण को उत्तम बनाने में सहायक होता है।
3. मानवीय सम्बन्धों पर आश्रित (Dependent on human relations) – शिक्षा का पर्यवेक्षण करते समय पर्यवेक्षक को छिद्रान्वेषण की प्रवृत्ति का परित्याग करना चाहिए। सम्पूर्ण पर्यवेक्षण तथा पर्यवेक्षक का स्वभाव मानवीय सम्बन्धों पर आश्रित होना चाहिए। पर्यवेक्षण के कार्य में पारस्परिक प्रेम, सहानुभूति, सहयोग, सम्मान आदि गुण को अपनाया जाना चाहिए।
4. सर्जनात्मकता पर आश्रित (Based on creativity) – शैक्षिक पर्यवेक्षण केवल रचनात्मक ही नहीं, अपितु सर्जनात्मक भी होना चाहिए। पर्यवेक्षण ऐसा हो, जिसकी अद्भुत प्रेरणा से छात्र तथा शिक्षक अपनी अद्वितीय शक्ति को प्रकट कर सकें। शैक्षिक पर्यवेक्षण की दृष्टि अत्यन्त व्यापक, सार्थक तथा ठोस होनी चाहिए। पर्यवेक्षण इस ढंग से प्रेरणा दे, जिससे छात्र विद्यालयों में सौर ऊर्जा, विद्युत के नवीन संयन्त्र, शोध की नई दिशा की ओर कार्य करने लगें। शिक्षकों की विवेक, तर्क तथा चिन्तन शक्ति को उभारना तथा उन्हें नवीन कार्यों की ओर मोड़ने का उत्तरदायित्व भी शैक्षिक पर्यवेक्षण पर होता है।
5. कार्य का मूल्यांकन (Evaluation of work) – शैक्षिक प्रशिक्षण में व्यक्तियों की कार्य-अकार्य की शक्ति का ज्ञान अवश्य किया जाना चाहिए। कौन शिक्षक कितना और किस प्रकार कार्य कर रहा है अथवा विद्यालय का अनुशासन किस दिशा की ओर मोड़ ले रहा है। इन बातों का शैक्षिक पर्यवेक्षण में ठीक ज्ञान किया जाना आवश्यक है।
6. सम्पूर्ण विकास से सम्बन्धित (Related with total development) – शैक्षिक पर्यवेक्षण के नियम निर्धारण में यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि शैक्षिक पर्यवेक्षण केवल शिक्षण प्रक्रिया का विकास करने वाला न हो, अपितु इसका सम्बन्ध क्षेत्र के मैदान, छात्रावास, विद्यालय भवन, पुस्तकालय, समुदाय के विकास से होना चाहिए।
7. रचनात्मकता तथा सुझावात्मकता (Constructiveness & Suggestiveness)- शैक्षिक पर्यवेक्षण का प्रत्येक कार्य रचनात्मक होना चाहिए। जहाँ कोई त्रुटि दिखाई दे, वहाँ पर्यवेक्षक को सहानुभूतिपूर्वक सुझाव देना चाहिए। वास्तव में, पर्यवेक्षण का कार्य निष्फल न होकर शिक्षा के क्षेत्र में रचनात्मकता (गुण वृद्धि, वस्तुओं का निर्माण, उत्पादन वृद्धि आदि) को लाने वाला होना चाहिए।
8. व्यावसायिक अधिक हो (Should be professional) – शैक्षिक पर्यवेक्षण में केवल उन्हीं बातों पर अधिक बल दिया जाना चाहिए, जो शिक्षण व्यवसाय तथा शिक्षा के उद्देश्यों से सम्बन्धित हों। पर्यवेक्षण में भाग लेने वाले सभी सहकर्मियों को अपने उत्तरदायित्व का पूरा ज्ञान होना चाहिए। शिक्षा तथा शिक्षण के प्रति पूर्णतया आस्थावान पर्यवेक्षक ही इस कार्य को श्रेष्ठ ढंग से कर सकते हैं। शैक्षिक पर्यवेक्षण ऐसा हो, जो विद्यालय के वातावरण, नियम, निर्देशन, शिक्षक दशा आदि में पूर्ण सुधार कर सके ।
9. जनतन्त्रात्मक नीतियों पर आधारित (Based on Democratic Policies) – वर्तमान युग में आधुनिक पर्यवेक्षण के नियमों में जनतन्त्रात्मक का नियम सर्वाधिक उपयोगी तथा सर्वश्रेष्ठ समझा जाता है। जनतन्त्रात्मक शैक्षिक पर्यवेक्षण की रचना इस प्रकार की जाए, जिससे सभी सहकर्मियों (Participants) की ओर निम्नलिखित ढंग से ध्यान दिया जाए-
- सभी सहकर्मियों को समान स्तर तथा सम्मानजनक समझना ।
- व्यक्तित्व विकास के लिए समान अवसर प्रदान करना ।
- सभी सहयोगियों को विचार तथा कार्य की स्वतन्त्रता प्रदान करना ।
- सभी कार्यकर्ताओं के प्रति न्याय तथा निष्पक्षता का पालन ।
- सभी सदस्यों के विचारों को ध्यानपूर्वक सुनना तथा कार्य क्षेत्र में उन्हें प्रश्रय देना।
- सभी का सहयोग प्राप्त करना तथा आपस में आदरभाव को अपनाना।
- सभी कार्यकर्ताओं की नेतृत्व शक्ति को विकसित करने के लिए प्रयास करना।
- सभी सहयोगियों को क्रियाशील तथा सजग बनाने का प्रयास करना।
जनतन्त्रात्मकता के सम्बन्ध में जॉन डीवी के अनुसार- “जो समाज अपने व्यक्तियों में अन्तरक्रिया सम्बन्ध करके एक साथ कार्य करने के अवसर प्रदान करता है तथा समानता और सहयोग की भावना को विकसित करता है, वह सच्चे रूप में जनतन्त्रात्मक होता है।”
10. व्यावहारिकता पर आश्रित (Based on Practical Aspect) — शैक्षिक प्रशासन में केवल सिद्धान्तों पर बल न देकर उसे व्यावहारिक अधिक बनाना चाहिए। इसके लिए जो सुझाव, निर्देशन तथा उद्देश्य निर्धारित किए जायें, उनका उचित रूप में कार्यान्वयन भी किया जाना चाहिए ।
IMPORTANT LINK
- अध्यापक के सामान्य गुण तथा कर्त्तव्य | General Qualities and Duties of a Teacher in Hindi
- पाठ्यक्रम के प्रकार | Types of Curriculum in Hindi
- पाठ्यक्रम का अर्थ, उद्देश्य, आधार एवं सिद्धान्त
- पुरस्कार एवं दण्ड की भूमिका | Role of Reward and Punishment in Hindi
- विद्यालय में अनुशासन स्थापित करने के सुझाव | Suggestions to Maintain Proper Discipline in School in Hindi
- आधुनिक युग में अनुशासनहीनता के क्या कारण हैं ?
- अनुशासन का अर्थ, महत्व एंव सिद्धान्त | Meaning, Importance and Principles of Discipline in Hindi
- कक्षा प्रगति से आप क्या समझते हैं ? What do you understand by class Promotion?
- छात्रों के वर्गीकरण से आप क्या समझते हैं ? वर्गीकरण की आवश्यकता एवं महत्व
- अध्यापक के कार्य एवं उत्तरदायित्व | Functions and Duties of the Teacher in Hindi
- स्टाफ के साथ प्रधानाध्यापक के सम्बन्ध | Headmaster’s Relations with the Staff in Hindi
- विद्यालय के प्रधानाध्यापक के प्रमुख कर्त्तव्य | Duties Of School Headmaster In Hindi
- विद्यालय प्रबन्ध में प्रधानाध्यापक की भूमिका | Role of a Headmaster in School Administration in Hindi
- शिक्षा प्रशासन का प्रारूप | Structure of Educational Administration in Hindi
- शिक्षा प्रशासन का अर्थ | Meaning of Educational Administration in Hindi
- विद्यालय संगठन का अर्थ | Meaning of School Organisation in Hindi
- शिक्षा में विद्यालय संगठन की भूमिका | Role of school organization in education in Hindi
- जनतान्त्रिक शिक्षा प्रशासन के नियम | Principles of Democratic Educational Administration in Hindi
- शिक्षा प्रशासन के नियम | Principles of Educational Administration in Hindi
- शिक्षा प्रशासन के सिद्धान्त | Theories of Educational Administration in Hindi
- मोहिल्सन के अनुसार शैक्षिक प्रशासक के कार्य | Duties of Educational Administrator in Hindi
- शिक्षा प्रशासन के उद्देश्य तथा कार्य | Objectives and Functions of Education Administration in Hindi
Disclaimer