B.Ed Notes

 हिन्दी शिक्षण में भाषा प्रयोगशाला की आवश्यकता एंव उद्देश्य | एक अच्छी भाषा प्रयोगशाला का व्यवस्थापन | भाषा-प्रयोगशाला की आन्तरिक व्यवस्था

 हिन्दी शिक्षण में भाषा प्रयोगशाला की आवश्यकता एंव उद्देश्य | एक अच्छी भाषा प्रयोगशाला का व्यवस्थापन | भाषा-प्रयोगशाला की आन्तरिक व्यवस्था
 हिन्दी शिक्षण में भाषा प्रयोगशाला की आवश्यकता एंव उद्देश्य | एक अच्छी भाषा प्रयोगशाला का व्यवस्थापन | भाषा-प्रयोगशाला की आन्तरिक व्यवस्था

हिन्दी शिक्षण में भाषा प्रयोगशाला की क्या आवश्यकता है? अच्छी प्रयोगशाला किस प्रकार व्यवस्थित की जा सकती है ?

 हिन्दी शिक्षण में भाषा प्रयोगशाला की आवश्यकता

भाषा विषय को केवल पुस्तकों से पढ़कर नहीं सीखा जा सकता है। इसके लिए विद्यार्थी को निरीक्षण करने तथा प्रयोग करने की आवश्यकता होती है। इसके अभाव में विद्यार्थी भाषा-विषय को पूर्णरूप से नहीं समझ सकता है। प्रयोग करने से विद्यार्थी स्वयं अपने अनुभवों के आधार पर स्वर एवं उच्चारण के साथ ही व्याकरण जैसे विषय को आसानी से समझ सकता है। प्रयोगात्मक कार्यों से ही विद्यार्थी की रचनात्मक कार्य करने की शक्ति का विकास होता है जो भाषा की योग्यता का एक मुख्य अंग है। इन्हीं से उनका बौद्धिक विकास होता है तथा उसे कार्य-करण में सम्बन्ध स्थापित करने में सुविधा होती है।

भाषा प्रयोगशाला के उद्देश्य

  1. भाषा- विज्ञान के मूल सिद्धान्तों को मूर्त रूप प्रदान करना ।
  2. भाषा-विज्ञान से संबंधित विषय के विकास एवं नयी खोजों को बढ़ावा देने के लिए।
  3. भाषा-उच्चारण में छात्रों को प्रशिक्षण देना।
  4. भाषा को वैधानिक वातावरण प्रदान करना।
  5. आधुनिक वैज्ञानिक तरीके से माँग के अनुरूप अच्छे नागरिकों के निर्माण की प्रक्रिया को तीव्र करने के लिए भाषा का प्रभावी प्रशिक्षण देना।

एक अच्छी भाषा प्रयोगशाला का व्यवस्थापन

सामान्य रूप से भारतीय माध्यमिक विद्यालयों में भाषा प्रयोगशाला एक सपने की तरह से हैं। फिर भी इस दिशा में पहल कर सकते हैं जिससे हमारे विद्यार्थी भी शुद्ध-शुद्ध भाषा का उच्चारण कर सकें तथा भाषा विज्ञान में नई खोज कर हिन्दी को एक नया स्वरूप प्रदान कर सकने में सक्षम हो सकें। भाषा प्रयोगशाला में प्राथमिक स्तर में प्रारम्भ में दो अध्यापक रखे जा सकते हैं जिसमें एक अंग्रेजी भाषा के तथा दूसरे हिन्दी भाषा के अध्यापक हो सकते हैं जिससे भाषा प्रयोगशाला का प्रारम्भ किया जा सके। भाषा-अध्यापक को नई शिक्षा प्रविधियों का अच्छा ज्ञान होना आवश्यक है। इसके साथ ही उसको भाषा की विधाओं की भी जानकारी होनी चाहिए। भाषा प्रयोगशाला में सभी प्रकार की भाषा सम्बन्धी शिक्षण सामग्री होनी चाहिए; जैसे- फिल्म प्रोजेक्टर, ओवरहैड प्रोजेक्टर, फिल्म स्लाइड, टेलीविजन, वी.सी.आर. के साथ ही कम्प्यूटर-जैसी सुविधाएँ भी होनी चाहिए। भाषा प्रयोगशाला का स्वरूप इस प्रकार का होना चाहिए कि उसमें एक बार में अधिक-से-अधिक 20 विद्यार्थी कार्य कर सकते हों। 20 से अधिक विद्यार्थियों को एक बार में कार्य नहीं करना चाहिए। भाषा प्रयोगशाला का आकार सामान्य रूप से 120 वर्ग फीट होना चाहिए।

भाषा प्रयोगशाला छात्रों के अध्ययन एवं कुछ सीखने के लिए है। उसमें भाषा से सम्बन्धित उपकरणों का भी समावेश होना चाहिए जो छात्रों के भाषा-उच्चारण दोषों को दूर करने में सहायक सिद्ध हो सकें।

प्रयोगशाला का विस्तार विद्यार्थियों की संख्या पर निर्भर करता है। आदर्श बात तो यह है कि प्रयोगशाला में एक बार में 20 विद्यार्थी कार्य करें, तभी अध्यापक उनको व्यक्तिगत सहायता दे सकता है और विद्यार्थी सुविधा से कार्य कर सकते हैं, परन्तु हमारे भारतीय विद्यालयों में एक-एक कक्षा में 50-50 विद्यार्थी तक पढ़ते हैं। ऐसी परिस्थिति में हमें चाहिए कि हम प्रयोगात्मक कार्य के लिए विद्यार्थियों को दो अथवा तीन वर्गों में विभाजित कर दें। केवल एक वर्ग को जिसमें 20 विद्यार्थी हों, एक बार में प्रयोगात्मक कार्य करना चाहिए।

भाषा-प्रयोगशाला की आन्तरिक व्यवस्था

प्रयोगशाला में विद्यार्थियों के लिए 6 मेजें होनी चाहिए। प्रत्येक मेज पर छह विद्यार्थी काम कर सकते हैं। एक मेज अध्यापक के लिए होनी चाहिए जिसका उपयोग वह शिक्षण के समय कर सकें। प्रत्येक मेज की लम्बाई 6 फीट तथा चौड़ाई 4 फीट हो। मेज गोलाकार रूप में हो तो ज्यादा अच्छा रहेगा, क्योंकि गोलाकार मेज के चारों तरफ छात्रों के बैठने में सुविधा होगी। छात्रों के बैठने के लिए कुर्सी या स्टूलों की भी व्यवस्था की जा सकती है। बैठने की मेज या कुर्सी आरामदेह होनी चाहिए जिससे छात्र घंटे दो घंटे बैठकर साहित्य से सम्बन्धित चर्चा या विचार-विमर्श कर सकें या कोई अन्य कार्यक्रम बना सकें या कोई वार्ता रेडियो अथवा टेपरिकॉर्डर से सुन सकें।

भाषा प्रयोगशाला का मुख सदा उत्तर की ओर होना चाहिए ताकि उसमें प्रकाश तथा खिड़कियों से सूर्य की किरणें आ सकें। खिड़कियाँ काँच की होनी चाहिए। हवा के लिए रोशनदान (Ventilator) का प्रबन्ध होना चाहिए। कुछ प्रयोगशालाओं में छत के बीच मोटा काँच लगा देते हैं जिससे अन्दर प्रकाश आ सकता है। खिड़कियों को फर्श से 4 फीट ऊँचा होना चाहिए। खिड़कियों को कमरे से बाहर की ओर खुलने वाली बनाना चाहिए, ताकि उनमें कुछ सामान रखा जा सके। खिड़कियों के बीच में एक्वेरियम, वाईवेरियम, टरेरियम आदि रखे जा सकते हैं। एक्वेरियम को खिड़की में रखना उपयुक्त नहीं है क्योंकि मछलियों को अधिक प्रकाश वाले स्थान में नहीं रखना चाहिए। प्रयोगशाला में कभी फिल्म दिखलाने या कोई ऐसे प्रयोग करने के लिए जिनमें प्रकाश की आवश्यकता नहीं होती, अँधेरा करने की आवश्यकता होती है। इसलिए खिड़कियों में काले पदों को लगाने के लिए प्रबन्ध होना चाहिए।

प्रयोगशाला में दीवार के किनारों पर उचित स्थानों पर अलमारियाँ रखी जानी चाहिए कुछ अलमारियों में आवश्यक यन्त्र रखे जाने चाहिए। एक छोटी अलमारी शिक्षार्थियों को नोट-बुक आदि को इकट्ठा करके रखने तथा कुछ आवश्यक मैगजीन या पुस्तकों को रखने के लिए होनी चाहिए।

IMPORTANT LINK

Disclaimer

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com

About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment