शिक्षाशास्त्र / Education

केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप से आप क्या समझते हैं ? केन्द्रीय प्रवृत्ति की मापों का उदाहरण

केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप से आप क्या समझते हैं ? अथवा केन्द्रीय प्रवृत्ति की मापों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए। 

केन्द्रीय प्रवृत्ति का अर्थ उस मान से है जो प्राप्त आंकड़ो का प्रतिनिधित्व करता है। आंकड़ों के इस प्रतिनिधिकारी मान अथवा मूल्य को केन्द्रीय प्रवृत्ति का मान कहते हैं और जिन सांख्यिकीय विधियों के द्वारा इसकी गणना की जाती है उसे केन्द्रीय प्रवृत्ति का माप कहा जाता है। ये माप तीन प्रकार के माने जाते है। मध्यमान, मध्यांक तथा बहुलांक।

मैरिट के शब्दों में केन्द्रीय प्रवृत्ति का माप एक औसत है, जो समूह द्वारा बनाये गये प्राप्तांकों का प्रतिनिधित्व करता है और इस प्रकार सम्पूर्ण समूह की निष्पत्ति का संक्षिप्त विवरण देता है।

यद्यपि मध्यमान, मध्यांक तथा बहुलांक ये तीनों ही माप केन्द्रीय प्रवृत्ति के सूचक हैं किन्तु समय एवं शुद्धता की दृष्टि से इनमें अन्तर पाया जाता है। मध्यमान केन्द्रीय प्रवृत्ति का सबसे शुद्ध मान है, किन्त इसकी गणना करने में समय अधिक लगता है। मध्यांक मध्यमान की अपेक्षा कम शुद्ध है, लेकिन इसकी गणना करने में अपेक्षाकृत कम समय लगता हैं बहुलांक मध्यमान एवं मध्यांक की अपेक्षा कम शुद्ध मान है। इसकी गणना करने में मध्यमान एवं मध्यांक से कम समय लगता है।

केन्द्रीय प्रवृत्ति के मापों का महत्व 

शैक्षिक अध्ययनों में केन्द्रय प्रवृत्ति के मापों का महत्व निम्नलिखित है-

1. केन्द्रीय प्रवृत्ति के माप अपेक्षाकृत स्थिर होते है, अत: इसके द्वारा व्यवहार का मात्रात्मक अध्ययन अधिक शुद्धता से किया जा सकता है।

2. किसी भी शैक्षिक अध्ययन में प्राप्त आंकड़ों के सांख्यिकीय विश्लेषण करने में केन्द्रीय प्रवृत्ति के मापों की आवश्यकता पड़ती है।

3. केन्द्रीय प्रवृत्ति समूह के प्राप्तांकों का प्रतिनिधित्व करती है।

4. यह सम्पूर्ण समूह की विशेषताओं को प्रदर्शित करती है तथा इसके द्वारा विभिन्न समूहों की विशेषताओं की तुलना की जा सकती है।

केन्द्रीय प्रवृत्ति के मापों की सीमाएँ

1. केन्द्रीय प्रवृत्ति के विभिन्न माप सांख्यिकीय विश्लेषण में भिन्न-भिन्न निष्कर्ष प्रस्तुत करते हैं।

2. ये समस्त समूह या वर्ग का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम नहीं है।

3. ये किसी समूह या वर्ग की सामूहिक विशेषताओं की ओर संकेत करते हैं और व्यक्तिगत विशेषताओं पर प्रकाश नहीं डालते हैं।

केन्द्रीय प्रवृत्ति के मापों की सापेक्षिक तुलना-

1. केन्द्रीय प्रवृत्ति के मापों में पारस्परिक सामीप्य एवं सादृश्य समूह के प्राप्तांकों के आवृत्ति वितरण के स्वरूप पर निर्भर होता है।

2. जब समूह के प्राप्तांकों का आवृत्ति वितरण सममित (Symmetrical) या सामान्य (Normal) होता है तो केन्द्रीय प्रवृत्ति के माप एक ही बिन्दु पर स्थिर होते हैं।

3. जब समूह के प्राप्तांकों का आवृत्ति वितरण असममित या विषम होता है, तो इनका पारस्परिक सम्बन्ध वितरण-विषमता (Skewness of Distribution ) की स्थिति पर आधारित होगा।

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Anjali Yadav

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