Contents
नियंत्रण का क्षेत्र क्या है? (Control Scope Hindi)
प्रशासन में नियंत्रण की आवश्यकता स्वयं-सिद्ध है। दूसरे शब्दों में किसी भी संगठन में नियंत्रण का क्षेत्र क्या हो? यह अत्यन्त आवश्यक है। बिना नियंत्रण के कोई भी प्रशासन समुचित रूप से संचालित नहीं किया जा सकता है। नियंत्रण की व्यवस्था का उद्देश्य यह देखना होता है किम संगठन के कर्मचारी दिए गए निर्देशों, आदेशों और नियमों के अनुसार कार्य कर रहे हैं या नहीं। उपरोक्त व्यवस्था में देखभाल न की जाय तो प्रशासन पंगु हो जायेगा।
नियंत्रण की सीमा, क्षेत्र या विस्तार का सम्बन्ध इस बात से है कि एक उच्च अधिकारी अपने अधीन कितने कर्मचारियों का नियंत्रण कर सकता है। नियंत्रण की सीमा वास्तव में निगरानी की सीमा होती है। दूसरे शब्दों में नियंत्रण क्षेत्र से हमारा अभिप्राय अधीनस्थ कर्मचारियों की इस संख्या से है जिनके कार्यों का निरीक्षण एक अधिकारी क्षमतापूर्वक कर सकता है। डिमॉक का कथन है- “नियंत्रण का विस्तार किसी उद्यम के मुख्य निष्पादक तथा उसके मुख्य साथी कार्यालयों के बीच सीधे एवं स्वाभाविक संचार की संख्या एवं क्षेत्र से है।” अर्थात् इस सिद्धान्त का औचित्य इस तथ्य में निहित है कि मानवीय ज्ञान की कुछ सीमाएँ होती हैं। यदि इन सीमाओं से आगे उसे कार्य करने को बाध्य किया जायेगा तो उसके परिणाम अच्छे नहीं रहेंगे व वह अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह भी समुचित प्रकार से नहीं कर सकेगा। मनुष्य का ध्यान (Span of Attention) क्षेत्र सीमित होता है। हमें इस तथ्य को भली-भाँति स्मरण रखना चाहिए। मिलेट ने ठीक ही लिखा है, “अनुभव एवं मनोवैज्ञानिक अनुसंधान, दोनों इस बात की पुष्टि करते हैं कि किसी भी प्रशासकीय अधिकारी की पर्यवेक्षण क्षमता की सीमा रहती है।”
नियंत्रण क्षेत्र की क्या सीमा होना चाहिए?
नियंत्रण क्षेत्र की सीमा से हमारा आशय अधीनस्थ कर्मियों की उस संख्या से है जिस पर वह आसानी से तथा क्षमतापूर्वक नियंत्रण रख सकता है। प्रो. जियाउद्दीन खान के अनुसार- “नियंत्रण का विस्तार क्षेत्र उन अधीनस्थों की या वार्किंग यूनिट्स (कार्य इकाइयों) की संख्या है जिसका संचालन प्रधान कार्यकारी स्वयं कर सकता है।” नियंत्रण की सीमा के सम्बन्ध में विद्वानों में मतभेद है।
हेनरी फेयोल- इनका दृष्टिकोण है कि किसी बड़े अधिकारी के नीचे पाँच या छः से अधिक अधीनस्थ नहीं होना चाहिए।
लैंड होलडर्स तथा ग्राह्य वालेश का विचार है कि कोई भी मुख्य कार्यपालक किसी प्रकार का अतिरिक्त भार अनुभव किए बिना 10 से 12 अधीनस्थ अधिकारियों के कार्य का निरीक्षण कर सकता है। ग्राह्य वैलेश ने इस विषय में विभिन्न देशों की वास्तविक स्थिति का अध्ययन किया और उन्हें ज्ञात हुआ है कि 1937 के जापान में मुख्य कार्यपालक अधिकारी के अधीन 14 विभाग, रूस में 19 या 20 विभाग, इंग्लैण्ड में 25 विभाग तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 60 विभाग। इस संख्या में इतनी विभिन्नता होते हुए भी किसी देश का प्रशासन भंग नहीं हुआ है।
इस प्रकार स्पष्ट है कि प्रशासनिक सिद्धान्त अथवा प्रशासनिक व्यवहार में से कोई भी नियंत्रण क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले कर्मचारियों की निश्चित संख्या का निर्धारण नहीं कर सकता हैं। फिर भी इस विषय को कुछ सामान्य बातों के बारे में सहमति है-
सभी लोग सहमत हैं कि प्रत्येक स्तर पर एक निश्चित नियंत्रण क्षेत्र होता है और यदि उस सीमा को लाँघा जाय तो प्रशासन भंग होने की सम्भावना हो सकती है। इस सम्बन्ध में उर्विक ने बताया है कि यदि कोई उच्चाधिकारी अपने पाँच अधीनस्थों में छठा और जोड़ लेगा तो उसे केवल 23% अधिक सहायता प्राप्त होगी, परन्तु निरीक्षण में शत प्रतिशत की वृद्धि हो जायेगी। इसका कारण यह है कि जो निरीक्षण किया जाना है वह केवल अधीनस्थ व्यक्तियों का ही नहीं बल्कि उसके पारस्परिक सम्बन्धों के अनेक क्रम परिवर्तनों और संयोगों का भी होता है। इस प्रकार परिणाम यह होता है यद्यपि अधीनस्थ व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि समानान्तर श्रेणी के अनुसार होती है फिर भी सम्बन्धों और संयोगों का जाल गुणोत्तर श्रेणी के अनुसार बढ़ता है कि नियंत्रण क्षेत्र के अस्तित्व सर्वव्यापक हैं और खतरा उठाये बिना उसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता।
यह भी माना गया है कि नियंत्रण के क्षेत्र में चार तत्वों के कारण विविधता आती है ये चार तत्व हैं- कार्य, व्यक्ति, समय तथा स्थान। इसका विषद् विवेचन निम्न रूपों में किया जा रहा हैं-
(1) कार्य- कार्य के स्वरूप एवं प्रकृति का नियंत्रण के क्षेत्र के ऊपर प्रभाव पड़ता है। यदि किसी नियंत्रक को ऐसे कार्यों का पर्यवेक्षण करना पड़ता है जो एक प्रकृति का हो अर्थात् कार्यों में समरूपता हो तो वह अधिक व्यक्तियों का पर्यवेक्षण कर सकता है। इससे विपरीत यदि कार्यों का स्वरूप भिन्न-भिन्न हो तो उससे नियंत्रण का क्षेत्र सीमित हो जायेगा।
(2) व्यक्तित्व- नियंत्रण करने वाले की योग्यता एवं क्षमता का भी प्रभाव नियंत्रण के क्षेत्र पर पड़ता है। अति उत्साही और कुशल नियंत्रक अपने योग्य सहायकों की सहायता से एक आलसी और निकम्मे अधिकारी की अपेक्षा अधिक कर्मचारियों पर नियंत्रण रख सकता है। एक कुशल व्यक्तित्व का मालिक जो अच्छी नेतृत्व क्षमता भी रखता है वह अधिक कर्मचारियों पर नियंत्रण रख सकता है।
( 3 ) समय- समय का तात्पर्य संगठन की पुरातनता एवं नवीनता से है, संगठन कितना पुराना है या कितना नवीन है। यदि संगठन अधिक समय से चल रहा है तो नियंत्रण के क्षेत्र का विस्तार किया जा सकता है अर्थात् एक नवीन एवं अव्यवस्थित संगठन की अपेक्षा एक पुराने एवं जमे हुए संगठन में ज्यादा कर्मचारियों के ऊपर नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण सम्भव है।
( 4 ) स्थान- स्थान का अर्थ यह है कि नियंत्रण के अधीनस्थ कार्यालय किन-किन स्थानों पर अवस्थित हैं। यदि सभी अधीनस्थ कार्यालय एक ही भवन में या आस-पास हैं तो इसमें उच्चाधिकारी अधिक कार्यालयों पर नियंत्रण रख सकता है। परन्तु अगर अधीनस्थ कार्यालय दूर दराज तक फैले हुए हैं और परस्पर विरोधी क्षेत्रों में अवस्थित हैं तो उसका नियंत्रण का क्षेत्र काफी कम होगा। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि नियंत्रण का कार्य क्षेत्र बदलता रहता है और इस विभिन्नता के मूल में होते हैं, चार तत्व कार्य, व्यक्ति, समय और स्थान ।
पुलिस महानिदेशक के नियंत्रण का क्षेत्र सिपाही अथवा थाना तक होता है। कुछ भी हो इतना निश्चित होता है कि नियंत्रक का क्षेत्र असीमित नहीं होता। नियंत्रण के क्षेत्र की एक सीमा है जिसको ध्यान में रख कर ही प्रशासकीय ढाँचे को बनाते समय काम का बंटवारा किया जाना चाहिए। यदि नियंत्रण के क्षेत्र का ध्यान नहीं रखा गया तो प्रशासकीय यंत्र में खराबी आ जायेगी और उसके लड़खड़ा जाने का भय रहेगा। पिरामिड की दृढ़ता नियंत्रण के क्षेत्र पर ही आधारित है। निष्कर्षतः हम सकते हैं कि Span of Control या Span of attention संगठन का एक महत्वपूर्ण सिद्धान्त है जो आजकल Automation एवं Electronic Machine के कारण प्रभावशाली बनता जा रहा है। लोक प्रशासन के विद्वान (Dimok and Demock, Gullick तथा Seckler Hadson आदि नियंत्रण परिधि सिद्धान्त को क्षैतिज एवं क्षैतिज दोनों ही रूप में कार्य निरीक्षण एवं नियंत्रण के क्षेत्र में प्रभावशाली विचार स्तम्भ मानते हैं।
Important Link
- अधिकार से आप क्या समझते हैं? अधिकार के सिद्धान्त (स्रोत)
- अधिकार की सीमाएँ | Limitations of Authority in Hindi
- भारार्पण के तत्व अथवा प्रक्रिया | Elements or Process of Delegation in Hindi
- संगठन संरचना से आप क्या समझते है ? संगठन संरचना के तत्व एंव इसके सिद्धान्त
- संगठन प्रक्रिया के आवश्यक कदम | Essential steps of an organization process in Hindi
- रेखा और कर्मचारी तथा क्रियात्मक संगठन में अन्तर | Difference between Line & Staff and Working Organization in Hindi
- संगठन संरचना को प्रभावित करने वाले संयोगिक घटक | contingency factors affecting organization structure in Hindi
- रेखा व कर्मचारी संगठन से आपका क्या आशय है ? इसके गुण-दोष
- क्रियात्मक संगठन से आप क्या समझते हैं ? What do you mean by Functional Organization?
Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com