राजनीति विज्ञान / Political Science

मानव विकास के अध्ययन की समस्याएँ

मानव विकास के अध्ययन की समस्याएँ
मानव विकास के अध्ययन की समस्याएँ

मानव विकास के अध्ययन की समस्याएँ

मानव विकास का अध्ययन करने में अनेक समस्याएँ हैं, क्योंकि हमारे व्यवहार को अनेक तत्व प्रभावित करते हैं। इन समस्याओं के अतिरिक्त अनेक ऐतिहासिक एवं वर्तमान कालिक परिस्थितियाँ मानव विकास के अध्ययन में बाधाएँ उत्पन्न करती हैं। इन्हें संक्षेप में इस प्रकार स्पष्ट कर सकते हैं-

(1) यद्यपि लोगों को उच्च गुणवत्ता एवं गौरव व्यक्तिगत रूप से उन्हें सामाजिक वातारवण में अपना योगदान देने में सहायता करते हैं, किन्तु तेजी से बदलते समाज में अनेक धर्मसंकट या दुविधाएँ उत्पन्न हो गयी है, जिसने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है कि इस धारणा को स्वीकार करना कितना कठिन है।

(2) मानव विकास का तुलनात्मक अध्ययन बहुत ही सीमित हैं। यदि हम अध्ययनों पर दृष्टिपात करें तो यह स्पष्ट होता है कि प्रयोज्य विभिन्न जाति समूहों के होते हैं। कुछ अध्ययन दीर्घकालीन स्वभाव के होते हैं। शायद इसका कारण यह है कि तकनीक का विकास करने, शोधकर्ताओं को प्रशिक्षित करने एवं विश्वसनीय उपकरणों को विकसित करने में बहुत समय लग जाता है। मॉडल की रचना करने, कम्प्यूटर का उपयोग करने तथा समूह में प्राप्त ऑकड़ों का विश्लेषण करने के लिए बहुत कम शोधकर्ता प्रशिक्षित हो पाते हैं। अतः कोई भी अध्ययन करना कठिन होता है।

(3) यह धारणा कि मनुष्य की नियति या उसका भाग्य उसके जन्म के समय ही निर्धारित हो जाता है, एक कारण ही है जिससे यह बौद्धिक अध्ययन करने में बाधा उत्पन्न होती है कि मनुष्य का भाग्य सम्पूर्ण जीवन अवधि में किस प्रकार परिवर्तित होता है। अनेक लोंगो का यह विश्वास है कि बालक लघुवयस्क होता है तथा बालकों के लिए नैतिक जिम्मेदारियाँ पहले से ही निर्धारित कर दी जाती है और इस प्रकार उसे अनुभव एवं परिपक्वता द्वारा सीखकर अपने परम्परागत मानक स्थापित करने के अवसर नहीं मिल पाते हैं। आज बालक की स्थिति बदल गयी हैं और अब हम यह महसूस करने लगे हैं कि बालक की दुनियाँ समझने से हम वयस्क की दुनिया को अधिक स्पष्टता के साथ जान या समझ सकते हैं।

(4) मानव-व्यवहार का अध्ययन करने में कुछ धार्मिक मान्यताएँ भी अवरोध उत्पन्न करती हैं, जैसे- धर्मानुसार मन, आत्मा का समानार्थी हैं, अर्थात् मन और आत्मा एक ही हैं। अत: धार्मिक मतानुसार मन पवित्र होता है और इस प्रकार यह खोज का विषय नहीं है। इसी प्रकार नीति सम्बन्धी सोच विचार भी कुछ आविष्कार सम्बन्धी प्रयोग करने के लिए प्रयोज्य का उपयोग करने पर रोक लगाते हैं जैसे कि किसी दर्शक के घायल हो जाने पर या चोट लग जाने पर क्या प्रतिक्रिया होती है, यह जानने के लिए घायल होने का बहाना करना।

उपर्युक्त वर्णित समस्याओं के दूसरी ओर कुछ ऐसे सामान्य कारक भी हैं जो मानव विकास के अध्ययन में सहायता प्रदान करते हैं, उदाहरण के तौर पर बेहतर आर्थिक स्थितियाँ, परिवार तथा बालक की बदलती हुई भूमिकाएँ, समान अधिकार के लिए बढ़ती हुई स्वीकारोक्ति तथा स्वीकार करना कि व्यक्ति का अध्ययन वैज्ञानिक ढंग से होना चाहिए।

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Anjali Yadav

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