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मैक्स वेबर के नौकरशाही सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए
प्रशासनिक व्यवस्था के अन्तर्गत नौकरशाही की अवधारणा बहुत ही महत्वपूर्ण है तथा यह राजनीतिक-प्रशासनिक व्यवस्था की उपव्यवस्था एवं आधार है। नौकरशाही का तात्पर्य प्रशासनिक कार्यपालिका यानी स्थायी कार्यपालिका के वरिष्ठ अधिकारियों, जिसे नौकरशाह कहा जाता है के कार्यशैली से है। नौकरशाही के सम्बन्ध में उदारवादी तथा मार्क्सवादी सिद्धान्त को प्रतिपादित किया गया है। उदारवादी तथा मार्क्सवादी सिद्धान्त के अनुसार नौकरशाही एक बुराई है।
जर्मन समाजशास्त्री मैक्स वेबर ने उदारवादी और मार्क्सवाही विचारधारा से अलग होते हुए संतुलित एवं व्यवस्थित नौकरशाही सिद्धान्त का प्रतिपादन किया है। मैक्स वेबर ने अपने आदर्श नौकशाही सम्बन्धी सिद्धान्त के विश्लेषण से पूर्व सत्ता का वर्गीकरण तथा उस वर्गीकरण के आधार पर नौकरशाही का प्रकार बताया है। उन्होंने कहा है कि सत्ता तीन प्रकार की होती है- परम्परागत सत्ता, करिश्माई सत्ता तथा कानूनी-बौद्धिक सत्ता । मैक्स वेबर कहते हैं कि परम्परागत, सत्ता पर आधारित नौकशाही परम्परागत नौकरशाही होती है, जो परम्पराओं के प्रभाव में संगठित एवं संचालित होती हैं। करिश्माई सत्ता पर आधारित नौकरशाही को मैक्स वेबर ने करिश्माई नौकरशाही कहा है। करिश्माई नौकरशाही परम्परा और कानून का उल्लंघन करती है तथा करिश्माई रूप में कार्यों को सम्पन्न करती है। मैक्स वेबर परम्परागत नौकरशही तथा करिश्माई नौकरशाही का खण्डन करते हैं और उसके बाद तीसरे प्रकार की नौकरशाही तथा करिश्माई नौकरशाही का खण्डन करते हैं और उसके बाद तीसरे प्रकार की नौकरशाही यानी कानूनी व बौद्धिक नौकरशाही के बारे में बताते हैं। कानूनी और बौद्धिक नौकरशाही का मैक्स वेबर ने समर्थन किया है तथा इसे ही आदर्श प्रकार की नौकरशाही माना है। आगे मैक्स वेबर कहते हैं कि आदर्श नौकरशाही कानूनी- बौद्धिक सत्ता पर आधारित होती है।
मैक्स वेबर की नौकरशाही सिद्धान्त की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
प्रथम- कानूनी बौद्धिक नौकरशाही के कर्मचारी व अधिकारी जनता तथा अन्य कर्मचारियों के साथ निर्वैयक्तिक सम्बन्ध के आधार पर सम्पर्क स्थापित करते हैं। वे अपने दायित्वों के निर्वहन में विशुद्ध कानूनी बौद्धिक आधारों का सहारा लेते हैं, भावनात्मक सम्बन्धों का नहीं। उनकी नियुक्ति योग्यता के आधार पर होती है, न कि परिवार, कुल, राजनीतिक दल या अन्य संकीर्ण आधारों पर।
द्वितीय- मैक्स वेबर के आदर्श नौकरशाही प्रतिमान में पदसोपान पद्धति को आधार बनाया गया है। पदसोपान पद्धति के प्रभाव में नौकरशाही के अन्तर्गत कार्मिकों के बीच वरिष्ठ- अधीनस्थ का सम्बन्ध पाया जाता है। आदेश की एकता ऊपर से नीचे की ओर प्रवाहित होती है। तथा सभी स्तर के पदाधिकारियों के लिए निश्चित अधिकार एवं दायित्व निर्धारित किये जाते हैं।
तृतीय- मैक्स वेबर नौकरशाही के अपने आदर्श प्रतिमान में योग्यता आधारित नौकरशाही की बात करते हैं। योग्यता आधारित नौकरशाही का अर्थ यह है कि उसमें प्रत्येक पद के लिए योग्यताएं निर्धारित रहती हैं। इस प्रकार की नौकरशाही में उन्हीं की नियुक्ति होती है जो योग्य एवं कुशल होते हैं। इतना ही नहीं, पदोन्नति में भी योग्यता को आधार बनाया जाता है।
चतुर्थ- नौकरशाही व्यवस्था में अधिकारियों का एक पृथक वर्ग कायम हो जाता है। इस पृथक् वर्ग के द्वारा नौकरशाही को जीवनवृत्ति के रूप में स्वीकार किया जाता है। इस पृथक् वर्ग को समाज में भी पदसोपानीय स्तर के आधार पर विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं।
पंचम- मैक्स वेबर के द्वारा प्रतिस्थापित आदर्श नौकरशाही में पदसोपान पद्धति तथा कार्मिकों की नियुक्ति के लिए निश्चित योग्यता एवं प्रक्रिया को अपनाया जाता है। इससे नौकरशाही के अन्तर्गत काम करने वाले लोगों की जीवनवृत्ति सामान्य लोगों से अलग हो जाती है। वे भी अपने आपको सामान्य जनता से अलग मानने लगते हैं, उसको इस बात का आभास नहीं रहता है कि वे जनता के सेवक हैं, बल्कि वे तो अपने-आपको जनता से ऊपर समझते हैं तथा अहम्वाद के शिकार हो जाते हैं।
षष्ठी – नौकरशाही प्रतिमान के अन्तर्गत नियमों की अनिवार्यता एवं अनुपालन पर जोर दिया जाता है। सामान्य कार्यों के निष्पादन में भी औपचारिकताओं का निर्वहन किया जाता है, जिनके परिणामस्वरूप प्रशासन तन्त्र में लालफीताशाही का जन्म होता है। प्रशासन तंत्र के अन्तर्गत प्रत्येक प्रशासकीय अधिकारी नियमों पालन कठोरता के साथ करता है तथा प्रत्येक कार्यवाही उचित मार्ग से ही की जा सकती है।
सप्तम- आदर्श नौकरशाही के अन्तर्गत कठोर व व्यवस्थित अनुशासन और नियंत्रण की पद्धति प्रभावकारी होती है। नौकरशाही के सभी पदाधिकारियों को कठोर अनुशासन और नियंत्रण में रहना होता है।
अष्टम- नौकरशाही के आदर्श प्रतिमान के अन्तर्गत कानूनी रूप से प्रत्येक पद के कार्यों को परिभाषित एवं मर्यादित कर दिया जाता है ताकि कोई किसी के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करे। प्रशासन में कार्यालयों के परिभाषित कार्यों के कारण संघर्ष और तनाव की सम्भावना बहुत ही कम हो जाती है।
अन्त में- नौकरशाही के आदर्श प्रतिमान के अन्तर्गत पदसोपान सिद्धान्त में कार्मिकों के पद की स्थिति, अधिकार एवं दायित्व के आधार पर उसके वेतन एवं पेंशन को निर्धारित किया जाता है। स्पष्टतः नौकरशाही के आदर्श प्रतिमान में संगठन की आय के आधार पर कार्मिकों का वेतन तय नहीं किया जाता है।
मैक्सवेबर द्वारा प्रतिपादित आदर्श नौकरशाही की कई आलोचनाएँ निम्नलिखित रूप में प्रस्तुत की जा सकती हैं-
(i) नौकरशाही को आदर्श कहना या आदर्शवादी सिद्धान्त के रूप में प्रतिपादित करना हास्यास्पद प्रतीत होता है। ऐतिहासिकता के आधार पर यह कहा जा सकता है कि अब तक नौकरशाही ने आदर्श रूप में अपने कार्यों को सम्पन्न नहीं किया है, बल्कि यथास्थितिवाद को बढ़ावा दिया है। यथास्थितिवाद को बढ़ावा देकर नौकरशाही की प्रकृति प्रतिक्रियावादी एवं अनुदारवादी प्रमाणित हुई है।
(ii) मैक्स वेबर ने अपने आदर्श नौकरशाही के अन्तर्गत परम्परागत मान्यताओं को आरोपित किया है। उनका यह कहना वर्तमान लोकतांत्रिक व्यवस्था के नौकरशाही से मेल नहीं खाता है कि नौकरशाही एक विशिष्ट वर्गीय व्यवस्था है। इतना ही नहीं, मैक्स वेबर ने अपने नौकरशाही सिद्धान्त में नौकरशाही के अहमवादी प्रवृत्ति का समर्थन किया है जिसे भी सही नहीं कहा जा सकता है।
(iii) मैक्स वेबर के नौकरशाही में सिद्धान्तों के कठोर अनुपालन पर बल दिया गया हैं। सामाजिक न्याय और व्यापक विकास के संदर्भ में सिद्धान्तों का कठोर अनुपालन अनुचित एवं बाधा मूलक है। यहाँ यह भी कहा जा सकता है कि मैक्स वेबर का आदर्शवादी नौकरशाही नाम के लिए आदर्श है न कि बेहतर समाज बनाने के लिए आदर्श है।
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