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हिन्दी पद्य (कविता) शिक्षण के उद्देश्य
किसी भी प्रकार के शिक्षण के समान कविता शिक्षण द्वारा भी विद्यार्थियों के भाषा ज्ञान तथा अन्य प्रकार ज्ञान में वृद्धि होती है। यदि कविता का भाव-तत्त्व एवं कला-तत्त्व दोनों शक्तिशाली हों तो उसका हृदय पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार की कविता के शिक्षण से बालकों में अपने देश, धर्म, जाति, मानवता तथा अन्य नैतिक धारणाओं के प्रति अनुकूल अभिवृत्तियों के निर्माण करने में बहुत सहायता मिलती है। कविता का शिक्षण इस प्रकार किया जाना चाहिए कि छात्र उसका अर्थ एवं भाव दोनों समझ सकें। इसके अतिरिक्त कविता के शिक्षण द्वारा छात्रों को कविता के रस, आनन्द की अनुभूति भी करायी जानी चाहिए जिससे छात्र उसका अर्थ एवं भाव दोनों समझ सकें। इसके अतिरिक्त कविता के शिक्षण द्वारा छात्रों को कविता के रस, आनन्द तथा यदि हो सके तो, परम आनन्द की अनुभूति भी करायी जानी चाहिए। छात्रों को जिन विषयों पर लिखी हुई कविताएँ पढ़ाई जाती हैं, उनमें उन्हीं के अनुरूप भावों व विचारों का निर्माण होता है। कविता पद्य शिक्षण के उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
ज्ञान
(1) छात्रों को शब्द योजना, शब्द-शक्तियों, छन्दों, अलंकारों प्रस्तुत अप्रस्तुत, मूर्त-अमूर्त एवं जड़-चेतन विधानों और विभिन्न प्रकार के रसों की अनुभूति तथा शास्त्रीय ज्ञान कराना।
(2) छात्रों को मानव जीवन के विविध पक्षों तथा उनकी स्वयं की संस्कृति और सभ्यता से अवगत कराना।
(3) कविता के माध्यम से बालकों को प्राकृतिक सौन्दर्य का अनुभव कराना। इसके अतिरिक्त कविताओं के द्वारा छात्रों को सामाजिक आदर्शों, नैतिकता, धार्मिक, ऐतिहासिक एवं पौराणिक घटनाओं तथा सामाजिक दशाओं आदि का ज्ञान कराना।
कौशल
(1) शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को इस योग्य बनाना कि पूर्ण ध्यानपूर्वक कविता को सुनें, उसका अर्थ ग्रहण करें तथा उसमें निहित भावों को अनुभव करें।
(2) बालकों को भाव के अनुसार उचित एवं आरोह-अवरोह के साथ कविता को पढ़ने तथा पढ़े हुए अंश का भाव ग्रहण करते हुए रसानुभूति करने के योग्य बनाना।
(3) बालक जब कविता का अर्थ, भाव तथा रस की अनुभूति करने के योग्य बन जायें, इसके बाद वे कविता के सौन्दर्य का भी अनुभव कर सकें तथा अन्त में वे कविता से प्राप्त होने वाले परम आनन्द को भी अनुभव करने के योग्य बन सकें।
(4) बालकों को इस दृष्टि से भी निपुण बनाया जाना चाहिए कि वे पढ़ी हुई कविता में निहित भावों को अपने शब्दों में अभिव्यक्त कर सकें और कविता की समीक्षा भी कर सकें
रुचि
- बालकों में कविता और साहित्य के अध्ययन के प्रति रुचि उत्पन्न करना।
- बालकों की रचनात्मक शक्तियों का विकास करना तथा साहित्य रचना के प्रति उनकी रुचि जाग्रत करना।
अभिवृत्ति
- बालकों की अभिवृत्तियों को परिमार्जित करने, उनमें उच्च आदर्शों का निर्माण करना।
- छात्रों में सामाजिक आदर्शों के अनुकूल आचरण करने की प्रवृत्तियाँ विकसित करना।
हिन्दी शिक्षण में पद्य का महत्त्व
हिन्दी शिक्षण में पद्य का महत्त्व निम्नलिखित है-
- कक्षा के वातावरण में सौहार्दता और हर्ष का वातावरण बना रहता है।
- पद्य से हिन्दी शिक्षण की रोचकता बनी रहती है।
- बालकों को सस्वर बनाना, ताल लाना और संगीत से परिचय कराने में सहायता मिलती है।
- छात्र कविताओं के सौन्दर्य से भली-भाँति परिचित हो जाते हैं।
- कवियों की भाषा तथा विशेषताओं के सम्बन्ध में पता चल जाता है।
- छात्रों को रस, छन्द, अलंकार आदि का सूक्ष्मता से ज्ञान हो जाता है।
- कविता के सौन्दर्य की विविधताओं से छात्र भली-भाँति परिचित हो जाते हैं।
- विभिन्न साहित्यिक शब्दों के शब्द भण्डार का संग्रह समृद्ध हो जाता है।
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