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निर्णय निर्माण के विभिन्न प्रतिमान
निर्णय निर्माण के सम्बन्ध में मानव-व्यवहार तथा संगठनात्मक परिस्थितियों को आधार बनाकर दो प्रकार के प्रतिमान या प्रारूप प्रचलित हैं-
(क) आर्थिक मानव प्रतिमान
(ख) प्रशासनिक मानव या सीमित विवेकशीलता प्रतिमान
तीसरा प्रतिमान सामाजिक मानव तापमान हैं। वस्तुतः हरबर्ट साइमन ने पूर्ण औचित्य या विवेकशीलता पर आधारित प्रतिमान को आर्थिक मानव प्रतिमान नाम दिया है, जिसमें व्यक्ति को आर्थिक मानव के रूप में विवेकी माना गया है। दूसरे छोर पर मनोविज्ञान से लिया गया सामाजिक मानव प्रतिमान हैं, जो सिगमंड फ्रायड की इस मान्यता का पोषक है कि व्यक्ति की अपनी भावनाएँ, इच्छाएँ, मूल्य तथा विचार होते हैं। अतः वह तर्क था विवेक से प्रभावित न होकर केवल इच्छा प्रधान निर्णय लेना है। आर्थिक मानव तथा सामाजिक मानव के बीच वाले व्यवहार को साइमन ने प्रशासनिक मानव या सीमित विवेकशीलता नाम दिया है।”
1. आर्थिक मानव प्रतिमान
यह प्रतिमान दो मान्यताओं पर आधारित है-
(i) कि मनुष्य आर्थिक रूप से विवेकशील होता है।
(ii) कि मनुष्य, क्रमबद्ध तरीके से लाभ या उपयोगिता की प्राप्ति के अधिकाधिक प्रयास करता है।
हरबर्ट साइमन ने आर्थिक मानव प्रतिमान के पांच आयाम बताए हैं-
(i) इस प्रकार के निर्णय पूर्णतया विवेकयुक्त तथा साधन-साध्य (Means-End) सम्बन्ध पर आधारित होते हैं।
(ii) विकल्पों में से प्राथमिकतानुसार विकल्प चुनने हेतु पूर्ण तथा नियमित व्यवस्था होती है।
(iii) सभी संभावित विकल्पों के प्रति पूर्ण सजगता रहती है।
(iv) सर्वश्रेष्ठ विकल्प के चयन हेतु गणनाओं की कोई सीमा नहीं होती है।
(v) सम्भाव्यता की गणना हेतु कोई आशंका या रहस्य नहीं होता है।
अतः आर्थिक मानव, निर्णय लेने के लिए पर्याप्त सूचना एवं तथ्य एकत्र करता है, यह सूचनाएँ स्थायी तौर पर मानसिक स्तर पर एकत्र की जाती है, उपलब्ध सूचना तथा जानकारी की कुशलतापूर्वक गणना करके आशातीत मूल्य का ढांचा बनाया जाता है तथा अन्तिम विकल्प चुनने या निर्णय करने के लिए व्यक्ति परिणामों को एक प्राथमिकता आधारित सूची में रखता है। आर्थिक मानव या पूर्ण विवेकशील प्रतिमान में निर्णय के वे चरण होते हैं-
- समस्या या प्रकरण के उद्देश्य या लक्ष्य जानता या समस्या की पहचान करना।
- समस्या को परिभाषित करना या जो लक्ष्य प्राप्त करना है उसे निश्चित करना।
- वैकल्पिक साधनों के मूल्यांकन के लिए प्रमाण विकसित करना।
- समस्त वैकल्पिक कार्यविधियों को खोजना।
- प्रत्येक विकल्प के सम्भावित परिणामों पर विचार करना ।
- प्रत्येक विकल्प के परिणामों को समग्र रूप से जानकर श्रेष्ठ विकल्प चुनना ।
- निर्णय को क्रियान्वित करना ।
वस्तुतः आर्थिक मानव प्रतिमान, “निर्णय कैसे लेना चाहिए” का आदर्श रूप तो प्रस्तुत करता है, जो अधिकतम लाभ, उपयोगिता तथा विवेक पर आधारित माना जाता है किन्तु “वास्तव में निर्णय कैसे लिए जाते है” का वर्णन नहीं करता है। साइमन के अनुसार मनुष्य के लिए पूर्ण विवेकी होना अनिवार्य नहीं है, अतः आर्थिक मानव के प्रतिमान का व्यावहारिक प्रयोग भी नहीं है।
2. प्रशासनिक मानव या सीमित विवेकशीलता प्रतिमान
यह प्रतिमान मध्यमार्गी है जिसमें व्यक्ति न तो पूर्ण तार्किकता और न ही पूर्ण भावुकता के आधार पर निर्णय लेता है। साइमन के अनुसार जहाँ आर्थिक मानव अधिकतम लाभ के लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्प को निर्णय में चुनता है, वहीं प्रशासनिक मानव ऐसे निर्णय को तलाशता है, जो संतोषजनक या ठीक-ठाक हो । ऐसे निर्णय व्यक्ति की नजर में “पर्याप्त रूप से अच्छे” होते है, अतः वह संतुष्टिदायक विकल्प चुन लेता है। ऐसा इसलिए होता है कि व्यक्ति क्षमता से अधिक सूचना तथा तथ्यों की आवश्यकता होने के कारण सर्वोच्च विकल्प तक पहुँचने के पहले ही किसी निम्न स्तर पर निर्णय ले लेता है। अर्थात् सीमित विवेकशीलता का प्रयोग किया जाता है। साइमन की दृष्टि में निर्णय में तथ्य (Fact) तथा मूल्य (Value) का समावेश रहता है। ‘तथ्य’ का आशय वस्तु तथा मूल्य का आशय पसन्द से है। मूल्य वरीयता की अभिव्यक्ति होते हैं, तो तथ्य सच्चाई को प्रकट करते हैं। हरबर्ट साइमन ने प्रशासनिक मानव के निर्णयों के चार आयाम वर्णित किए हैं-
(i) प्रशासनिक मानव (व्यक्ति) विभिन्न विकल्पों का चयन करते समय केवल संतोषजनक या ठीक-ठाक या पर्याप्त रूप से अच्छे विकल्प से ही संतुष्ट हो जाता है। उसकी नजर में ‘उचित ‘कीमत’ या ‘पर्याप्त लाभ’ इत्यादि मापदण्ड संतुष्टिदायक है।
(ii) प्रशासनिक मानव यह मानकर चलता है कि वास्तविक संसार लगभग रिक्त (विकल्पों से विहीन) है, अतः सरलीकरण के द्वारा संतुष्टि पा लेता है।
(iii) अधिकतम के बजाय संतोषजनक का चयन प्रशासनिक मानव की विशेषता है। अतः वह सम्भावित विकल्पों का निर्धारण किए बिना ही, संतुष्टिदायक विकल्प चुन लेता है।
(iv) चूंकि प्रशासनिक मानव संसार को रिक्त मानता है, अतः वह अपने सामान्य ज्ञान, अंगूठा नियम या व्यापार के दाँव-पेजों के अनुरूप निर्णय ले लेता है।
प्रशासनिक मानव प्रतिमान या सीमित विवेकशीलता में तीन प्रकार के प्रयास किए जाते हैं-
(अ) किसी भी समस्या का समाधान करने के लिए अनुक्रमात्मक ध्यान से विकल्पात्मक समाधान की ओर जाते हुए यह प्रयास किया जाता है कि कोई काम चलाऊ विकल्प मिल जाए। जो साधन या विकल्प ठीक-ठीक लगे, उसे ही अपना लिया जाता है।
(ब) स्वतः शोध करके सीखने के तरीके (Heuristic) के माध्यम से भी निर्णय लिए जाते हैं, जो मुख्यतः वैज्ञानिक नियम न होकर, व्यक्ति के पूर्व अनुभवों या सोच पर आधारित होते हैं। इन्हें रणनीतियों का सरलीकरण या अंगूठा नियम कह सकते हैं। पूर्व के निर्णय इसमें सहायता करते हैं।
(स) संतोषजनक हल या विकल्प की प्राप्ति ही इस प्रकार के निर्णयों का मुख्य उद्देश्य होता है अर्थात् सर्वोत्तम विकल्प तक पहुँचने का प्रयास ही नहीं किया जाता है, क्योंकि बीच में ही ठीक-ठाक विकल्प मिल जाता है, क्योंकि बीच में ही ठीक-ठाक विकल्प मिल जाता है।
प्रशासनिक मानव प्रतिमान में निर्णयन के आठ चरण होते हैं-
(i) लक्ष्य निर्धारित करना या समस्या को परिभाषित करना।
(ii) अभिलाषा का उपयुक्त स्तर निर्धारित करना।
(iii) एक एकल आशाजनक विकल्प की सूक्ष्म समस्या क्षेत्र अन्वेषण विधि का उपयोग करना ।
(iv) यदि कोई व्यावहारिक विकल्प नहीं मिल सके तो-
(क) अभिलाषा के स्तर को नीचे की जोर ले जाना ।
(ख) एक नए वैकल्पिक समाधान की खोज करना ।
(v) व्यावहारिक विकल्प की खोज के पश्चात् इसकी स्वीकार्यता निश्चित करने के लिए मूल्यांकन करना।
(vi) यदि चयनित विकल्प स्वीकार योग्य नहीं है, तो नए विकल्प को खोजना।
(vii) यदि खोजा गया विकल्प स्वीकार योग्य है, तो समाधान को क्रियान्वित करना।
(viii) इस निर्णय के क्रियान्वयन के आधार पर भविष्य में इससे मिलती-जुलती समस्याओं का समाधान या अभिलाषा के स्तर को अन्य या निम्न करने का आधार बनाना।
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