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पाठ्यचर्या प्रारूप का वर्गीकरण (Classification of Curriculum Design)
पाठ्यचर्या प्रारूप को कई वर्गों में बाँटा जाता है। यहाँ पर पाठ्यचर्या प्रारूप का वर्गीकरण दर्शाया जा रहा है-
- भारतीय पाठ्यचर्या प्रारूप
- पाश्चात्य पाठ्यचर्या प्रारूप
- अत्याधुनिक नवीन पाठ्यचर्या प्रारूप
भारतीय पाठ्यचर्या प्रारूप (Indian Curriculum Design)
भारतीय पाठ्यचर्या प्रारूप का वर्गीकरण इस प्रकार है-
1) सामान्य प्रारूप- यह सामान्य पाठ्यचर्या प्रारूप कहलाता है। इसमें उन विषयों तथा क्रियाओं को स्थान दिया जाता है जो कि छात्र-छात्राओं के लिए सामान्य तो होती है किन्तु अनिवार्य भी होती हैं जिनका लक्ष्य छात्रों के सर्वांगीण व्यक्तित्व का विकास करना है। देश को उत्तम नागरिक, श्रेष्ठ वातावरण, अच्छे मूल्य, व्यवहारिक ज्ञान, स्वच्छता का महत्त्व आदि को उपहारस्वरूप भेंट देना ही पाठ्यचर्या का लक्ष्य है।
2) विशिष्ट प्रारूप- इस प्रारूप के अंतर्गत व्यक्तित्व विकास, पारिवारिक विकास, सामाजिक विकास, नैतिक विकास, आध्यात्मिक विकास, स्त्रियों की शिक्षा, जागरूकता, पर्यावरण के प्रति जागरूकता, सामाजिक आवश्यकताएँ, नागरिकों के कर्तव्य, नागरिकों के अधिकार, बाल मनोविज्ञान, शिक्षकों का विकास, बालकों की अभिप्रेरणा हेतु विभिन्न क्रियाएं, खेलों का विकास, ऐतिहासिक जानकारियाँ, साहित्यिक विकास, राष्ट्रीय सम्मान, देशप्रेम, मूल्यों की शिक्षा आदि प्रकरणों के सन्दर्भ में सभी तत्त्वों को सम्मिलित किया जाता है जिससे की एक विशिष्ट पाठ्यचर्या का प्रारूप तैयार हो सके।
3) अति विशिष्ट प्रारूप- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलकूद, कार्यशालाओं का महत्त्व, विशिष्ट शैक्षिक आयोजन, प्रायोगिक कार्य, अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध, अन्तर्राष्ट्रीय युद्ध, देश की अर्थव्यवस्था, राजनीति, धर्म, आध्यात्मिक, शारीरिक, प्रशिक्षण, अनुसन्धान विभिन्न देशों की राजनीति का तुलनात्मक अध्ययन सर्वश्रेष्ठ नागरिक निर्माण, चारित्रिक विकास, सुरक्षा के उपाय, गरीबी, एवं बेरोजगारी को कम करने के उपाय, देश के लिए प्रतिबद्धता, राष्ट्रीयता की भावना, अभिरुचियों, व्यावसायिक शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, वैज्ञानिक शिक्षा आदि विषयों को पाठ्यचर्या के अति विशिष्ट प्रारूप में रखा गया है।
अतः उपरोक्त द्वारा तीन प्रकार के वर्गीकरण दिए गए। यह वर्गीकरण भारतीय शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत दिए गए हैं किन्तु भारतीय शिक्षा प्रणाली स्वयं में विशेष है। अतः उसके अंतर्गत तीनों प्रकार के वर्गीकृत तत्त्वों को आपस में मिलाकर एक नया प्रारूप प्रस्तुत करके बालकों की जिज्ञासा, रुचि, योग्यता, बौद्धिक क्षमता, आयु आदि के लिए बहुत ही लाभ का कार्य किया जाता है।
पाश्चात्य पाठ्यचर्या प्रारूप (Western Curriculum Design)
पिछले कुछ वर्षों में पाठ्यचर्या के साथ नवीन प्रयोग किए गए हैं जिसके फलस्वरूप नए-नए प्रारूप दिखाई देते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका (U.S.A.) में सबसे अधिक यह प्रयोग हुए हैं। अमेरिका का प्रारूप तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है-
1) सामान्य प्रारूप- इसमें छात्रों हेतु सभी अनिवार्य क्रियाएं आती हैं जो छात्रों के लिए सरल तथा सुगम हों। अमेरिका में जब यह पाठ्यचर्या प्रारूप बनाया गया तो इसे प्रगति की राह का एक महत्त्वपूर्ण कदम माना गया।
2) विशिष्ट प्रारूप- इसमें शिक्षण अधिगम क्रियाएँ सम्मिलित हैं। इसमें बालक के मनोविज्ञान को केन्द्र में रखकर यह प्रारूप तैयार किया गया है। इसके अतिरिक्त विशिष्ट प्रारूप में अनेक वैकल्पिक पाठ्य वस्तुओं एवं विभिन्न क्रियाओं को सम्मिलित किया गया है।
3) छात्र क्रिया आधारित अतिविशिष्ट प्रारूप – इस प्रारूप में यह विशेषता है कि इसमें छात्रों के मनोरंजन व स्वास्थ्य का पूरा-पूरा ध्यान रखा गया है। साहित्य, संस्कृति, खेल, मनोरंजनात्मक प्रवृत्तियाँ, व्यवासायिक विषयों एवं विभिन्न क्रियाओं को महत्त्व दिया गया है।
इसके अतिरिक्त पाठ्यचर्या प्रारूप विभिन्न विद्वानों द्वारा वर्गीकृत किया गया है-
1) जेम्स एम.ली. के अनुसार वर्गीकरण
i) अंशों में विभाजित प्रारूप (Fragmented Design)- इस प्रारूप के अन्तर्गत प्रत्येक विषय को अलग-अलग संगठित किया जाता है एवं उसे अपरिवर्तनीय माना जाता है। इसके अनुसार शिक्षण सम्पूर्ण कक्षा-समूह के लिए होता है। इसमें निर्देशात्मक प्रक्रिया दृढ़ तथा परम्परागत तरीके से होती है।
ii) एकीकृत प्रारूप (Unified Design)- इस प्रारूप के अन्तर्गत विषयवस्तु को पृथक करने के स्थान पर अध्ययन की जाने वाली समस्या के आधार पर विषयों को एकीकृत किया जाता है। इसमें अध्यापक तथा विद्यार्थी की सहयोगी क्रियाओं, नियोजन आदि को भी स्थान प्रदान किया जाता है। इसमें सम्पूर्ण कक्षा समूहों के साथ-साथ व्यक्तिगत अध्ययन एवं छोटे-छोटे समूहों के कार्यों को भी महत्त्व दिया जाता है। निर्देशात्मक प्रक्रिया इसमें प्रायः लचीली होती है।
2) गुडलैंड के अनुसार वर्गीकरण
i) एकीकृत प्रारूप (Integrated Design)
ii) व्यापक प्रारूप (Broad Design)
iii) संगठित प्रारूप (Unitary Design)
3) स्मिथ व स्टेनली के अनुसार वर्गीकरण
i) विषयक प्रारूप (Subjective Design)
ii) क्रियात्मक (Active Design)
iii) एकीकृत प्रारूप (Integrated Design)
4 ) हिल्दा टाबा के अनुसार वर्गीकरण
i) व्यापक प्रारूप (Broad Design)
ii) सामाजिक जीवन प्रारूप (Social Life Design)
iii) क्रियात्मक प्रारूप (Activity Design)
iv) एकीकृत प्रारूप (Integrated Design)
5) बर्टन का वर्गीकरण
i) इकाई योजना (Unit Planning)
ii) अध्ययन आवंटन-व्याख्यान देना (Assign Study – Recite Rest)
6) हेरिक का वर्गीकरण
i) विषयक प्रारूप (Subjective Design)
ii) व्यापक प्रारूप (Broad Design)
iii) समस्यात्मक प्रारूप (Problematic Design)
iv) आवश्यकता पर आधारित प्रारूप (Need Based Design)
अत्याधुनिक नवीन पाठ्यचर्या प्रारूप (Ultra-Modern Curriculum Design)
अत्याधुनिक नवीन पाठ्यचर्या वर्तमान में वर्चस्व में है। इसमें कोई एक निश्चित संरचना नहीं होती है बल्कि पाठ्यचर्या में पाश्चात्य तथा भारतीय तत्त्वों को सम्मिलित किया जाता है। पाश्चात्य पाठ्यचर्या प्रारूप में कुछ भिन्न तत्त्वों तथा पाठ्यवस्तु को रखा गया है तो भारतीय पाठ्यचर्या में कुछ भिन्न पाठ्यवस्तु द्वारा प्रारूप तैयार किया जाता है। किन्तु वर्तमान में सभी तत्त्वों को एकीकृत करके नवीन पाठ्यचर्या प्रारूप बनाया जाता है। यद्यपि प्रत्येक पाठ्यचर्यों के प्रारूपों की अपनी-अपनी सीमाएं होती है किन्तु समय व क्षेत्र की आवश्यकतानुसार पाठ्यचर्या प्रारूप में पाठ्यवस्तु को शामिल किया जाता है।
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