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पारिवारिक विघटन से आप क्या समझते हैं?

पारिवारिक विघटन से आप क्या समझते हैं?
पारिवारिक विघटन से आप क्या समझते हैं?

पारिवारिक विघटन से आप क्या समझते हैं? 

पारिवारिक विघटन- पारिवारिक विघटन को ठीक प्रकार समझने के लिए आवश्यक है कि पारिवारिक संगठन के अर्थ पर प्रकाश डाला जाए। वह परिवार संगठित कहा जा सकता है, जिसके समस्त सदस्यों की मनोवृत्तियों, महत्वाकांक्षाओं तथा उद्देश्यों आदि में समानता होती है। प्रत्येक परिवार के सदस्यों को एकता के सूत्र में बाँधने के लिए कुछ मानसिक परिस्थितियाँ आवश्यक होती हैं। किसी कारणवश जब इन परिस्थितियों का अभाव हो जाता है तो पारिवारिक बन्धनों में शिथिलता आ जाती है और परिवार संघर्ष या क्लेश से ग्रस्त हो जाता है। एक संगठित परिवार के निम्नवर्णित लक्षण होते हैं-

  1. परिवार के समस्त सदस्य अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं और आकांक्षाओं को परिवार के हित के आगे कम महत्व देते हैं।
  2. संगठित परिवार में सुख और सन्तोष दोनों होते हैं। सदस्यों में किसी भी प्रकार का कलह और द्वेष नहीं होता।
  3. संगठित परिवार के सदस्यों की मनोवृत्तियों और मूल्यों में समानता होती है। वे महत्वपूर्ण प्रश्नों पर एकमत होते हैं। परिवार सम्बन्धी किसी भी बात पर सदस्यों में मतभेद नहीं होता। सभी कार्यों का सम्पादन पारस्परिक सहयोग के आधार पर किया जाता है।
  4. सभी सदस्य अपनी निश्चित व निर्धारित परिस्थितियों के अनुरूप ही कार्य करते हैं।
  5. धार्मिक, आर्थिक, शिक्षा तथा वैवाहिक विषयों पर संगठित परिवार के समस्त सदस्य एकमत होते हैं।

पारिवारिक विघटन का अर्थ तथा परिभाषाएँ

जिस परिवार में संगठित परिवार के उपर्युक्त गुणों का अभाव होता है, वह परिवार विघटित परिवार कहलाता है। पारिवारिक विघटन की स्थिति में परिवार के विभिन्न सदस्यों के बीच पाया जाने वाला सामंजस्य समाप्त होने लगता है। विघटित परिवार के कुछ मुख्य लक्षण निम्नलिखित होते हैं-

  1. परिवार के सदस्यों की रुचियों, उद्देश्यों और आदर्शों में समानता नहीं होती।
  2. परिवार के सदस्यों द्वारा अपनी प्रस्थिति के अनुसार कार्य न करने से प्रस्थिति व कार्य में सामंजस्य नहीं रह पाता है।
  3. परिवार के सदस्यों में तनाव उत्पन्न हो जाता है।
  4. परित्याग, पृथक्करण, विवाह-विच्छेद आदि पारिवारिक विघटन के अन्तिम लक्षण हैं।
  5. परिवार के सदस्य दुःख तथा क्लेश अनुभव करने लगते हैं।

उपर्युक्त लक्षणों को सामने रखते हुए विभिन्न विद्वानों ने पारिवारिक विघटन को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया है-

1. इलियट तथा मैरिल (Elliott and Merrill) के अनुसार- “पारिवारिक विघटन में हम किन्हीं भी उन बन्धनों की शिथिलता, असामंजस्य या समाप्ति को सम्मिलित करते हैं, जोकि समूह में परस्पर सदस्यों को बाँधे रखते हैं।”

2. मार्टिन न्यूमेयर (Martin Neumeyer) के अनुसार- “पारिवारिक विघटन का अर्थ एकता तथा निष्ठा का भंग होना, पहले से स्थापित सम्बन्धों की समाप्ति, पारिवारिक चेतना का नाश अथवा अलगाव का विकास है।”

उपर्युक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट हो जाता है कि पारिवारिक विघटन में परिवार के सदस्यों में असामंजस्य की स्थिति पैदा हो जाती है तथा वे अपने व्यक्तिगत स्वार्थों के लिए संघर्षरत हो जाते हैं। पति-पत्नी के सम्बन्धों की घनिष्ठता का अन्त हो जाता है एवं उनकी उद्वेगात्मक मनोवृत्तियाँ परस्पर विरोधी हो जाती हैं। सभी सहयोगात्मक प्रभाव रुक जाते हैं और पारस्परिक सेवाएँ बन्द हो जाती हैं।

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Anjali Yadav

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