समाजशास्त्र एवं निर्देशन / SOCIOLOGY & GUIDANCE TOPICS

पारिवारिक विघटन के कारण | causes of Family disintegration in Hindi

पारिवारिक विघटन के कारण | causes of Family disintegration in Hindi
पारिवारिक विघटन के कारण | causes of Family disintegration in Hindi

पारिवारिक विघटन के प्रमुख कारण

पारिवारिक विघटन के मुख्य निम्नलिखित कारण होते हैं-

1. स्वार्थ का उदय – जब परिवार के कुछ या सभी सदस्यों में पारिवारिक हित की अपेक्षा निजी स्वार्थ की भावना प्रबल हो जाती है तो परिवार की संगठनकारी प्रवृत्ति क्षीण पड़ने लगती है तथा क्रमशः पारिवारिक विघटन होने लगता है। स्वार्थ उदय होने से परिवार का प्रमुख आधार सहयोग समाप्त हो जाता है।

2. सामाजिक मूल्यों में भिन्नता- जब परिवार के सदस्यों में भिन्नता आ जाती है, जिससे समन्वय समाप्त हो जाता है और उसमें परस्पर संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, तो इनका प्रभाव परिवार के संगठन पर भी पड़ता है। प्रायः परिवारों में देखा गया है कि माता-पिता प्राचीन विचारधारा के होते हैं और पुत्र तथा पुत्री नवीन विचारधारा के, जो परम्परागत रूढ़ियों में विश्वास नहीं करते। इस प्रकार विचारों और मूल्यों की भिन्नता के कारण पारिवारिक संगठन बिगड़ने लगता है

3. उद्देश्यों में भिन्नता- जब तक परिवार के सदस्यों के महत्वपूर्ण उद्देश्यों में एकता है, तब तक उनमें एकता बनी रहती है, परन्तु जब उद्देश्यों में भिन्नता पाई जाती है तो तनाव उत्पन्न हो जाता है। उद्देश्यों में भिन्नता से उत्पन्न यही तनाव पारिवारिक विघटन का कारण बन जाता है।

4. यौन असन्तुष्टि- जब पति अथवा पत्नी परस्पर यौन सम्बन्धों में एक-दूसरे को सन्तुष्ट नहीं कर पाते तो उनमें एक-दूसरे के प्रति घृणा की भावना उत्पन्न हो जाती है। यौन सम्बन्धों की असन्तुष्टि पारिवारिक विघटन का एक प्रमुख कारण होता है

5. प्रतिकूल परिस्थितियाँ- जब परिवार में प्रतिकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाती हैं तो परिवार में विघटन प्रारम्भ हो जाता है। प्रतिकूल परिस्थितियों के उदाहरण हैं-नौकरी छूट जाना, किसी व्यापार में घाटा आना या लम्बी बीमारी या मुखिया को लम्बी अवधि का कारावास आदि हो जाना।

6. जीवन-दर्शन में भिन्नता – पति और पत्नी अथवा माता-पिता तथा बच्चों के जीवन दर्शनों में जब अत्यधिक भिन्नता होती है, तब सदस्यों में सामंजस्य की स्थिति नहीं रह पाती। इससे भी पारिवारिक विघटन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

7. पति अथवा पत्नी की चरित्रहीनता- परिवार में यदि पति अथवा पत्नी या दोनों ही चरित्रहीन हो जाएँ अर्थात् परिवार से बाहर उनके यौन सम्बन्ध स्थापित हो जायें तो परिवार का आधार ही डगमगा जाता है। इससे पारिवारिक तनाव, कलह अथवा विघटनकारी प्रवृत्तियाँ सक्रिय हो जाती हैं तथा परिणामस्वरूप पारिवारिक विघटन हो जाता है।

8. पति या पत्नी की मृत्यु हो जाना— यदि परिवार बच्चों से रहित है और पति या पत्नी में से किसी एक की मृत्यु हो जाती है तो परिवार का अपने आप विघटन हो जाता है। अगर बच्चे हैं और माता या पिता किसी एक की मृत्यु के पश्चात् दूसरा इनका अच्छी तरह से ध्यान नहीं रखता तो भी पारिवारिक विघटन हो जाता है।

9. औद्योगीकरण का प्रभाव-आधुनिक औद्योगीकरण ने भी परिवार में विघटन की स्थिति उत्पन्न कर दी है। औद्योगीकरण के कारण समाज में अनेक ऐसी संस्थाओं का जन्म हो चुका है, जोकि परिवार का काम स्वयं करने लगी हैं। भोजन और निवास की सुविधा होटलों में मिल जाती है, कपड़े धोने के लिए लांड्रियाँ, बच्चों के लालन-पालन के लिए। नर्सरी तथा शिशुशालाएँ परिवार की आवश्यकता को कम करती जा रही हैं।

10. सामाजिक ढाँचे में परिवर्तन- जब परिवार के सदस्यों की स्थिति और कार्यों में परिवर्तन आ जाते हैं, पति तथा पत्नी नवीन सामाजिक स्थितियों को अपना लेते हैं, तो कई बार वे इनसे सामंजस्य नहीं कर पाते, जिससे कि परिवार में तनाव और संघर्ष की स्थिति आ जाती है। उदाहरणार्थ, जब स्त्रियाँ किसी व्यवसाय में लीन हो जाती हैं और विभिन्न कार्यों में भाग लेने लग जाती हैं तो इन सब बातों का पारिवारिक जीवन पर प्रभाव पड़ता है। उन्हें माता, पत्नी तथा गृहिणी के कर्तव्य निभाने में कठिनाई अनुभव होने लग जाती है अर्थात् हो सकता है कि उनकी विभिन्न स्थितियों एवं भूमिकाओं में तालमेल न रह सके और कई बार उनमें पारिवारिक असन्तोष दिन-प्रतिदिन बढ़ता जाता है

11. निर्धनता- निर्धनता एक अभिशाप है। जब परिवार के सदस्यों की पर्याप्त भोजन, वस्त्र और विविध आवश्यकताएँ पूरी नहीं हो पातीं तो उनमें तनाव एवं असन्तोष की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। आर्थिक तनाव की स्थिति में परिवार का विघटन तीव्रता से होता है।

12. अलगाव की स्थिति- कई बार सदस्यों का अपने परिवार के प्रति लगाव समाप्त हो जाता है तथा वे अपने परिवार में रहते हुए भी एक-दूसरे को पराया समझने लगते हैं, जिससे अलगाव पैदा हो जाता है और पारिवारिक विघटन शुरू होता है।

13. आत्मनिर्भरता – वर्तमान काल में परिवार का प्रत्येक सदस्य आत्मनिर्भर होने का प्रयास करता है और जहाँ जो सदस्य आत्मनिर्भर हुआ वह अन्य सदस्यों की चिन्ता करना छोड़ देता है। इस प्रकार परिवार में सहयोग की भावना समाप्त हो जाती है और परिवार का विघटन आरम्भ हो जाता है।

14. पति या पत्नी को असाध्य रोग होना- यदि पति या पत्नी किसी असाध्य रोग से पीड़ित होते हैं और यदि उनके कोई बच्चा नहीं होता तो परिवार का विघटन होने की पूरी सम्भावना रहती है। ऐसी परिस्थिति में पति-पत्नी एक-दूसरे के प्रति उदासीन हो जाते हैं और एक-दूसरे की कोई चिन्ता नहीं करते ।

15. इच्छाओं का दमन- जब परिवार का प्रधान आवश्यकता से अधिक निरंकुश होता है और वह दूसरों की इच्छाओं की उपेक्षा करके शासन करना चाहता है, तो परिवार में विद्रोह और विघटन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इच्छाओं का दमन कुछ काल तक ही सहन हो सकता है। अन्त में, परिवार के अन्य सदस्य मुखिया के प्रति विद्रोह कर देते हैं तथा फलस्वरूप पारिवारिक विघटन हो जाता है।

16. प्रेम विवाह – प्रेम-विवाह भी पारिवारिक विघटन के कारण होते हैं। जब युवक-युवतियाँ विवाह के पूर्व प्रेम करने लगते हैं तो वासना के आवेग में वे एक-दूसरे को ठीक प्रकार से नहीं समझ पाते। विवाह के पश्चात् कुछ काल तो भोग-विलास में व्यतीत हो जाता है, परन्तु बाद में काम वासना का नशा उतर जाने पर पति-पत्नी में तनाव उत्पन्न हो जाता है और अन्त में परिवार का विघटन हो जाता है।

17. विवाह के आधार में परिवर्तन- पर्याप्त काल तक विवाह को एक धार्मिक कृत्य तथा पवित्र व अटूट बन्धन के रूप में स्वीकार किया जाता रहा है, परन्तु पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव के कारण अब विवाह केवल सामाजिक समझौता मात्र रह गया है। पति-पत्नी में कुछ काल के पश्चात् जहाँ जरा-सा मनमुटाव हुआ कि वे तलाक (Divorce) की बात सोचने लगते हैं। इस प्रकार परिवार का विघटन सरलता से ही हो जाता है।

18. भौतिकवादी तथा व्यक्तिवादी भावनाएँ- वर्तमान युग में भौतिकवाद का बोलबाला है। भौतिकवादी प्रवृत्तियों ने व्यक्तिवादी विचारधाराओं को बढ़ावा दिया है। परिवार का प्रत्येक सदस्य अपने भौतिक कल्याण की चेष्टा करता है। ऐसी दशा में परिवार के सदस्यों में प्रेम, परोपकार और निस्वार्थता की भावनाएँ समाप्त हो जाती हैं। इसके परिणामस्वरूप परिवार की एकता समाप्त हो जाती है, जो अन्ततः ‘पारिवारिक विघटन को प्रोत्साहित करती है।

IMPORTANT LINK

Disclaimer

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com

About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment