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फेंकने वाली प्रतियोगिताए के नियम
फेंकने वाली प्रतियोगिताओं में तस्तरी फेंक (डिस्कस), गोला फेंकना (शॉट पुट), भाला फेंकना(जेवलिन थ्रो) तथा हैमर थ्रो (जंजीर गोला) प्रमुख हैं।
फेंकने वाली प्रतियोगिताओं के सामान्य नियम निम्न प्रकार हैं-
- जहाँ खिलाड़ियों की संख्या 8 से अधिक हो, वहाँ प्रत्येक खिलाड़ी को तीन-तीन अवसर मिलेंगे। सर्वोत्तम आठ खिलाड़ियों को तीन-तीन ट्रायल और अतिरिक्त मिलेंगे। आखिरी स्थिति के लिए ट्राई वाले खिलाड़ियों को तीन-तीन अतिरिक्त अवसर दिए जाएँगे। जहाँ खिलाड़ियों की संख्या 8 से कम हो, वहाँ प्रत्येक खिलाड़ी को छह-छह अवसर मिलेंगे।
- यदि थ्रो वृत्त के अन्दर से हो तो खिलाड़ी को प्रारम्भ के समय स्थिर खड़ा होना चाहिए।
- थ्रो शुरू हो जाने के बाद यदि खिलाड़ी अपने शरीर के किसी भाग से चक्र में, या स्टॉप बोर्ड के ऊपरी सिरे को या बाहर की ग्राउण्ड को स्पर्श करता है तो यह फाउल होगा।
- इस प्रकार फेंकी गई वस्तु जब तक भूमि का स्पर्श नकर ले, खिलाड़ी वृत्त से बाहर नहीं निकलेगा।
- शॉटपुट, हैमर थ्रो या डिस्क थ्रो के समय यह आवश्यक है कि ये वस्तुएँ 45° सेक्टर में ही गिरें।
1) तश्तरी फेंक (Discus Throw)
- इसके लिये एक विशेष प्रकार का वृत्त बनाया जाता है। इस वृत्त के अन्दर से ही तश्तरी फेंकी जाती है। वृत्त का व्यास 8 फुट 27 इंच होना चाहिये।
- वृत्त के केन्द्र से होकर एक सफेद रेखा खींचते हैं जो वृत्त के बाहर 2½फुट निकली रहती है। यह वृत्त को दो भागों में बाँटती है।
- वृत्त के साथ 40° का द्वित्रिज्यिक या खण्ड बनाया जाता है,जिसकी दोनो भुजाएँ वृत्त की परिधि को छूती है।
तश्तरी फेंक की पद्धति–
गोले में जाकर तश्तरी को हथेली पर इस प्रकार रखा जाता है कि तश्तरी की किनारी अँगुलियों के सिर के पास वाले जोड़ में स्थित हो जाये तथा तश्तरी के किनारे का दूसरा कुछ भाग हमारी कलाई का स्पर्श कर ले। इसे ‘तश्तरी का ग्रिप’ कहते हैं। तश्तरी को इस प्रकार भली-भाँति ग्रिप में लेने के उपरान्त हाथ को कोहनी से मोड़कर तश्तरी को बायें कन्धे तक लाकर स्विग कराते हुए कोहनी को सीधा किया जाता है और तश्तरी को नीचे की ओर लाया जाता है। इसके साथ ही कमर को झुकाते हुए अपने दाहिनी ओर घुमाते हैं।
इस प्रकार दो-तीन बार हाथ को स्विंग कराते हुए पूरी शक्ति के साथ गोले (वृत्त) में चक्कर लगाते हुए गोले में दर्शायी गई 40° के कोण की रेखाओं के मध्य आते हुए गोले के भीतर से ही तश्तरी को फेंक दिया जाता है और गोले के पिछले आधे भाग से बाहर निकल जाना पड़ता है, न कि आगे से।
स्तर व आयु (वर्ष) | पुरुष/छात्र | महिला/छात्रा |
छात्र-छात्रा 13 से 17 | 1 किग्रा (2 पौण्ड 3¼ औन्स) | 1 किग्रा (2 पौण्ड 3¼ औन्स) |
छात्र-छात्रा 17 से 19 | 1.5 किग्रा (3 पौण्ड 5 औन्स) | 1 किग्रा (2 पौण्ड 3¼ औन्स) |
वरिष्ठ 19 वर्ष से ऊपर | 2 किग्रा (4 पौण्ड 6¼औन्स) | 1 किग्रा (2 पौण्ड 3¼ औन्स) |
स्तर व आयु (वर्ष) | पुरुष/छात्र | महिला/छात्रा |
छात्र/छात्रा 13 से 15 वर्ष | 4 किग्रा (8 पौण्ड 13 औन्स) | 4 किग्रा (8 पौण्ड 13 औन्स) |
छात्र/छात्रा 15 से 17 वर्ष | 5.443 किग्रा (12 पौण्ड) | 4 किग्रा (8 पौण्ड 13 औन्स) |
छात्र/छात्रा 17 से 19 वर्ष |
7.257 किग्रा (16 पौण्ड) | 5.443 किग्रा (12 पौण्ड) |
वरिष्ठ 19 वर्ष के ऊपर | 7.257 किग्रा (16 पौण्ड) | 5.443 किग्रा (12 पौण्ड) |
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ध्यान देने योग्य बातें या नियम
तश्तरी फेंकने में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- वृत्त के अन्दर से ही तश्तरी फेंकनी चाहिए और उसकी दिशा निर्देशानुसार होनी चाहिए।
- तश्तरी फेंकने के पश्चात् गोले या वृत्त के पिछले आधे भाग से ही बाहर निकलना चाहिए।
- तश्तरी को स्विंग कराने के बाद हम यदि सन्तुलित होकर गोले में दो-तीन चक्कर लगाकर तश्तरी फेंकते हैं तो वह अधिक दूरी तक जाती है।
- कमर, भुजाओं, कन्धों, कलाई व टाँगों के व्यायाम से तश्तरी फेंक में बड़ी सहायता मिलती है।
- तश्तरी फेंकते समय सन्तुलन के लिये दूसरा हाथ कन्धे की ऊँचाई तक सीधा रखने से सहायता मिलती है।
- जब तक चक्का जमीन पर न गिर पाये तब तक प्रतियोगी को वृत्त से बाहर नहीं आना चाहिए।
(2) गोला फेंक (Shot Put)
गोला ठोस लोहे या अन्य किसी धातु का हो सकता है। गोला फेंकने का वृत्त 7 फुट व्यास का बना होना चाहिए। वृत्त के अग्र भाग में एक वक्र विराम पट्ट (स्पॉट बोर्ड) जमीन में गढ़ा रहता है। वृत्त के केन्द्र से गुजरने वाली सफेद रेखा खींची जाती है-जो वृत्त से 2½ फुट बाहर निकली रहती है। अलग-अलग आयु-वर्ग के लिये गोले का वजन अलग-अलग होता है।
गोला फेंकने की विधि–
सबसे पहले गोले को ग्रिप किया जाता है। गोले को, हथेली को कटोरानुमा बनाकर अँगुलियों के सिरों से पकड़ा जाता है। इसके बाद इसको कन्धे की ऊँचाई तक ले जाया जाता है। अब इसी स्थिति में गोला फेंक बिन्दु पर धीरे-धीरे सरका दिया जाता है। बिन्दु पर पहुँचकर गोले को पूरी शक्ति से फेंका जाता है। गोला फेंकने में शरीर का सन्तुलन बनाये रखने के लिये पैरों की हरकत आवश्यक होती है।
नियम-
- प्रतियोगी अपने पैर विराम पट्ट के किनारे के साथ टिका सकता है।
- गोला एक हाथ से कन्धे से फेंका जायेगा। जब प्रतियोगी गोला फेंकने की मुद्रा में खड़ा होता है तो गोला उसकी ठोड़ी को छूना चाहिए या इसके बिल्कुल निकट होना चाहिए और हाथ गोला फेंकने की प्रक्रिया के दौरान इस ऊँचाई से नीचा नहीं होना चाहिए। गोला कन्धे के पीछे नहीं करना चाहिए।
- प्रतियोगी को तब तक वृत्त के बाहर नहीं निकलना चाहिए जब तक गोला भूमि पर न गिर जाये। बाहर भी खड़े होकर वृत्त के पृष्ठ भाग से निकलना चाहिए।
- वही फेंक सही समझी जाती है जिसमे गोला 40 द्वित्रिज्यि या खण्ड की भु्जाएँ केभीतरी किनारों के अन्दर होता है।
(3) भाला फेंक (Javelin Throw)
भाला या जेवलिन धातु का बना होता है। इसका सिरा तीक्ष्ण नोकों का होता है। इसके गुरुत्व केन्द्र पर चाबुकी डोरी लिपटी रहती है जिससे इसे मजबूती से पकड़ सकते हैं। भाले पर डोरी लिपटने के पश्चात् इसकी परिधि भाले के दण्ड की परिधि से 25 किलोमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।
जेवेलिन का माप
वर्ग | वजन (ग्राम) | लम्बाई (मीटर) | हैड की लम्बाई (मिली मीटर) | चिप की चौड़ाई (मिली मीटर) |
पुरुष/छात्र | 800 | 2.60-2.70 | 250-330 | 150-160 |
महिला/छात्रा | 2.20-2.30 | 250-330 | 140-150 |
भाला या जेवेलिन एक वृत्त की चाप में फेंका जाता है, जिसमें रन-अप की रेखाएँ होती हैं और एक द्वित्रिज्यक या खण्ड होता है, जिसके अन्दर भाला गिरना चाहिए।
- भाला फेंक स्पर्धा का आयोजन चक्का फेंक की भाँति ही किया जा सकता है।
- भाले की डोरी बँधे स्थान पर एक हाथ से पकड़नी चाहिए, ताकि कनिष्ठा या कन्नी अंगुली नोक के निकटतम रहे।
- भाला चाप के पीछे से फेंका जाना चाहिए और वही फेंक सही समझी जायेगी, जो 29° द्वित्रिज्यक या खण्ड के भीतरी किनारों के अन्दर हो।
- फेंक को निम्नलिखित कारणों या स्थितियों में असफल मानकर मापा नहीं जायेगा।
(अ). यदि प्रतियोगी चाप पर या विस्तृत निषेध रेखाओं पर पैर रख देता है अथवा इन रेखाओं के आगे की भूमि पर पैर रख देता है।
(ब) यदि भाले की नोक पहले जीन पर नहीं लगती। - यदि प्रतियोगी रन-अप (Run-up) रेखाओं पर या इनके बाहर दौड़ता है, तो फेंक ठीक मानी जायेगी, यदि भाला फेंकते समय वह चाप के पीछे रन-अप रेखाओं के बीच हो। भाला फेंक स्पर्धा के लिये एड़ी में स्पाइक (Spike) वाले जूते बहुत आवश्यक हैं।
प्रमुख प्रतियोगिताएँ-
(1) ओलम्पिक खेल, (2) एशियाई खेल, (3) दक्षेस खेल, (4) राष्ट्रमण्डलीय खेल, (5) विश्व खेल-कूद, (6) यूरोपीय खेलं, (7) मार्शल टीटो ट्रॉफी, (8) चारमीनार ट्रॉफी, (9) जैसी ओवन्स ट्रॉफी, (10) वर्ल्ड मैराथन कप।
प्रमुख खिलाड़ी-
पी० टी० उषा, बहादुर प्रसाद, शाहनी विल्सन, महेन्द्र सिंह, राम सिंह, बहादुर
सिंह, बीना मोल, मिलखा सिंह, सुरेश बाबू, अन्जू बी० जॉर्ज, कमलजीत सन्धू आदि।
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