स्त्रियों की समानता के लिए शिक्षा हेतु नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत क्या प्रयास किये गये हैं ?
Contents
स्त्रियों की समानता के लिए शिक्षा हेतु नई शिक्षा नीति में प्रावधान (Education for Women’s Equality in New Education Policy)
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् स्त्रियों के लिए शैक्षिक अवसरों के प्रावधान में अभिवृद्धि एक महत्त्वपूर्ण विषय रहा है। 1951 से 1981 के बीच महिला साक्षरता 7.93% से 24.82% तक पहुँची है। निरक्षर जनसंख्या का 57% महिलायें हैं तथा विद्यालय स्तर पर अनामांकित बच्चों में 70% लड़कियाँ हैं। सारी कोशिशों के बावजूद महिलाओं की समानता के क्षेत्र में शिक्षा का योगदान अपर्याप्त है। अब निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं-
1. स्त्रियों के स्तर में मूलभूत परिवर्तन के प्रतिनिधि के रूप में शिक्षा का उपयोग।
2. स्त्रियों को सशक्त बनाने की दृष्टि से राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली की धनात्मक हस्तक्षेपी भूमिका ।
3. स्त्री-अध्ययनों (Women studies) को विभिन्न पाठ्यक्रमों के अंश के रूप में प्रोन्नत किया जाएगा।
4. पाठ्यक्रम, पाठ्य-पुस्तकों के पुनर्नियोजन एवं अध्यापकों, नीति निर्धारकों तथा प्रशासकों के प्रशिक्षण और अभिनवन तथा शिक्षा संस्थाओं की सक्रिय सहभागिता द्वारा नए मूल्यों का पोषण और विकास।
5. स्त्री विकास की वृद्धि दृष्टि से शिक्षा संस्थाओं को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
6. विभिन्न स्तरों पर स्त्रियों के व्यावसायिक तकनीकी तथा औद्योगिक शिक्षा में भाग लेने का सबसे अधिक बल ।
7. स्त्री निरक्षरता का उन्मूलन तथा स्त्रियों की प्राथमिक शिक्षा को समयबद्ध लक्ष्यों तथा मॉनिटरिंग द्वारा सर्वोच्च प्राथमिकता ।
क्रियान्वयन व्यूह रचना (Implementation Strategies)
1. लक्ष्य (Target) – लड़कियों के लिए प्राथमिक शिक्षा का क्रमिक समयबद्ध कार्यक्रम-निम्न प्राथमिक स्तर 1990 तक एवं उच्च प्राथमिक स्तर पर 1995 तक ।
2. आधुनिक तथा उभरती हुई प्रौद्योगिकी और व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा के स्त्रियों के लिए बढ़ते हुए अवसर।
3.15-35 आयु वर्ग की स्त्रियों के लिए क्रमिक समयबद्ध कार्यक्रम 1995 तक। इस आयु स्त्रियों अनुमानित जनसंख्या 6-8 करोड़ है।
4. स्त्रियों की समानता को बढ़ाने वाले शैक्षिक कार्यक्रमों की समीक्षा तथा पुनर्गठन ।
स्त्रियों को सशक्त बनाना (Empowerment of Women)
इसके अन्तर्गत निम्नलिखित उपाय किए जायेंगे –
1. 1995 तक प्रत्येक शिक्षण संस्था को स्त्रियों में संप्रेषण तथा संघटन की प्रोन्नति और स्त्रियों की संकटावस्था के अध्ययन के सक्रिय कार्यक्रमों को लेना चाहिए।
2. अध्यापकों और अनुदेशकों को स्त्री शक्तीकरण के अभिकर्ता के रूप में विभिन्न अभिकरणों (एन० सी० ई०आर० टी०, नीपा, एस० सी० ई० आर० टी०, यू० जी० सी०) द्वारा प्रशिक्षण
3. महिला अध्यापक और अनुदेशकों का इसके लिए विशेष अभिनमन।
4. प्रचार माध्यमों रेडियो, दूरदर्शन (टी० वी०) द्वारा 1986-87 में विशेष मार्गदर्शन तैयार कर इस उद्देश्य की पूर्ति करना। अध्यापक के रूप में महिलाओं के चयन को प्राथमिकता ।
5. अनुसंधान संस्थानों, स्वयंसेवी संस्थाओं, कलाकारों द्वारा सामान्य चेतना के लिए विशेष कार्यक्रमों का आयोजन।
6. कोर पाठ्यक्रम में समाज में महिला की नवीन सामाजिक स्थिति के मूल्यों का समावेश । एन० सी० ई० आर० टी० में महिला प्रकोष्ठ का पुनः स्थापन ।
सम्प्रति नारी शिक्षा का प्रसार भारतीय समाज के कायाकल्प हेतु एक आन्दोलन के रूप में किया जाना चाहिए। हमारी सामाजिक कुरीतियों तथा पिछड़ेपन का मूल कारण नारी का अशिक्षित होना ही है। आज नारी शिक्षा का महत्त्व बढ़ता जा रहा है और इसमें देरी को राष्ट्रीय हानि के रूप में अनुभव किया जायेगा ।
IMPORTANT LINK
- समाजशास्त्र का अर्थ एवं परिभाषाएँ | Meaning and Definitions of Sociology in Hindi
- वैज्ञानिक पद्धति का अर्थ एवं परिभाषाएँ | वैज्ञानिक पद्धति की प्रमुख विशेषताएँ | समाजशास्त्र की वैज्ञानिक प्रकृति
- समाजशास्त्र का विषय-क्षेत्र | स्वरूपात्मक अथवा विशिष्टवादी दृष्टिकोण | स्वरूपात्मक सम्प्रदाय की आलोचना
- समन्वयात्मक सम्प्रदाय | Synthetic School in Hindi
- समन्वयात्मक सम्प्रदाय की आलोचना | Criticism of Synthetic School in Hindi
- समाजशास्त्र का महत्व | Importance of Sociology in Hindi\
- नवजात शिशु की क्या विशेषताएँ हैं ?
- बाल-अपराध से आप क्या समझते हो ? इसके कारण एंव प्रकार
- बालक के जीवन में खेलों का क्या महत्त्व है ?
- खेल क्या है ? खेल तथा कार्य में क्या अन्तर है ?
- शिक्षकों का मानसिक स्वास्थ्य | Mental Health of Teachers in Hindi
- मानसिक स्वास्थ्य और शिक्षा का क्या सम्बन्ध है?
- मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ एंव लक्षण
- खेलों के कितने प्रकार हैं? वर्णन कीजिए।
- शैशवावस्था तथा बाल्यावस्था में खेल एंव खेल के सिद्धान्त
- रुचियों से क्या अभिप्राय है? रुचियों का विकास किस प्रकार होता है?
- बालक के व्यक्तित्व विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- चरित्र निर्माण में शिक्षा का क्या योगदान है ?
- बाल्यावस्था की प्रमुख रुचियाँ | major childhood interests in Hindi
- अध्यापक में असंतोष पैदा करने वाले तत्व कौन-कौन से हैं?
Disclaimer