राजनीति विज्ञान / Political Science

आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण

आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण
आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण

आदेश की एकता सिद्धान्त को स्पष्ट करते हुए इसके गुण लिखिए।

लोक प्रशासन के सर्वाधिक महत्वपूर्ण सिद्धान्त ‘पदसोपान’ से सम्बन्धित जो दूसरा महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त है उसे ‘आदेश की एकता‘ कहते हैं। आदेश की एकता का तात्पर्य लोक प्रशासन की इस मान्यता से सम्बन्धित है कि ऊपर से जो आदेश दिए जाते हैं उनमें दोहराव नहीं होना चाहिए। एक ही आदेश यदि दिया जाए तो व्यक्ति एकाग्र व तन्मय होकर उसके आदेश का अनुपालन करना चाहिए, क्योंकि एक वाक्य में एक आदेश और दूसरे वाक्य में पहले आदेश के प्रतिकूल कोई बात कह दी जाए तो आदेश मानने वाला भ्रम में पड़ सकता है। स्पष्टतः आदेश की एकता का तात्पर्य है कि संगठन में एक व्यक्ति के द्वारा अपने अधीनस्थ को आदेश दिया जाय तथा आदेशों की प्रकृति में एकरूपता हो। इसके साथ आदेश की एकता में यह मान्यता निहित है कि एक समय में अधीनस्थ को एक ही आदेश दिया जाय। यह उल्लेखनीय है कि आदेश की एकता की अवधारणा सैनिक प्रशासन के अन्तर्गत स्वीकार किया गया है। सैन्य प्रशासन में इस सिद्धान्त का पालन बड़ी कठोरता से किया जाता है। यदि सेना द्वारा इस सिद्धान्त का पालन नहीं किया जाए तो वह अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर ही नहीं सकता। सैन्य-प्रशासन में यह बात बहुत सर्वमान्य है कि “एक खराब सेनापति दो अच्छे सेनापतियों से श्रेष्ठ है।”

आदेश की एकता के अर्थ को स्पष्ट करते हुए पिफ्परप्रेस्थस ने लिखा है कि “नियंत्रण की एकता की अवधारणा का तात्पर्य यह है कि किसी संगठन के प्रत्येक सदस्य का एक और केवल एक नेता को जवाब देना चाहिए।” संगठन में बहुत से अधिकारी हो सकते हैं। परन्तु कोई एक ही अधिकारी होना चाहिए जिसकी आज्ञा में उसको रहना आवश्यक हो। यदि विभिन्न अधिकारियों की आज्ञा पालन के लिए उसको कहा जाएगा तो वह किसी की आज्ञा को नहीं मान पाएगा। लूथर गुलिक का मानना है कि “समन्वय व संगठन के निर्माण में एक व्यक्ति जिसको अपने काम में बहुत से लोगों से सम्बन्ध स्थापित करना पड़ता है, के ऊपर एक से अधिक अधिकारी रखने के प्रति प्रलोभन अक्सर देता है। यदि इस सिद्धान्त का कठोरता से पालन किया जाए तो हो सकता है कि कुछ घातक परिणाम होंगे, परन्तु यह परिणाम मतिभ्रम, अकार्यकुशलता और अनुत्तरदायी की तुलना में कुछ भी नहीं है जो सिद्धान्त का उल्लंघन करने पर पैदा होंगे।”

आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण

आदेश की एकता से कई लाभ हैं, जिन्हें अग्रलिखित रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है-

प्रथम- लोक प्रशासन के अन्तर्गत आदेश की एकता से निरीक्षण व पर्यवेक्षण प्रभावपूर्ण होता है। आदेश के दोहराव से निरीक्षक पर्यवेक्षक भ्रम में पड़ जाते हैं तथा वह यह निश्चित नहीं कर पाते हैं कि किसी बात को लेकर अधीनस्थों को ठीक रास्ते पर चलने के लिए कैसे निर्देशित किया जाय ? यदि यह तय नहीं है कि क्या कार्य करना है तो प्रशासनिक कार्यों में प्रभावशीलता नहीं आती है।

द्वितीय- लोक प्रशासन में शासन व अनुशासन तो अनिवार्य तत्व है, आदेश की एकता दृढ अनुशासन का कारण बनती है। अनुशासन से प्रशासन को सफलता प्राप्त होती है। फेयॉल ने इस सिद्धान्त का जोरदार समर्थन करते हुए कहा है कि “यदि इस नियम का उल्लंघन होता है तो सत्ता कमजोर हो जाती है, अनुशासन संकट में पड़ जाता है। व्यवस्था भंग हो जाती है और स्थायित्व संकट में पड़ जाता है… जैसे ही एक व्यक्ति या विभाग के ऊपर दो अधिकारी सत्ता का उपयोग करते हैं, गड़बड़ी पैदा होने लगती है और यदि ऐसी ही स्थिति चलती रही तो अव्यवस्था बढ़ जाती है और दोहरे नियंत्रण के परिणामस्वरूप दो में से एक अधिकारी का लोप या अन्त हो जाता है और संगठन फिर से स्वस्थ हो जाता है या फिर संगठन विनाश की ओर जाने लगता है। कभी भी कोई संगठन दोहरे नियंत्रण के अनुकूल नहीं बैठ सकता है।”

तृतीय- लोक प्रशासन में आदेश की एकता के कारण उत्तरदायित्व का निर्धारण स्पष्ट होता है। लोक प्रशासन में जब आदेश में एकता होगी तो आदेश देने वाले और आदेश प्राप्त करने वाले दोनों का उत्तरदायित्व स्पष्ट होता है। आदेश की निश्चितता के लिए आदेश का छोटा होना भी अपेक्षित होता है।

चतुर्थ- आदेश की एकता आदेश की भिन्नता के ठीक विपरीत है। जहाँ आदेश एक व्यक्ति के स्थान पर दो व्यक्ति देंगे या एक ही आदेश को भिन्न-भिन्न तरीके से दिया जाएगा। तो आदेश में पारस्परिक विरोध पैदा होने की बहुत सम्भावना हो जाएगी। जब आदेश में भिन्नता होगी तो उसके पालन में भी भिन्नता होगी।

अन्त में- आदेश की एकता को पदसोपान पद्धति के लिए अनुकूल माना जाता है। जैसा कि सर्वविदित है कि पदसोपान पद्धति लोक प्रशासन का एक अनिवार्य लक्षण है तथा इस पद्धति की अनिवार्य आवश्यकता है- आवेश की एकता। यदि लोक प्रशासन में आदेश की एकता नहीं होगी, तो पदसोपान प्रणाली अच्छी तरह से कार्य नहीं कर सकती है। इसी आदेश की एकता के कारण अधीनस्थ कर्मचारी अपने उच्च अधिकारी को जान पाता है तथा उसे इस बात की जानकारी रहती है। कि कौन सा उच्च अधिकारी उसको आदेश देगा जिसका अनुपालन अनिवार्य होगा।

Important Link

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com

About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment