Contents
अमजद अली खान का जीवन परिचय (Biography of Amjad Ali Khan in Hindi)
अमजद अली खान का जीवन परिचय | Biography of Amjad Ali Khan in Hindi- अद्भुत कला के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यूं तो अनेक कलाकारों ने भारतीय परचम लहराया है, लेकिन उस्ताद अमजद अली खान की प्रतिभा ने करिश्मे कर दिखाए हैं।
‘सरोद सम्राट’ के नाम से विश्वप्रसिद्ध अमजद अली खान भारतीय शास्त्रीय संगीत के उस्ताद माने जाते हैं। ये अपने परिवार की छठी पीढ़ी के सरोद वादक रहे हैं। इन्होंने विश्व के कई देशों में सरोद वादन कला का प्रदर्शन किया है। इन्हें देश-विदेश के अनेक सम्मान व पुरस्कार भी प्रदान किए गए हैं। इन पर कई पुस्तकें भी लिखी गई हैं। संगीत को इन्होंने नई ऊंचाइयां दी गईं और संगीत ने भी कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए इन्हें अपार शोहरत प्रदान की।
अमजद अली ख़ान
|
|
---|---|
पृष्ठभूमि | |
जन्म नाम | मासूम अली ख़ान |
विधायें | हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत |
वाद्ययंत्र | सरोद |
वेबसाइट | sarod.com |
जन्म 9 अक्टूबर, 1945 को ग्वालियर मध्य प्रदेश में हुआ। इनका परिवार संगीत साधना में कई पीढ़ियों से समर्पित चला आ रहा था । ये अपने घराने की छठी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करने को जन्मे थे। विख्यात संगीत घराने के रूप में इन्हें ‘बंगश घराना’ के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त है। इन्होंने सेनिया बंगश संगीत विद्यालय भी स्थापित किया। इनको यह श्रेय भी जाता है कि इसी घराने ने सरोद वाद्ययंत्र को कुछ शताब्दियों पूर्व जन्म दिया था, जिसे प्राचीनकाल में ईरान के लोक संगीत में प्रयोग में लाया जाता है। अमजद अली खान अपने पिता उस्ताद हफीज अली खान की सबसे छोटी संतान के रूप में जन्मे। इनका परिवार ग्वालियर के शाही परिवार में संगीतकार की हैसियत से खिदमत करता रहा था और यह भी माना जाता है कि इनका घराना तानसेन के शिष्यों में रहे संगीतकार का घराना भी है। तानसेन, जो अकबर के दरबार के महान संगीतकार रहे थे।
अमजद ने कम उम्र में ही अपने पिता से सरोद वादन सीखना आरंभ कर दिया था। 1958 में इन्होंने स्वतंत्र रूप से एकल सरोद वादन महज 12 वर्ष की उम्र में किया गया। इसके पश्चात् उस्ताद अमजद अली खान को कभी पीछे मुड़कर देखने की आवश्यकता अनुभव नहीं हुई। इन्होंने सरोद वादन यंत्र पर विशिष्ट उस्तादी प्राप्त की गई कि उसे कई प्रकार से अधिनिरूपित किया गया। परंपरा को दृष्टिगत रखते हुए सदैव सुधार किया जाता रहा है और इन्होंने कई नए मनमोहक रागों की रचना भी की है।
इन्होंने इंदिरा गांधी एवं राजीव गांधी की स्मृति में राग प्रियदर्शिनी एवं कमला श्री राग को भी निबद्ध किया गया। इन्होंने कुछ अन्य रागों के रूप में किरन रंजनी, हरिप्रिया कनाद, शिवांजलि, श्यामश्री, सुहाग भैरव, ललित ध्वनि, अमीरी तोडी, जवाहर मंजरी और कई अन्य राग भी इनके नाम पर निबद्ध हैं। इन्हें रिकार्ड्स और डिस्क पर भी निबद्ध किया गया है। इन्होंने एक संगीत रचना का निबंधन ‘हांगकांग फिलहार्मोनिक आर्केस्ट्रा’ के निमित्त भी किया, जिसे योशीकाजू फुकुमोरा ‘ट्रिब्यूट टू हांगकांग’ के नाम से गिटारवादक चार्ली बायर्ड व वायलिन वादक इगोर फ्रोलोब, ग्लेंडा सिंपसन तथा गिटार वादक बेरी मेसन और इंग्लैंड के मैथ्यू बार्ले द्वारा संगीतबद्ध किया गया था। उस्ताद अमजद अली ने भारत एवं विदेशों में भी अपार लोकप्रियता प्राप्त की है।
कृतित्व एवं उपलब्धियां : इनकी यह विशिष्ट उपलब्धि कही जानी चाहिए कि इन्होंने त्यागराजा के सम्मान में प्रथम उत्तर भारतीय संगीतज्ञ के रूप में देवस्थल पर संगीत वादन किया। इन्होंने कई देशों की संगीत गोष्ठियों में भी संगीत दिया है। इन देशों में चीन, पाकिस्तान, लंदन, रोम, न्यूजीलैंड, अमेरिका, रूस, जर्मनी व जापान इत्यादि देश सम्मिलित रहे हैं। एक संगीतकार के रूप में इन्होंने विश्व के नामचीन दर्शक स्थलों (हॉल्स) यथा; कार्निज हॉल, रॉयल अल्बर्ट हॉल, रॉयल फेस्टिवल हॉल, केनेडी सेंटर सेंचुरी हॉल (प्रथम भारतीय संगीतवादक), हाउस ऑफ कॉमंस, थिएटर डेला विले, सिंगापुर में स्पेलेनेड में, फ्रैंकफर्ट के मोज़ार्ट हॉल में, शिकागो के सिमफनी सेंटर में, सेंट जेम्स पैलेस में और ऑस्ट्रेलिया के ऑपेरा हाउस में भी सरोद वादन की प्रस्तुती की है। इन्हें टेक्सास, मेसाच्युसेट्स, टेनेसी व अटलांटा राज्य द्वारा मानद नागरिकता भी प्रदान की गई है।
अमजद अली खान को कई सम्मान एवं पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं। इन्हें 1975 में पद्मश्री, 1989 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1989 में ही तानसेन पुरस्कार, 1970 में यूनेस्को द्वारा सरोद सम्राट पुरस्कार, यूनीसेफ द्वारा ही राष्ट्रीय एंबेसडरशिप, 1991 में पद्म भूषण व इंटरनेशनल म्यूजिक फोरम पुरस्कार भी 1991 में ही प्रदान किया गया। इन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि यॉर्क विश्वविद्यालय, इंग्लैंड, दिल्ली विश्वविद्यालय, विश्व भारती व फ्रांस सरकार द्वारा प्रदान की गई है। इन पर दो पुस्तकें लिखी गई हैं, जिनमें से ‘वर्ल्ड ऑफ अमजद अली खान’ 1995 में प्रकाशित हुई व दूसरी किताब ‘अब्बा-गॉड्स ग्रेटेस्ट गिफ्ट टू अस’ इनके पुत्रों अमान व अयान द्वारा 2002 में लिखी गई।
1977 में इन्होंने अपने पिता की स्मृति में उस्ताद हफीज अली खान स्मृति समिति की स्थापना की, जो देश के विभिन्न शहरों में संगीत गोष्ठियों का आयोजन करती है। बच्चों में संगीत के प्रति रुझान पैदा करने में भी इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ग्वालियर में इनके पारिवारिक आवास को, जहां ये पैदा हुए थे, उसे ‘सरोद वाद’ के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है और ‘सरोद वादन’ को अभ्यास केंद्र परिवार का संग्रहालय और सरोद संग्रहालय का रूप दिया गया है। यहां वाद्ययंत्रों का विशिष्ट संग्रह है, जिनमें ‘रबाब्स’ नाम का पुश्तैनी वाद्य भी है।
उस्ताद अपनी पत्नी सुब्बालक्ष्मी, दो पुत्र अमान व अदान के साथ खुशहाल जीवन गुजार रहे हैं। इनके पुत्र भी ‘सरोद वादन’ में भावी उस्ताद बनने की राह पर हैं। सरोद परंपरा में ये सातवीं पीढ़ी के रूप में समर्पित हुए हैं।
महान व्यक्तित्व के धनी उस्ताद अमजद अली खान को परंपरागत संगीत की रक्षा के लिए सदैव स्मरण किया जाता रहेगा।
सम्मान/पुरस्कार
उस्ताद अमजद अली खाँ को उनके सरोद वादन के लिए देश–विदेश विभिन्न पुरस्कारों द्वारा सम्मानित किया गया , जिनमें कुछ प्रमुख हैं
- -वर्ष 1970 में यूनेस्को अवार्ड
- -वर्ष 1971 में द्वितीय एशियाई रुस्तम पुरस्कार
- वर्ष 1975 में पद्मश्री सम्मान
- वर्ष 1989 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
- वर्ष 1989 में तानसेन सम्मान
- वर्ष 1991 में पद्म भूषण
- वर्ष 2001 में पद्म विभूषण आदि
Important Link…
- अधिकार से आप क्या समझते हैं? अधिकार के सिद्धान्त (स्रोत)
- अधिकार की सीमाएँ | Limitations of Authority in Hindi
- भारार्पण के तत्व अथवा प्रक्रिया | Elements or Process of Delegation in Hindi
- संगठन संरचना से आप क्या समझते है ? संगठन संरचना के तत्व एंव इसके सिद्धान्त
- संगठन प्रक्रिया के आवश्यक कदम | Essential steps of an organization process in Hindi
- रेखा और कर्मचारी तथा क्रियात्मक संगठन में अन्तर | Difference between Line & Staff and Working Organization in Hindi
- संगठन संरचना को प्रभावित करने वाले संयोगिक घटक | contingency factors affecting organization structure in Hindi
- रेखा व कर्मचारी संगठन से आपका क्या आशय है ? इसके गुण-दोष
- क्रियात्मक संगठन से आप क्या समझते हैं ? What do you mean by Functional Organization?