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भाई मोहन सिंह की जीवनी | Biography of Bhai Mohan Singh in Hindi

भाई मोहन सिंह की जीवनी | Biography of Bhai Mohan Singh in Hindi
भाई मोहन सिंह की जीवनी | Biography of Bhai Mohan Singh in Hindi

भाई मोहन सिंह की जीवनी – Biography of Bhai Mohan Singh in Hindi

भाई मोहन सिंह की जीवनी- भाई मोहन सिंह को भारतीय औषधि उद्योग का पितामह या शीर्ष पुरुष कहा जा सकता है। इनके द्वारा विशाल स्तरीय रैनबेक्सी लेबोरेट्रीज लिमिटेड की स्थापना की गई, एवं औषधि निर्माण का कार्य आरंभ किया गया।

भाई मोहन सिंह का जन्म 30 दिसंबर, 1917 को रावलपिंडी में हुआ, जो अब पाकिस्तान में है। इनके पिता भाई ज्ञानचंद एक हिंदू थे और माता श्रीमती सुंदर एक सिख थी। भाई मोहन सिंह ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान निर्माण उद्योग में कार्य करना आरंभ किया। इनकी फर्म को नॉर्थ-ईस्ट में सड़कें बनाने का अनुबंध प्राप्त हुआ। विभाजन के पश्चात् ये रावलपिंडी से दिल्ली आए और यहीं रहने लगे।

भाई मोहन सिंह ने दिल्ली आने के पश्चात् ब्याज पर रुपया देने का कारोबार आरंभ किया। रैनबेक्सी वस्तुतः इनके रिश्ते के भाइयों रंजीत सिंह एवं गुरबख्श के द्वारा आरंभ की गई थी। रैनबेक्सी नाम रंजीत और गुरबक्श के नामों का संयोजन था। वे दोनों ए. शिओनोगी नाम की जापानी फार्मास्युटिकल कंपनी के लिए विटामिंस और टी.बी. प्रतिरोधक दवाएं बनाकर उसकी आपूर्ति करते थे। जब रैनबेक्सी ने एक ऋण को लेकर व्यतिक्रम किया, तब भाई मोहन सिंह ने इस कंपनी को 1 अगस्त, 1952 को ढाई लाख रुपयों में खरीद लिया।

भाई मोहन सिंह ने इतालवी (इटालियन) फार्मा कंपनी ‘लापेटिट स्पा’ के साथ साझा कारोबार किया और बाद में इस कंपनी को भी खरीद लिया। भाई मोहन सिंह ने दवा निर्माण उद्योग में अपना विशिष्ट नाम 1960 के अंतिम दौर में उस समय बनाया, जब इन्होंने बाजार में ‘कांपोज’ का बहुचर्चित उत्पाद उतारा। कांपोज उत्पाद वस्तुत: रोश कंपनी के वेलियम उत्पाद का ही अनुकरण था, लेकिन रोश ने उस उत्पाद को भारतवर्ष में विक्रय के लिए पेटेंट नहीं करवाया था। 1970 के आरंभ में जब भारतीयों ने पेटेंट प्राप्त करने की प्रक्रिया में भागीदारी आरंभ की तो मोहन सिंह ने शीघ्रता के साथ अनुभव कर लिया कि कोई भी उत्पाद विश्व में नई अभियांत्रिकी के माध्यम से स्थापित किया जा सकता है। इन्होंने मोहाली चंडीगढ़ में उच्च स्तरीय आर एंड डी की सुविधाएं प्रदान कीं और फिर एक के पश्चात् एक कई नामचीन दवाएं बनाईं, जैसे रॉस्सिलिन और सिफ्रान।

1973 में रैनबेक्सी लेबोरेट्रीज को लोक उपक्रम के रूप में स्थापित किया गया। भाई मोहन सिंह ने इस समय अपने ज्येष्ठ पुत्र परविंदर सिंह को कंपनी में सम्मिलित किया और आगे चलकर कंपनी में प्रबंध निदेशक का पद प्रदान किया। भाई मोहन सिंह ने अपने छोटे पुत्र अनलजित सिंह के साथ मैक्स इंडिया की सह- स्थापना भी की।

उदारीकरण से संबंधित मुद्दों के चलते भाई मोहन सिंह और परविंदर सिंह के मध्य व्यावसायिककरण और व्यवसाय विस्तार को लेकर एक राय नहीं बनी और 1999 में भाई मोहन सिंह ने कंपनी में अपने हित त्याग दिए और परविंदर ने कंपनी का कार्यभार संभाल लिया। इससे भाई मोहन सिंह की आत्मा को ठेस लगी और इन्होंने कंपनी के मामलों से भी स्वयं को पृथक कर लिया।

भाई मोहन सिंह नई दिल्ली म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के उपाध्यक्ष भी रहे और इन्हें पद्मश्री देकर सम्मानित किया गया। पंजाब के औद्योगिक विकास की इनकी अनुकरणीय भूमिका के लिए पंजाब सरकार ने इनके नाम पर एक औद्योगिक बस्ती का लोकार्पण रोपड के पास किया।

भाई मोहन सिंह को काल के क्रूर हाथों ने 27 मार्च, 2006 को 88 वर्ष की उम्र में हमसे छीन लिया, लेकिन इनका कृतित्व एक मशाल की भांति मार्ग प्रदर्शित करता रहेगा।

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Anjali Yadav

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