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अज़ीम हाशम प्रेमजी जीवनी – कौन है, Wipro कंपनी के मालिक (Biography of Azim Premji in Hindi)
अज़ीम हाशम प्रेमजी जीवनी- इस संसार में कुछ लोग अपनी व्यावसायिक वृत्ति के कारण सामान्य से विशिष्ट बन जाते हैं। यद्यपि विशिष्ट बनने का कोई तयशुदा सूत्र नहीं है, तथापि यह व्यक्ति की लगन, सच्चरित्रता और उसकी आत्मा के स्वरूप पर निर्भर करता है। प्रत्येक महान व्यक्ति, जिसने सफलता का वरण किया है, उस व्यक्ति को सफलता द्वारा भी कुछ ऐसे पाठ पढ़ाए जाते हैं, जिनसे व्यक्ति श्रेष्ठता को प्राप्त होता है। अज़ीम हाशम प्रेमजी ने यदि वह पाठ न पढ़े होते तो ये हजारों करोड़ रुपया भला किस प्रकार से परोपकार हेतु दान कर पाते। अब ये भी गिविंग प्लेज का हिस्सा बन गए हैं, जिसमें वॉरेन बफेट और बिल गेट्स जैसे लोग मौजूद हैं। अज़ीम हाशम प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई, 1945 को मुंबई (महाराष्ट्र) में हुआ था। इनके जीवन में आकस्मिकता का पर्याप्त रूप से दखल रहा है। ये शिक्षा प्राप्त करने की दिशा में जहीन तबियत रखते थे, किंतु 1966 में पिता का असामयिक व आकस्मिक निधन हो जाने के बाद इन्हें कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई अधूरी छोड़कर स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय (कैलिफोर्निया) अमेरिका से भारत लौट आना पड़ा था, ताकि पिता एम. एच. प्रेमजी के पारिवारिक व्यवसाय (वनस्पति तेल) को संभाल सकें। इसके तीन वर्ष पश्चात् इन्होंने इलेक्ट्रिकल्स अभियांत्रिकी में उपाधि प्राप्त की। अमलनेर स्थित वनस्पति तेल उत्पादन कारोबार की कंपनी ‘दि वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट’ इनके हाथों में आई और शनैः-शनैः वह ‘विप्रो प्रोडक्ट्स लिमिटेड’, ‘विप्रो टेक्नोलॉजिस्’ और ‘विप्रो कॉर्पोरेशन’ के रूप में परिवर्तित हो गया। जाहिर है कि यह तमाम परिवर्तन महत्वाकांक्षी अज़ीम हाशम प्रेमजी के दिशा-निर्देशन व अगुवाई में ही हुआ था। कंपनी द्वारा बिजली के बल्ब और बिजली उपयोग के दूसरे ग्राहक उपकरणों का निर्माण भी किया जाना आरंभ हो गया। फिर साबुन, बच्चों की देख-रेख के उत्पाद, शैंपू व पाउडर जैसे सौंदर्य उत्पाद भी बनाए जाने लगे।
अजीम प्रेमजी का जीवन परिचय
अज़ीम प्रेमजी | |
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Premji in 2013 |
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जन्म | अज़ीम हाशिम प्रेमजी 24 जुलाई 1945 बॉम्बे, बॉम्बे प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश इंडिया |
आवास | बैंगलोर, कर्नाटक, भारत |
शिक्षा प्राप्त की | स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय (इंजीनियरिंग में स्नातक / B.S.E) |
व्यवसाय | Chairman of Wipro |
कुल मूल्य | US$20.3 बिलियन (अप्रैल 2018) |
जीवनसाथी | यास्मीन |
बच्चे | रिशाद, तारिक़ |
माता-पिता | मोहम्मद हाशेम प्रेमजी |
हस्ताक्षर | |
वेबसाइट Azim Premji |
1975 में ‘विप्रो फ्लूइड पावर बिजनेस यूनिट’ द्वारा ‘हाइड्रोलिक सिलेंडर्स’ और ‘ट्रक टिप्पर्स’ का उत्पादन भी किया जाना आरंभ कर दिया गया, लेकिन प्रेमजी की महत्वाकांक्षाओं का अंत यहीं पर नहीं हुआ। 1980 में विप्रो ने सूचना तकनीक के क्षेत्र में प्रविष्टि पाई, 1975 में आई.बी.एम. ने भारतीय बाजार से अपना कारोबार समेट लिया था, इसका फायदा अज़ीम प्रेमजी ने उठाया। फिर विप्रो द्वारा कंप्यूटर हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर विषयक उत्पादों का उत्पादन सेंटिनेल के विशेष लाइसेंस आधार पर किया जाने लगा। इसका परिणाम यह हुआ कि 1.5 मिलियन डॉलर की कंपनी कुछ ही वर्षों में 662 मिलियन डॉलर की वृहद कंपनी के रूप में परिवर्तित हो गई । विश्व भर में विप्रो की सेवाओं के कार्यालय, चिकित्सा तकनीकी कार्यालय, तकनीकी उत्पाद के कार्यालय व उपभोक्ता उत्पादों के कार्यालय भी खुल गए।
विप्रो कंपनी ने सूचना तकनीक के अनुसार दुनिया में सबसे पहले SEBI CMM का 5 स्तर एवं PCMM स्तर 5 (पीपुल कैपेबिलिटी मैच्युरिटी मॉडल) का सर्टिफिकेट प्राप्त कर लिया, जो बताता था कि कंपनी गुणवत्ता में प्रथम स्थान पर है। आई.टी. सेक्टर में विप्रो कंपनी का मुनाफा सर्वाधिक हो गया था । विप्रो द्वारा अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कंपनियों के साथ कार्य किया जाना भी आरंभ कर दिया गया। इनमें एल्काटेल, नोकिया, सिस्को और नॉर्टेल जैसी कंपनियां शामिल थीं। साथ ही जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी के साथ भी मेडिकल सिस्टम्स का सह- उपक्रम स्थापित हो गया था। प्रेमजी की सफलता और इनके उत्कर्ष की गाथा भी स्पष्ट रूप से इनके ठोस चरित्र को, इरादों को, निरंतर अध्यवसाय को प्रदर्शित करती है। इन विशिष्टताओं को जब ज्ञान, स्पष्ट इरादे व उपयुक्त आयोजना का साथ भी प्राप्त हो जाता है तो व्यक्ति समर्थ हो जाता है कि वह सफलता तथा नेतृत्वशीलता के शिखर तक पहुंच जाए। अज़ीम प्रेमजी सीधे-सच्चे इंसान हैं और श्रम के बल पर अपना स्थान बनाने में विश्वास रखते आए हैं। ये रिश्वत देने व भ्रष्ट साधनों को अपनाकर कारोबार करने में यकीन नहीं रखते हैं। इनका मानना है कि प्रतिस्पर्धा के युग में आपकी मेहनत व आपकी सच्चरित्रता ही आपको सफलता प्रदान करवा सकती है। ये अपने कर्मचारियों से यह आशा रखते रहे हैं। कि ये सक्षम हों और झूठ से परहेज करें तथा किसी को भी धोखा न दें।
2000 की फोर्ब्स की खरबपतियों की सूची में प्रेमजी का 41वां स्थान था और इनकी संपदा तब 6.4 बिलियन डॉलर्स आंकी गई थी। विगत वर्षों में प्रेमजी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न सम्मानों से भी नवाजा गया है। 2000 में इन्हें ‘भारत का उद्यमी’ का खिताब दिया गया। अगस्त, 2003 के अंक में फॉर्च्यून पत्रिका ने इन्हें अमेरिका के बाहर के 25 सर्वाधिक शक्तिशाली उद्यमियों में शामिल किया था। फोर्ब्स ने इन्हें मार्च, 2003 में विश्व के 10 शक्तिशाली उद्यमियों में शामिल किया था। अक्टूबर, 2003 के अंक में ‘बिजनेस वीक’ पत्रिका ने इन्हें ‘भारत का तकनीकी सम्राट’ का खिताब दिया । आई.आई.टी. रुड़की व मणिपाल विश्वविद्यालय द्वारा इन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गई। अज़ीम प्रेमजी भारतीय प्रधानमंत्री की सलाहकार समिति में सूचना तकनीकी के सदस्य रहे हैं, लेकिन फरवरी, 2013 में अजीम प्रेमजी ने अपनी आधी संपत्ति दान करके ‘गिविंग प्लेज’ में प्रथम भारतीय सदस्य के रूप में अपना नाम दर्ज करवाया है। क्या है गिविंग प्लेज ? ये एक परोपकारी संस्था है। दुनिया के चौथे बड़े धनी वॉरेन बफेट व दूसरे बड़े धनी बिल गेट्स के पास कुल मिलाकर 110 अरब डॉलर की संपत्ति है। इन्होंने कई अमेरिकी अरबपतियों को परोपकारी पहल ‘गिविंग प्लेज’ का हिस्सा बनाया है। 54 अरब डॉलर की संपत्ति के स्वामी वॉरेन बफेट ने अपनी 99 प्रतिशत संपदा को इस अभियान हेतु दान कर दिया था। गिविंग प्लेज में जुड़े लोगों की संख्या अब 105 हो गई है। अजीम प्रेमजी इसमें प्रथम भारतीय हैं। इस संदर्भ में अजीम प्रेमजी की व्यापक सराहना की गई है।
जाहिर है कि अब विप्रो चेयरमैन अजीम प्रेमजी देश के पहले ऐसे उद्योगपति हैं, जिन्होंने अपनी आधी संपत्ति दान देने का फैसला किया है। इन्होंने दुनिया के प्रमुख उद्योगपति और धनी वॉरेन बफेट और बिल गेट्स की परोपकारी पहल ‘गिविंग प्लेज’ पर हस्ताक्षर किए हैं। प्रेमजी डेविड सेंसबरी के बाद तीसरे गैर- अमेरिकी सदस्य हैं। प्रेमजी ने हाल में शिक्षा के लिए 9,000 करोड़ रुपये दान दिए थे। इन्होंने गिविंग प्लेज ऑर्गेनाइजेशन को लिखा, ‘मैं महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित हूं।’ ये संपत्ति की देखभाल एक ट्रस्टी के तौर करने और उसका इस्तेमाल समाज की बेहतरी में करने के पक्षधर थे। इन्होंने अपनी मां को अपना प्रेरणास्रोत बताया है। ब्लूमबर्ग के अरबपति सूचकांक के अनुसार 67 वर्षीय प्रेमजी के पास करीब 87 हजार करोड़ रुपये (16 अरब डॉलर) की संपत्ति है । इस हिसाब से ये दुनिया के 50वें सबसे अमीर व्यक्ति हैं। भारतीयों में ये रिलायंस इंडस्ट्रीज के सीएमडी मुकेश अंबानी और एनआरआई लक्ष्मी निवास मित्तल के बाद तीसरे नंबर पर हैं। अजीम प्रेमजी की इस महानता से नए युग का सूत्रपात होगा, हमें ऐसी आशा रखनी चाहिए। धन-दौलत के अंबार पर बैठे लोग यदि परोपकार का जज्बा दिखाएंगे, तभी देश के सामान्य लोग भी संस्कारित होंगे। लोग धन के कारण कोई भी अपराध न करें। इस भावना को बल प्राप्त होगा।
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