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पंडित बिरजू महाराज जी का जीवन परिचय (Biography of Birju Maharaj in Hindi)
पंडित बिरजू महाराज जी का जीवन परिचय | Biography of Birju Maharaj in Hindi- इस संसार में विभिन्न प्रकार की कलाएं हैं और प्रत्येक कला का मानव जीवन में बहुत महत्व है। इन्हीं कलाओं में से एक नृत्यकला भी है। पंडित बिरजू महाराज का नाम भी कत्थक नृत्यकला के साथ जुड़ा हुआ है। इन्होंने भारत की इस परंपरागत नृत्य शैली को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने में विशिष्ट योगदान दिया है।
Birju Maharaj Biography In Hindi – बिरजू महाराज का जीवन परिचय
Question (प्रश्न) | Answer (उत्तर) |
Name/नाम | बिरजू महाराज |
DOB/जन्मतिथि | 4 फरवरी 1938 (उत्तर प्रदेश,लखनऊ) |
Profession/पेशा | भारतीय प्रसिद्ध कत्थक नर्तक |
Parents/माता पिता | अच्छन महाराज/अम्मा जी महाराज |
Famous For/प्रसिद्ध | कत्थक नर्तक Or शास्त्रीय गायक |
Religion/धर्म | हिंदी धर्म |
Awards/पुरस्कार | 1986 (पद्म विभूषण) |
Age(At The Time Of Death)/आयु (मृत्यु के समय) | 84 साल |
Nationality/राष्ट्रीयता | भारतीय |
बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी, 1937 को नृत्यकला के एक प्रतिष्ठित घराने में हुआ, जिसे लखनऊ घराने का नाम प्राप्त है। इस घराने द्वारा कई नृत्य प्रतिभाएं दुनिया को दी गईं। बिरजू महाराज भी इसी घराने से संबंध रखते हैं। बिरजू महाराज का नाम ब्रज मोहन मिश्रा है, लेकिन बिरजू महाराज के नाम से ही इनकी ख्याति है।
कत्थक नृत्य की शिक्षा इन्होंने आरंभिक तौर पर अपने पिता अच्छन महाराज से प्राप्त की और फिर चाचाओं लच्छू महाराज व शंभू महाराज से प्राप्त की। इन्होंने महज 7 वर्ष की उम्र में ही लखनऊ के ऑडिटोरियम में नृत्य का प्रदर्शन किया और इसके बाद इन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। नृत्य की दुनिया को इन्होंने अपनी कला से समृद्ध करने का कार्य जारी रखा है। शनैः-शनैः इनकी ख्याति बढ़ने लगी। इन्होंने नृत्य के अलावा संगीतकार के रूप में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। ये उच्च कोटि के संगीतज्ञ, ताल प्रदायक, संगीत रचनाकार, गुरु, निर्देशक, नृत्य रचनाकार और कवि भी रहे हैं।
इन्होंने विभिन्न प्रकार की नृत्यावलियों जैसे गोवर्धन लीला, माखन चोरी, मालती-माधव, कुमार संभव व फाग बहार इत्यादि की रचना की। सत्यजीत रॉय की फिल्म ‘शतरंज के खिलाड़ी’ के लिए भी इन्होंने उच्च कोटि की दो नृत्य नाटिकाएं रचीं। इन्हें ताल वाद्यों की विशिष्ट अंतप्रेरणा भरी समझ थी, जैसे तबला, पखावज, ढोलक, नाल और तार वाले वाद्य वायलिन, स्वर मंडल व सितार इत्यादि के सुरों का भी इन्हें गहरा ज्ञान था । इन्होंने हजारों संगीत प्रस्तुतियां भारत एवं भारत के बाहर भी दीं।
इन महान शख्सियत ने गुरु की भूमिका में अपनी प्रतिभा को कई कलाकारों में अधिरोपित किया और नए कलाकारों को दुनिया से परिचित करवाया। 1998 में अवकाश ग्रहण करने से पूर्व पंडित बिरजू महाराज ने संगीत भारती, भारतीय कला केंद्र में अध्ययन किया व दिल्ली के कत्थक केंद्र के प्रभारी भी रहे। इनके दो प्रतिभाशाली पुत्र श्री जयकिशन और दीपक महाराज भी इन्हीं के पदचिह्नों पर अग्रसारित हैं। अवकाश प्राप्त कर लेने के बाद भी इनके द्वारा नई प्रतिभाओं की कलमें तराशी जा रही हैं।
बिरजू महाराज ने कई प्रतिष्ठित पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त किए और प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार ‘संगीत नाटक अकादमी’, ‘पद्म विभूषण’ 1956 में प्राप्त किया। मध्य प्रदेश सरकार सरकार द्वारा इन्हें ‘कालिदास सम्मान’ मिला व ‘सोवियत लैंड नेहरू अवॉर्ड’, ‘एस एन ए अवॉर्ड’ व ‘संगम कला अवॉर्ड’ भी इन्हें प्राप्त हुए। इन्हें नेहरू फैलोशिप के अलावा दो डॉक्टरेट की मानद उपाधियां भी प्राप्त हुईं। इनका समर्पण, अभ्यास व दक्षता का करिश्मा ही है कि ये भारत के महानतम् कलाकारों में से एक माने जाते हैं।
पुरस्कार और उपलब्धियां (Birju Maharaj Awards And Achievements)
- पद्म विभूषण
- राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
- कालिदास सम्मान
- लता मंगेशकर पुरस्कार
- संगम कला पुरस्कार
- भारत मुनि सम्मान
- नत्य विलास पुरस्कार
- सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार
- राष्ट्रीय नृत्य शिरोमणि पुरस्कार
फिल्म पुरस्कार (Film Awards)
- 2012 – फिल्म विश्वरूपम के लिए सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
- 2016 – फिल्म बाजीराव मस्तानी के लिए सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी का फिल्मफेयर अवार्ड
Some FAQ (कुछ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
भारतीय प्रसिद्ध कत्थक नर्तक
17 जनवरी 2022 को।
कत्थक नर्तकियों के महाराज परिवार के वंशज थे
पद्म विभूषण।
चार फरवरी 19 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में।
जगन्नाथ महाराज, जो की अच्छन महाराज के नाम से जाना जाता है।
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