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किरण मजूमदार शॉ जीवनी – Biography Of Kiran Mazumdar-Shaw in Hindi

किरण मजूमदार शॉ जीवनी - Biography Of Kiran Mazumdar-Shaw in Hindi
किरण मजूमदार शॉ जीवनी – Biography Of Kiran Mazumdar-Shaw in Hindi

किरण मजूमदार शॉ जीवनी (Biography Of Kiran Mazumdar-Shaw in Hindi)

किरण मजूमदार शॉ बायोकॉन लि. की अध्यक्षा एवं प्रबंधक निदेशक हैं, जो भारत की सर्वाधिक बड़ी कंपनी है। 2004 में ये भारत की सबसे ज्यादा धनवान महिला बनीं।

किरण मजूमदार शॉ जीवनी-Kiran Mazumdar-Shaw
Kiran Mazumdar-Shaw BNC.jpg
जन्म 23 मार्च 1953 (आयु 70)
Bangalore, भारत
आवास Bangalore, भारत
व्यवसाय Chairperson of बायोकॉन

किरन मजूमदार शॉ का जन्म 23 मार्च, 1953 को बेंगलुरू, कर्नाटक में हुआ । इन्होंने स्कूली शिक्षा बिशप कॉटन गर्ल्स स्कूल से प्राप्त की गई और फिर उच्च शिक्षा माउंट कार्मेल कॉलेज बेंगलुरू से प्राप्त की गई। 1973 में बेंगलुरू विश्वविद्यालय से प्राणिविज्ञान में स्नातक स्तरीय परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् स्नातकोत्तर उपाधि आस्ट्रेलिया के बल्लार्ट विश्वविद्यालय से प्राप्त की।

किरण मजूमदार ने अपना व्यावसायिक जीवन ‘कार्लटन एंड यूनाइटेड बेवरिज’ में प्रशिक्षु उत्क्षोभक के रूप में 1974 में आरंभ किया। 1978 से इन्होंने प्रशिक्षु प्रबंधक के रूप में बायोकॉन बायोकेमिकल्स लिमिटेड के लिए आयरलैंड में अपनी सेवाएं देना आरंभ किया गया। किरण मजूमदार शॉ ने इसी वर्ष में दस हजार की पूंजी लगाकर बायोकॉन बायोकेमिकल्स लिमिटेड से सहभागिता कर भारत में बायोकॉन की स्थापना का कार्य किया। आरंभ में वित्त पोषण को लेकर इन्हें कई परेशानियां उठानी पड़ी थीं। उस समय बायोटेक्नोलॉजी का उद्यम भारत में सर्वथा पहली बार हो रहा था और महिला उद्यमी होने के कारण भी बैंक ऋण प्रदान करते हुए झिझक रहे थे ।

बायोकॉन का आरंभिक कार्य पपीते का किण्वक (अर्क) निकालने का था। किरण मजूमदार शॉ के प्रबंधक रहते बायोकॉन ने स्वयं को किण्वक के क्षेत्र में औद्योगिक कंपनी की तरह स्थापित कर लिया, जो विभिन्न प्रकार के शोधकार्यों की भी पूर्ति करती थी। आज बायोकॉन भारत की सर्वाधिक प्रतिष्ठित कंपनी मानी जाती है। 2004 में बायोकॉन कंपनी ने अपने शेयर निर्गमित किए। क्षमता से 30 गुना ज्यादा लोगों ने शेयर प्राप्त करने चाहे थे। शेयर निर्गमन के पश्चात् किरण मजूमदार शॉ के पास 40 प्रतिशत हिस्सा राशि थी और भारत के परिप्रेक्ष्य में कहा जाए तो 2100 करोड़ की स्वामिनी के रूप में वे भारत की सर्वाधिक धनी नारी बन गईं। किरण मजूमदार शॉ को कई प्रतिष्ठित सम्मान एवं पुरस्कारों की भी प्राप्ति हुई है। इन सम्मानों में इकॉनोमिक टाइम्स का ‘वर्ष की महिला उद्यमी’, ‘सर्वश्रेष्ठ महिला उद्योगपति’, ‘आदर्श नियोक्ता’ शामिल रहे हैं। भारत सरकार के द्वारा इन्हें 1989 में पद्मश्री एवं 2005 में पद्म भूषण जैसे नागरिक सम्मानों से भी सम्मानित किया गया है।

डॉक्टर किरन मजूमदार शॉ भारतीय उद्योगों में बतौर महिला एक उज्ज्वल नाम तो है ही, भारतीय महिला उद्यमी के रूप में भी ये सर्वाधिक धनवान उद्यमी हैं। इस कारण इन्होंने कई अवैतनिक, किंतु सम्मानपूर्ण पदों पर रहते हुए कार्य किया है। भारत के प्रधानमंत्री की सलाहकार परिषद में भी ये शामिल रही हैं, ताकि व्यापार और उद्योग (भारतीय) के संदर्भ मे इनकी सेवाएं प्राप्त हो सकें। इनके द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कई जिम्मेदारियों का निर्वहन किया जाता रहा है। ऐसा करते हुए इन्होंने भारतीय नारी के समक्ष एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। आज जब लोग धन कमाने के लिए कठोर अध्यवसाय व प्रतिभा पर आश्रित नहीं रहना चाहते हैं तो किरण मजूमदार शॉ का जीवन इनके लिए सबक होना चाहिए कि ‘दस हजार रुपयों’ की सामान्य पूंजी से भी व्यक्ति उत्कृष्ट सफलताएं अर्जित कर सकता है।

किरण मजूमदार शॉ क्या करती है?

किरण मजूमदार-शॉ कला पारखी है और उनके पास चित्रों और कला से संबंधित चीजों का बहुत विशाल संग्रह है। वे एक कॉफी टेबल पुस्तक, एले एंड आर्टि, द स्टोरी ऑफ बीयर की लेखिका भी हैं।

किरण मजूमदार शॉ के कितने बच्चे हैं?

किरण और जॉन की कोई संतान नहीं है और उनका साथ हमेशा उनका प्यार रहा है। किरण भारत की सबसे अमीर महिला हैं, जिन्होंने 1978 में भारत की सबसे बड़ी सूचीबद्ध बायोफार्मास्युटिकल फर्म की स्थापना की थी। उनकी कुल संपत्ति 250 करोड़ अमेरिकी डॉलर है।

किरण मजूमदार का बिजनेस क्या है?

 
किरण मजूमदार-शॉ (जन्म 23 मार्च 1953) एक भारतीय अरबपति उद्यमी हैं। वह बायोकॉन लिमिटेड और बायोकॉन बायोलॉजिक्स लिमिटेड की कार्यकारी अध्यक्ष और संस्थापक हैं, जो बैंगलोर, भारत में स्थित एक जैव प्रौद्योगिकी कंपनी है और भारतीय प्रबंधन संस्थान, बैंगलोर की पूर्व अध्यक्ष हैं।

बायोकॉन की शुरुआत कैसे हुई?

 

बायोकॉन की स्थापना 1978 में रुपये के साथ हुई थी। एक किरण मजूमदार द्वारा प्रारंभिक पूंजी के रूप में 10,000, जो बैंगलोर में गुजराती माता-पिता के लिए पैदा हुई थी। 1979 में बायोकॉन अमेरिका और यूरोप को एंजाइम बनाने और निर्यात करने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई। 1989 में यूनिलीवर ने बायोकॉन बायोकेमिकल्स लिमिटेड का अधिग्रहण किया।

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Anjali Yadav

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