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एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी का जीवन परिचय (Biography of M. S. Subbulakshmi in Hindi)
एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी का जीवन परिचय | Biography of M. S. Subbulakshmi in Hindi- सुब्बुलक्ष्मी, एम.एस. देवदासी कुटुंब में जन्मी थीं। सुब्बुलक्ष्मी की जिंदगी संवारने और विश्व की एक विख्यात गायिका बनाने में इनके पति का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इन्होंने खुद इस तथ्य की स्वीकारोक्ति की थी कि यदि उन्हें इनके पति से मार्गदर्शन और मदद प्राप्त न होती तो ये इस मंजिल तक कभी नहीं पहुंच पातीं।
एमएस सुब्बुलक्ष्मी | |
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पृष्ठभूमि की जानकारी | |
जन्म नाम | मदुरै शनमुखावदिवु सुब्बुलक्ष्मी |
जन्म | 16 सितंबर 1916मदुरै , मद्रास प्रेसीडेंसी , ब्रिटिश भारत |
मृत | 11 दिसंबर 2004 (आयु 88)चेन्नई , तमिलनाडु , भारत |
शैलियां | भारतीय शास्त्रीय संगीत |
व्यवसाय | शास्त्रीय गायक |
सक्रिय वर्ष | 1930-1997 |
लेबल | एचएमवी |
पति/पत्नी | कल्कि सदाशिवम |
सुब्बुलक्ष्मी का जन्म 16 सितंबर, 1916 में हुआ था। 17 वर्ष की उम्र में ही इन्होंने चेन्नई संगीत अकादमी में एक श्रेष्ठ गायिका के रूप में अपनी प्रतिभा प्रदर्शित कर दी थी। शुरू से ही इनके हृदय में अपने संगीत के बारे में यह सोच थी कि इनके संगीत को सुनकर निराशाग्रस्त चेहरों पर भी प्रसन्नता का भाव आ जाता था। सुब्बुलक्ष्मी की प्रसिद्धि इनकी गायन कला के कारण अवश्य ही थी, लेकिन इन्होंने जो भक्ति संगीत भारत व सारे संसार को दिया, उसके कारण विशिष्ट रूप से उन्हें याद किया जाता रहा है। जब ये गांधी जी के प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो तेणे कहिए, जो पीर पराई जाने रे’ गातीं तो एक अद्भुत सम्मोहन श्रोता अनुभव करते थे। इन्होंने मीरा के भी कई भजनों को स्वर दिया। इन्होंने ‘मीरा’ नाम की तमिल फिल्म में भी अपनी प्रतिभा दर्शाई। जब इस फिल्म का हिंदी रूपांतर प्रस्तुत किया गया तो सुब्बुलक्ष्मी को हिंदी जगत में भी पहचान हासिल हो गई थी। फिर तो ये पूरे देश में विख्यात हो गईं।
सुब्बुलक्ष्मी ने जब संयुक्त राष्ट्र की दीर्घा में अपनी गायन कला प्रस्तुत की थी तब प्रसिद्ध अखबार ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने लिखा था कि ये अपने संगीत द्वारा पश्चिमी देशों के संगीतप्रेमियों से, जो रिश्ता कायम करती हैं, उसके लिए यह जरूरी नहीं कि श्रोता इनके शब्दों का अभिप्राय समझें, बल्कि इनके मधुर कंठ से निकला हुआ आकर्षक स्वर पश्चिमी श्रोताओं के लिए सर्वाधिक सरल और बोधगम्य जरिया है।
आधुनिक जगत की महानतम् भक्ति गायिका होने के उपरांत भी ये हमेशा विनम्र बनी रहीं और संगीत में अपनी प्रसिद्धि के लिए अपने पति सदाशिवम की आभारी बनी रहीं । सदाशिवम् की खासियत यह थी कि गांधीवादी और स्वतंत्रता सेनानी होने के उपरांत जब से इन्होंने सुब्बुलक्ष्मी से अपना रिश्ता कायम किया, उनका सदैव यही प्रयास रहा कि उनकी पत्नी की प्रतिभा सर्वोत्तम रूप से सामने आए। इन्होंने सुब्बुलक्ष्मी के गायन कार्यक्रमों को इस तरह से प्रायोजित किया कि ये अधिकारिक श्रोताओं के संपर्क में आईं। इन्हीं के प्रयासों का नतीजा था कि सुब्बुलक्ष्मी को ‘भारत की कोकिला’ का संबोधन मिला। सदाशिवम ने अपनी पत्नी को उस सम्मान तक पहुंचाया, जिसकी वे अधिकारिणी थीं। रामधुन एवं भक्ति संगीत गायन प्रेरणा भी उन्हें अपने पति द्वारा ही प्राप्त हुई थी।
इन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया व साथ ही मद्रास संगीत अकादमी ने ‘संगीत कलानिधि’ की उपाधि से भी इन्हें विभूषित किया था। यह सम्मान प्राप्त करने वाली वे प्रथम महिला रही थीं।
1974 में इन्हें ‘रेमन मैग्सेसे पुरस्कार भी प्रदान किया गया व 1990 में राष्ट्रीय एकता के लिए इन्हें ‘इंदिरा गांधी अवॉर्ड’ प्रदान किया गया।
11 दिसंबर, 2004 को 88 वर्ष की उम्र में इनका निधन हो गया। इनके पति सदाशिवम का निधन 1987 में ही हो गया था।
फिल्में (Movies)
- Meera – 1945
- Sakuntalai – 1940
- Sevasadanam – 1938
- Savithiri – 1941
- The Wife – 1941
- Swararchana: The Musical Legend M.S. Subbulakshmi – 2005
- Lakshminarayana Global Music Festival: L. Subramaniam, Pandit Jasraj & Kavita Krishnamurthy – 2004
- Sakunthalai
- Lakshminarayana Global Music Festival: M.S. Subbulakshmi & Bismillah Khan – 1992
एम.एस. सुब्बालक्ष्मी की जीवनी – M. S. Subbulakshmi Biography Hindi
गाने (Songs)
- Vishnu Sahasranamam
- Bhaja Govindam
- Hanuman Chalisa
- Deva Devam Bhaje
- Lakshmi Ashtothram
- Bhavamu Lona
- Sri Rangapura Vihara – Brindaavana Saranga – Rupakam
- Jagadodharana
- Shrimannarayana
- Ganesa Pancharatnam
- Deva Devam
- Bhavayami
- Bhaja Govindham – Ragamalika – Aadi
- Madhurashtakam
- Brahma Kadigina Paadamu
- Suprabhatam
- Nama Ramayana
- Maitreem Bhajata
- Bhavayami Gopala Balam – Yamuna Kalyani – Khanda Chapu
- Dolayam
- Akhilandeshwari
- Brahma Kadigina
- Narayana
- Sri Venkateshwara Suprabhatham
- Rama Nannu Brovara
- Govindashtakam
- Nama Ramayana – Ragamalika
- Pakkala Nilabadi
- Kurai Onrum Illai
- Jo Achyuthananda Jo Jo Mukunda
- Vishnu Sahasranamam – Stotram
- Olipadaitta Kanninaai
पुरस्कार
- उन्हें मद्रास संगीत अकादमी ने संगीत कलानिधि की उपाधि से अंलकृत किया था।
- 1974 में उन्हें ‘रेमन मेगसेसे’ पुरस्कार प्राप्त हुआ
- 1990 में राष्ट्रीय एकता के लिए उन्हें इंदिरा गांधी अवार्ड दिया गया।
- 1954 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
- 1956 में संगीत नाटक अकादमी सम्मान नवाजा गया।
- 1974 में रैमन मैग्सेसे सम्मान
- 1975 में पद्म विभूषण
- 1988 में कैलाश सम्मान
- 1998 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
- इसके अतिरिक्त कई विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानद उपाधि से सम्मानित किया।
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