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डॉक्टर प्रताप सी. रेड्डी का जीवन परिचय (Dr. Pratap C Reddy Biography in Hindi)
डॉक्टर प्रताप सी. रेड्डी ने अपोलो हॉस्पिटल समूह की स्थापना की और प्रथम निगमित (कॉर्पोरेट) हॉस्पिटल समूह इस प्रकार भारत में अस्तित्व में आया। स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं के परिदृश्य को इन्होंने क्रांतिकारी तरीके से परिवर्तित कर दिया गया और अन्य लोगों को भी अनुसरण करने की प्रेरणा प्रदान की। आज समग्र भारतवर्ष के विभिन्न नगरों में 1000 से ज्यादा निगमित अस्पतालों की संस्कृति सफलता के साथ फल-फूल रही है।
डॉक्टर प्रताप रेड्डी भारत आने से पूर्व अमेरिका में ‘वोरसेंटर सिटी हॉस्पिटल’ में ‘चीफ रेजीडेंट’ के बतौर सेवाएं प्रदान कर रहे थे। चेन्नई में इन्होंने 100 रुपया प्रतिदिन के साधारण शुल्क पर चिकित्सा सेवाकार्य आरंभ किया गया।
अपोलो हॉस्पिटल समूह की स्थापना करने का विचार डॉक्टर प्रताप रेड्डी को उस समय आया, जब इनके एक मरीज की जिंदगी चली गई, जो ओपन हार्ट सर्जरी के लिए टेक्सास नहीं पहुंच पाया था। इस घटना ने डॉक्टर रेड्डी को उत्प्रेरित किया कि ये भारत के आम नागरिकों को सुलभ दरों पर विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करवाएं। डॉक्टर रेड्डी के प्राथमिक प्रयास रूपी अंकुर उस समय घने वृक्ष में परिवर्तित हुए, जब 1983 में अपोलो हॉस्पिटल समूह का प्रथम केंद्र सफलता के साथ स्थापित कर दिया गया।
इसके पश्चात् डॉक्टर रेड्डी ने भारत के प्रथम ‘परामर्शदाता अस्पताल संरचना’ के स्वरूप को भी साकार किया और ‘दि इंडियन हॉस्पिटल्स कॉर्पोरेशन’ की स्थापना की। फिर तीसरी सफलता के रूप में दो केयर यूनिट्स की स्थापना और की। स्थापना के पश्चात् से अपोलो ने भारतीय चिकित्सकीय प्रतिभा का बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए यह दर्शा दिया कि सभी विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं देश में मौजूद हैं, जो विश्व के श्रेष्ठतम अस्पतालों में होती हैं। मृत समान लोगों को जटिल शल्य चिकित्सा पद्धति का लाभ प्रदान किया जाना आरंभ हुआ और परिणाम उत्साहजनक आए। आज अपोलो हॉस्पिटल समूह के लगभग 25 चिकित्सा केंद्र भारत के विभिन्न नगरों में स्थापित हो चुके हैं, जिनका मौद्रिक संव्यवहार 100 मिलियन डॉलर्स सालाना का है।
डॉक्टर रेड्डी अब अपोलो हॉस्पिटल समूह को एशिया के अन्य देशों में भी स्थापित करने में जुटे हैं। समूह का प्रथम चिकित्सालय मार्च, 1999 में दुबई में आरंभ हुआ और श्रीलंका, अफ्रीका, बांग्लादेश और ओमान में इसकी परियोजनाएं लगभग समाप्ति की कगार पर हैं।
डॉक्टर रेड्डी ने हालिया दौर में सहायक स्वास्थ्य केंद्रों को अर्द्ध शहरी व मध्यम दर्जे के नगरों में आरंभ करने के कार्य को गति प्रदान की और प्रथमतः 23 स्थानों को इस उद्देश्य से चिह्नित किया।
इसके पश्चात् डॉक्टर रेड्डी ने चिकित्सा विश्वविद्यालय स्थापित करने की दिशा में रुचि दर्शाई। इस प्रकार वे ऐसा वास्तविक चिकित्सा विश्वविद्यालय स्थापित करना चाहते थे, जो चिकित्सा के क्षेत्र में निष्णात चिकित्सक तैयार कर सके, जो विश्व में किसी भी स्थान पर चिकित्सा करने व शल्य क्रिया करने में ‘सक्षम हों। फिर ‘मेड नेट’ अस्पताल पद्धति के प्रबंधन को आरंभ किए जाने की योजना का शुभारंभ भी डॉक्टर रेड्डी के द्वारा किया गया।
1991 में डॉक्टर रेड्डी को इनकी सेवाओं के लिए भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से अलंकृत किया गया। इस प्रकार जन्म से ही स्वप्नदृष्टा रहे डॉक्टर रेड्डी ने तीस अस्पतालों को आरंभ किया, जिनका प्रबंधन इनके द्वारा किया जाता रहा है। इन अस्पतालों में 2800 रोगी भर्ती किए जा सकते हैं। इनमें 800 करोड़ की पूंजी का निवेश किया गया। डॉक्टर रेड्डी का मानना है कि उनकी सफलता के लिए विचारों की शुद्धता, धैर्य व निरंतर परिश्रम की भूमिका प्रमुख रही है। इनका मानना है कि अभी ये काफी कुछ करना चाहते ये भारतवर्ष को चिकित्सा सेवा उपलब्ध करवाने वाला एक प्रमुख केंद्र बनाना चाहते हैं।
ऐसे ही कर्मनिष्ठ लोगों के कारण संसार प्रगतिशील है और ऐसे ही लोगों का अनुसरण किया जाना चाहिए।
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