राजनीति विज्ञान / Political Science

पर्यवेक्षण का अर्थ | पर्यवेक्षण की परिभाषाएँ

पर्यवेक्षण का अर्थ | पर्यवेक्षण की परिभाषाएँ
पर्यवेक्षण का अर्थ | पर्यवेक्षण की परिभाषाएँ

पर्यवेक्षण का अर्थ

यह दो शब्दों- परि (super) + अवेक्षण (vision) का योग है। इसका अर्थ देखने की श्रेष्ठ शक्ति अर्थात् अधिदर्शन या दूसरों के कार्य का अधीक्षण करना। इसकी परिभाषा यह है- “दूसरों के कार्यों का सत्ता के सहयोग से निर्देशन।” फिर भी यह शब्द सभी लोगों के लिए समान अर्थ नहीं रखता।

पर्यवेक्षण की परिभाषाएँ

1. विल्स के अनुसार, “आधुनिक पर्यवेक्षण अध्यापन व अधिराम के श्रेष्ठ विकास में सहायक है।”

2. एडम्स और डिकी के अनुसार, “पर्यवेक्षण संस्थाओं के सुधार के लिए एक नियोजित कार्यक्रम है।”

3. जॉन ए० बर्तकों के अनुसार, “पर्यवेक्षण, शिक्षक के विकास, बालक की अभिवृद्धि तथा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में सुधार से सम्बन्धित है।”

4. एस०एन० मुखर्जी के अनुसार, “प्रजातन्त्र युग में पर्यवेक्षण का उद्देश्य शिक्षण में सुधार लाना होता है।”

मारग्रेट विलियमसन ने पर्यवेक्षण के विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट करने के लिए एक रोचक कथा का उल्लेख किया है- “नये कर्मचारियों के एक समूह से पूछा गया कि जब उन्होंने ‘पर्यवेक्षण’ शब्द को सुना तो उनके मन में क्या बात आयी। इसके उत्तर कुछ इस प्रकार मिले- त्रुटियों से खबरदार रहना, ऐसे व्यक्ति की सहायता लेना जो उस कार्य को समझता है, संदर्भ केन्द्र मिल जाने पर संतुष्ट होना, अपने से ऊपर के व्यक्ति की शक्ति तथा स्तर के कारण स्वयं को नीचा तथा अनुपयुक्त समझने के लिए बाध्य होना, धक्के खाना।” विलियमसन ने पर्यवेक्षण की परिभाषा इस प्रकार की है- “यह एक प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत कर्मचारियों को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार सीखने, अपने ज्ञान तथा कौशल का सर्वोत्तम प्रयोग करने तथा योग्यताओं का सुधार करने में किसी पदाधिकारी की सहायता प्राप्त होती है ताकि वे अपने कार्य को अधिक प्रभावशाली ढंग से कर सकें और जिससे स्वयं उन्हें तथा अभिकरण को अधिकाधिक संतोष प्राप्त होता रहे।” संक्षेप में, पर्यवेक्षण का अर्थ परिणामों का अवलोकन है।

पर्यवेक्षण निरीक्षण तथा खोजबीन से कहीं अधिक होता है। निरीक्षण और खोजबीन तो पर्यवेक्षण की प्रक्रिया के केवल अंग मात्र हैं। वस्तुतः पर्यवेक्षण किसी प्रशासकीय कृत्य के रूप में अधीक्षण से कहीं अधिक है। इसका एक शिक्षाप्रद रूप भी है। पर्यवेक्षक से यह भी आशा की जाती है कि वह अपने अधीन कार्य करने वाले कर्मचारियों को कार्य करने का सर्वोत्तम तरीका सिखाये। इसके अतिरिक्त, चूँकि कर्मचारी अपने पर्यवेक्षक से मंत्रणा या मार्गदर्शन की आशा रखते हैं, अतः उसका कार्य परामर्श देना भी है। इस प्रकार पर्यवेक्षक का कार्य नेता का कार्य है। संक्षेप में, पर्यवेक्षण के अनेक तत्व हैं, जैसे- “प्रत्येक कृत्य के लिए उपयुक्त व्यक्ति का चयन प्रत्येक व्यक्ति में उसके कार्य के प्रति रुचि उत्पन्न करना तथा उसे उस कार्य के करने के ढंग की शिक्षा देना, कार्य सम्पन्न किये जाने की गति तथा कार्यक्षमता को नापना ताकि यह निश्चय हो जाय कि शिक्षण पूर्ण रूप से प्रभावशाली सिद्ध हुआ है, जहाँ गलती को सुधारने की आवश्यकता हो वहाँ गलती सुधारना तथा जिन पर इसका प्रभाव न हो उन्हें किसी अन्य अधिक उपयुक्त कार्य मैं लगा देना या उनको हटा देना, जब प्रशंसा करने की आवश्यकता हो तो प्रशंसा करना और अच्छे कार्य के लिए पुरस्कार देना। ये सभी कार्य धैर्य तथा कौशल के साथ उचित ढंग से पूरे किये जाने चाहिए, ताकि प्रत्येक व्यक्ति अपना कार्य चतुरता एवं ठीक तरीके से, बुद्धिमानी तथा उत्साह के साथ पूर्णरूपेण कर सके।” मिलेट ‘मौलिक पर्यवेक्षण’ (Substantive Supervi sion) तथा ‘प्राविधिक पर्यवेक्षण (Technical Supervision) में भेद प्रकट करते हैं। पहले का सम्बन्ध किसी भी अभिकरण द्वारा किये गये वास्तविक कार्य से होता है जबकि दूसरे का सम्बन्ध उन तरीकों से है जिनके द्वारा कार्य पूरा किया जाता है।

सत्ता प्राप्त सभी व्यक्ति, जो दूसरों के कार्य पर नियंत्रण रखते हैं, पर्यवेक्षक होते हैं, चाहे परम्परा में उनकी स्थिति ऊँची हो या नीची। फोरमैन (Foreman), हवलदार (Head con- |stable), मुख्य लिपिक (Head clerk), प्रधानाध्यापक, जिलाधीश (Collector) आदि सभी पर्यवेक्षक हैं। कभी-कभी यह समझा जाता है कि कोई भी पर्यवेक्षक केवल पर्यवेक्षण करता है तो स्वयं सूत्र (क्रियान्वयन) सम्बन्धी कोई कार्य नहीं करता। ऐसा सदैव नहीं होता। सामान्यतः पर्यवेक्षक ‘उत्तरदायित्व’ तथा ‘कार्य’ दोनों ही सम्पन्न करते हैं, यद्यपि उनका मुख्य कार्य उत्तरदायित्व के ही ढंग का होता है। पर्यवेक्षक दो प्रकार के होते हैं- सूत्र पर्यवेक्षक तथा कार्यात्मक पर्यवेक्षक। सूत्र पर्यवेक्षक का सम्बन्ध उस नियंत्रण से है जो आदेश की पंक्ति के व्यक्तियों के हाथों में होता है। उदाहरण के लिए, भारत में राज्यों के पुलिस विभाग में महानिरीक्षक (Inspector General) जिला पुलिस अधीक्षक (District Superintendent of Police) का पर्यवेक्षण करता है। बदले में जिला पुलिस अधीक्षक निरीक्षकों (Inspectors) का पर्यवेक्षण करता है। इस प्रकार यह क्रम तब तक चलता रहता है, जब तक हम हवलदार तक नहीं पहुँच जाते हैं, जो पहली पंक्ति का पर्यवेक्षक है। इसके विपरीत, कार्यात्मक पर्यवेक्षण किन्हीं विषयों के विशेषज्ञों, जैसे लेखापरीक्षकों, गणकों, संगठन तथा प्रबन्ध (O. and M.) के विशेषज्ञों, सांख्यिकों इत्यादि के द्वारा किया जाता है। जबकि नीति पर्यवेक्षण सीधा एवं प्रशंसात्मक ढंग से होता है, कार्यात्मक पर्यवेक्षण मंत्रालय से सम्बन्धित कार्य है जिसके द्वारा समादेश तो नहीं दिया जाता है, प्रभाव अवश्य डाला जाता है।

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Anjali Yadav

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