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NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 3 नादान दोस्त
आज हम आप लोगों को वसंत भाग-1 के कक्षा-6 का पाठ-3 (NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 3 नादान दोस्त पाठ का प्रश्न-उत्तर (Nadan Dost Question Answer) के बारे में बताने जा रहे है जो कि मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) द्वारा लिखित है। इसके अतिरिक्त यदि आपको और भी NCERT हिन्दी से सम्बन्धित पोस्ट चाहिए तो आप हमारे website के Top Menu में जाकर प्राप्त कर सकते हैं।
Board | CBSE |
Textbook | NCERT |
Class | Class 6 |
Subject | Hindi |
Chapter | Chapter 3 |
Chapter Name | नादान दोस्त |
Number of Questions Solved | 18 |
Category | NCERT Solutions |
NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 3 नादान दोस्त प्रश्न-उत्तर
1. केशव और श्यामा के मन में अंडों को देखकर तरह-तरह के सवाल क्यों उठते थे?
उत्तर
केशव और श्यामा के मन में अंडों को देखकर तरह-तरह के सवाल इसलिए उठते होगें क्योंकि उन्होंने ऐसा पहले कभी नहीं देखा था। वे अंडों के बारे में जानना चाहते थे।
2. अंडों के बारे में दोनों आपस ही में सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली क्यों दे दिया करते थे?
उत्तर
केशव और श्यामा दोनों आपस ही में सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली दे दिया करते थे क्योंकि उनके प्रश्नों का उत्तर देनेवाला कोई नहीं था। न अम्मा को घर के काम-धंधों से फ़ुरसत थी न बाबू जी को पढने-लिखने से।
3. अंडों के टूट जाने के बाद माँ के यह पूछने पर कि ‘तुम लोगों ने अंडों को छुआ होगा।’ के जवाब में श्यामा – ने क्या कहा और उसने ऐसा क्यों किया?
उत्तर
माँ के पूछने पर श्यामा ने कहा कि भइया ने अंडों को छेड़ा था क्योंकि उसे लगा भइया ने ही शायद अंडों को इस तरह रख दिया कि वह नीचे गिर पड़े। इसकी उसे सजा मिलनी चाहिए।
4. पाठ के आधार पर बताओ कि अंडे गंदे क्यों हुए और उन अंडों का क्या हुआ?
उत्तर
केशव के छूने से चिड़िया के अंडे गंदे हो गए और इसलिए चिड़िया ने उन्हें नहीं सेया। चिड़िया ने उन अंडों को गिरा दिया और वे बर्बाद हो गए।
5. सही उत्तर क्या है?
अंडों की देखभाल के लिए केशव और श्वामा धरि से बाहर निकले क्योंकि
(क) से माँ की नींद नहीं तोड़ना चाहते थे।
(ख) माँ नहीं चाहती थीं कि वे चिड़ियों की देखभाल करें।
(ग) माँ नहीं चाहती थीं कि वे बाहर धूप में घूमें।
उत्तर- (ग) माँ नहीं चाहती थीं कि वे बाहर धूप में घूमें।
6. केशव और श्यामा ने चिड़िया और अंडों की देखभाल के लिए किन तीन बातों का ध्यान रखा?
उत्तर
केशव और श्यामा ने चिड़िया और अंडों की देखभाल के लिए उनके आराम का, धूप से बचाने का और खाने का ध्यान रखा। आराम के लिए कपड़ा बिछाया, धूप से बचाने के लिए टोकरी से ढक दिया और खाने के लिए पास में दान और पानी की प्याली रखी।
7. कार्निस पर अंडों को देखकर केशव और श्यामा के मन में जो कल्पनाएँ आई और उन्होंने चोरी-चुपके जो कुछ कार्य किए, क्या वे उचित थे? तर्क सहित उत्तर लिखो।
उत्तर
कार्निस पर अंडों को देखकर केशव और श्यामा के मन में जो कल्पनाएँ आई और उन्होंने चोरी-चुपके जो कुछ कार्य किए, वे अनुचित थे। वे मदद तो करना चाहते थे परन्तु उनके पास जानकारियों का अभाव था इसलिए उन्होंने जितने भी कार्य किये, वो गलत थे।
18. पाठ से मालूम करो कि माँ को हंसी क्यों आई? तुम्हारी समझ से माँ को क्या करना चाहिए था?
उत्तर
माँ को बच्चों की नादानी व अज्ञानता पर हंसी आ गई। मेरी समझ से माँ को हँसने के बजाय उन्हें समझाना चाहिए था ताकि वो भविष्य में इन सब चीजों के प्रति सतर्क रहें।
कहानी से आगे
3. माँ के सोते ही केशव और श्यामा दोपहर में बाहर क्यों निकल आए ? माँ के पूछने पर भी दोनों में से किसी ने किवाड़ खोलकर दोपहर में बाहर निकलने का कारण क्यों नहीं बताया ?
उत्तर
माँ के सोते ही केशव और श्यामा दोपहर में चिड़िया के अंडो के लिए टोकरी और दाना-पानी रखने के लिए बाहर निकल आए। बताने पर उन्हें पिटाई का डर था इसलिए माँ के पूछने पर भी दोनों में से किसी ने किवाड़ खोलकर दोपहर में बाहर निकलने का कारण नहीं बताया।
4. प्रेमचंद ने इस कहानी का नाम ‘नादान दोस्त’ रखा। तुम इसे क्या शीर्षक देना चाहोगे?
उत्तर
‘नादानी’
1. नीचे दिए गए वाक्यों में तीनों प्रकार के पुरुषवाचक सर्वनामों के नीचे रेखा खींचो – एक दिन दीपू और नीतु यमुना तट पर बैठे शाम की ठंडी हवा का आनंद ले रहे थे? तभी उन्होंने देखा कि एक लंबा आदमी लड़खड़ाता हुआ उनकी ओर चला आ रहा है। पास आकर उसने बड़े दयनीय स्वर में कहा “में भूख से मरा जा रहा हूँ? क्या आप मुझे कुछ खाने को दे सकते हैं?”
उत्तर
एक दिन दीपू और नीलु यमुना तट पर बैठे शाम की ठंडी हवा का आनंद ले रहे थे? तभी उन्होंने देखा कि एक लंबा आदमी लड़खड़ाता हुआ उनकी ओर चला आ रहा है। पास आकर उसने बड़े दयनीय स्वर में कहा “मैं भूख से मरा जा रहा हूँ? क्या आप मुझे कुछ खाने को दे सकते हैं?”
2. तगड़े बच्चे
मसालेदार सब्जी
बड़ा अंडा
इसमें रेखांकित शब्द क्रमशः बच्चे, सब्जी और अंडा की विशेषता यानी गुण बता रहे हैं इसलिए ऐसे विशेषणों को गुणवाचक विशेषण कहते हैं। इसमें व्यक्ति या वस्तु के अच्छे-बुरे हर तरह के गुण आते हैं। तुम चार गुणवाचक विशेषण लिखो और उनसे वाक्य बनाओ।
उत्तर
अच्छा- दीपक एक अच्छा लड़का है। –
कीमती – यह गाड़ी बहुत कीमती है।
बड़ा – यह बक्सा बड़ा है।
लम्बा- यह रास्ता लम्बा है।
3. नीचे कुछ प्रश्नवाचक वाक्य दिए गए हैं, उन्हें बिना प्रश्रवाचक वाक्य के रूप में बदलो-
1. अंडे कितने बड़े होंगे?
अंडे बड़े होंगे।
2. किस रंग के होंगे?
उनके रंग बताओ।
3. कितने होगें ?
उनकी संख्या बताओ।
4. क्या खाते होंगे?
उनका खाना बताओ।
5. उनमें से बच्चे किस तरह निकल आएंगे?
‘उनमें से बच्चे निकलेंगे।
6. बच्चों के पर कैसे निकलेंगे?
बच्चों के पर निकलेंगे।
7. पौसला कैसा है?
घोसलों के बारे में बताओ।
4. (क) केशव ने झुंझलाकर कहा….
(घ) केशव ने टोकरी को एक टहनी से टिकाकर कहा….
(ड) श्यामा ने गिड़गिड़ाकर कहा….
(ख) केशव रोनी सूरत बनाकर बोला…. (ग) केशव घबराकर उठा..
ऊपर लिखे वाक्यों में रेखांकित शब्दों को ध्यान से देखो ये शब्द रीतिवाचक क्रियाविशेषण का काम कर रहे हैं क्योंकि ये बताते हैं कि कहने, बोलने और उठने की क्रिया कैसे हुई। ‘कर’ वाले शब्दों के क्रियाविशेषण होने की एक पहचान यह भी है कि ये अकसर क्रिया से ठीक पहले आते हैं। अब तुम भी इन पाँच क्रियाविशेषणों का वाक्यों में प्रयोग करो।
उत्तर
(क) झुंझलाकर- श्याम ने झुंझलाकर बैट फेंक दी।
(ख) बनाकर- उसने कागज़ का हवाई जहाज़ बनाकर उड़ाया।
(ग) घबराकर- मोहित घबराकर भाग गया।
(घ) टीकाकर- सुमित बैट को घुटनों से टिकाकर बातें करने लगा।
(ड़) गिड़गिड़ाकर- भिखारी गिड़गिड़ाकर भीख माँगने लगा। –
5. नीचे प्रेमचंद की कहानी ‘सत्याग्रह’ का एक अंश दिया गया है। तुम इसे पढ़ोगे तो पाओगे कि विराम चिह्नों के बिना यह अंश अधूरा सा है। तुम आवश्यकता के अनुसार उचित जगहों पर विराम चिन्ह लगाओ-
उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखाई दिया 11 बज चुके थे चारों तरफ़ सन्नाटा छा गया था पंडित जी ने बुलाया है ‘खोमचेवाले खोमचेवाला कहिए क्या दूँ भूख लग आई न अन्न-जल छोड़ना साधुओं का काम है हमारा आपका नहीं मोटेराम अबे क्या कहता है यहाँ क्या किसी साधू से कम हैं चाहें तो महीने पड़े रहें और भूख न लगे तुझे तो केवल इसलिए बुलाया है कि ज़रा अपनी कुप्पी मुझे दे देखूं तो वहाँ क्या रेंग रहा है मुझे भय होता है।
उत्तर
उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखाई दिया 11 बज चुके थे, चारों तरफ़ सन्नाटा छा गया था। पंडित जी ने बुलाया – खोमचेवाले खोमचेवाला कहिए क्या दूँ? भूख लग आई न। अन्न-जल छोड़ना साधुओं का काम है; हमारा आपका नहीं। मोटेराम! अबे क्या कहता है? यहाँ क्या किसी साधू से कम हैं। चाहें तो महीने पड़े रहें और भूख न लगे। तुझे तो केवल इसलिए बुलाया है कि जरा अपनी कुप्पी मुझे दे। देखूँ तो वहाँ क्या रेंग रहा है? मुझे भय होता है।
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