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रतन टाटा का जीवन परिचय (Ratan Tata Biography in Hindi)
रतन टाटा का जीवन परिचय | Ratan Tata Biography in Hindi- ये भारत के महान औद्योगिक घराने के शीर्ष पुरुषों के स्वप्न को पूरा करने वाले ऐसे शख्स के रूप में सामने आए, जिन्होंने टाटा घराने के कारोबार को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई बुलंदियां प्रदान कीं । इन्होंने अनेकानेक व्यापार समूहों को जन्म दिया और उन्हें परवान भी चढ़ाया। जमशेदजी टाटा के कुटुंब के इस चिराग ने ‘टाटा’ नाम को विश्वसनीयता और गुणवत्ता का प्रतीक बनाकर प्रतिष्ठित किया है। 75 वर्ष की उम्र में भी ये अविवाहित हैं।
Ratan Tata Biography in Hindi
नाम | रतन टाटा (Ratan Tata) |
पूरा नाम | रतन नवल टाटा |
जन्म | 28 दिसम्बर 1937, मुम्बई, महाराष्ट्र |
माता | सोनू |
पिता | नवल टाटा |
वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
पद | टाटा ग्रुप के चैयरमेन (1991-2012, 2016-17) |
धंधा | बिजनेसमेन, निवेशक |
पुरस्कार | पदम विभूषण (2008), पदम भूषण (2000) |
प्रसिद्धि का कारण | बिजनेसमेन, निवेशक, समाजसेवी |
उम्र (2021 में) | 83 वर्ष |
रतन नवल टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को मुंबई में हुआ। ये टाटा समूह के चेयरमैन रहे हैं। इस समूह को जमशेदजी टाटा ने स्थापित किया तथा परिवार की अन्य पीढ़ियों ने इसे समृद्ध व विस्तृत करने का कार्य किया।
ये उसी संपन्न टाटा घराने में जन्मे हैं और टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के प्रपौत्र हैं। 1944 के दौरान इनके माता-पिता अनबन के पश्चात् पृथक हो गए। उस समय ये लगभग सात वर्ष के थे व छोटा भाई पांच वर्ष का था। इनकी दादी लेडी नवाजबाई ने ही इनकी परवरिश की।
मुंबई के चैंपियन स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा पाने के बाद इन्होंने 1962 में कॉरनेल विश्वविद्यालय से वास्तुकला व संरचनात्मक अभियांत्रिकी में स्नातक की उपाधि ली। दिसंबर, 1962 में इन्होंने टाटा समूह में कदम रखा। सर्वप्रथम इन्हें जमशेदपुर के टाटा स्टील में भेजा गया। इन्होंने वहां कारीगरों के साथ कार्य करके कार्य की बारीकियों को आत्मसात किया । इन्होंने वहां किसी श्रमिक की भांति खून-पसीना बहाया था।
1971 में ये ‘नेल्को’ के प्रभारी निदेशक बनाए गए, लेकिन कंपनी उस दौरान वित्तीय मुश्किलों में फंसी थी। इन्होंने कंपनी को उच्च तकनीकी उत्पादों का उत्पादन करने का परामर्श दिया। साथ ही इस दिशा में प्रयास भी किया। इससे नेल्को घाटे के बजाय मुनाफा देने लगी।
1981 में ये टाटा समूह के चेयरमैन बने। 1991 में पूरे टाटा समूह को संभालने के पश्चात् इन्होंने इसे एक नया रूप देना आरंभ कर दिया, जो आज विशालतम औद्योगिक घराने के स्वरूप में हमारे सामने विद्यमान है। ‘टाटा कंसल्टेंसी सर्विस’ इनके ही प्रयासों का नतीजा रही है और टाटा मोटर्स का नाम न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में भी पंजीकृत हो पाया है। 1988 में टाटा ‘इंडिका’ आई। 31 जनवरी, 2007 को टाटा संस ने एंग्लो-डच स्टील व एल्यूमीनियम निर्माता ‘कोरस ग्रुप’ का अधिग्रहण 13 बिलियन डॉलर्स में किया। इस प्रकार रतन टाटा कॉर्पोरेट जगत की विशिष्ट हस्ती बन गए। 10 जनवरी, 2008 को इन्होंने एक लाख रुपये की नैनो कार लांच करने का स्वप्न भी पूर्ण कर दिखाया।
26 मार्च, 2008 को इन्होंने फोर्ड कंपनी से ‘जगुआर एंड लैंडरोवर’ का सौदा किया। 26 जनवरी, 2000 को भारतीय स्वतंत्रता की पचासवीं वर्षगांठ पर रतन टाटा को ‘पदम् भूषण’ से सम्मानित किया गया। 26 जनवरी, 2006 को इन्हें दूसरे सर्वोच्च नागरिकता अलंकरण ‘पद्म विभूषण’ से भी सम्मानित किया गया। इन्हें लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से डॉक्टरेट की मानद उपाधि भी प्रदान की गई। 2007 में इन्हें फॉर्चून पत्रिका ने विश्व की 25 शक्तिशाली लोगों की सूची में शामिल किया। 28 दिसंबर, 2012 को अपने 75वें जन्मदिन पर इन्होंने साइरस मिस्री को टाटा समूह का चेयरमैन बना दिया है। 75 वर्ष की उम्र में भी ये 35 वर्ष के युवा की भांति ऊर्जावान ही नजर आते हैं। चेयरमैनशिप छोड़ने के समय टाटा समूह द्वारा टाटा स्टील्स, टाटा मोटर्स, टाटा पावर, टाटा कंसल्टेंसी सर्विस, टाटा टी, टाटा केमिकल्स, टाटा होटल्स और टाटा टेली सर्विसेज के क्षेत्र में कारोबार किया जा रहा था।
टाटा ग्रुप की सभी कम्पनियाँ (Names of Tata Group All Companies)
रतन टाटा की कम्पनियों के नाम (Ratan Tata all company name) –
- Tata Consultancy Services
- Tata Steel
- Tata Motors
- Titan Company
- Tata Chemicals
- Tata Power
- Indian Hotels Company Limited (IHCL)
- Tata Consumer Products
- Tata Communications
- Voltas
- Trent Limited
- Tata Steel Long Products Limited
- Tata Investment Corporations Limited
- Tata Metaliks
- Tata Elxsi
- Nelco
- Tata Coffee
FAQs
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था। उनके पिता का नाम नवल टाटा था। टाटा ग्रुप के फाउंडर जमशेदजी टाटा के पुत्र रतनजी टाटा ने रतन को गोद लिया था। रतन टाटा की नानी तथा जमशेदजी टाटा की पत्नी हीराबाई दोनों बहने थी।
जब रतन टाटा मात्र 10 वर्ष के थे तब उनके पिता नवल व माता सोनू एक दूसरे से अलग हो गए। जिसके बाद उनका पालन पोषण सर रतन जी टाटा की विधवा पत्नी नेवज बाई टाटा के द्वारा किया गया जिन्होंने रतन को गोद ले लिया था।
नहीं, रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की। वे जब लॉस एंजेल्स में थे तब वहां पर उन्होंने एक लड़की से प्रेम किया। टाटा के परिवार में कोई सदस्य बीमार हो गया था तब उन्हें भारत आना था। परंतु, उस लड़की के माता-पिता ने उसे टाटा के साथ आने से मना कर दिया।
इसके बाद रतन टाटा भारत आ गए और पीछे से उस लड़की की शादी हो गई। रतन ने उस लड़की को वचन दिया था कि वे केवल उसी से शादी करेंगे। उन्होंने उस वचन को निभाया और जिंदगी में कभी शादी नहीं की।
28 दिसम्बर 1937 को, मुम्बई, महाराष्ट्र में।
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