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वालीबॉल खेल के नियम (Volleyball Game Rules)
वालीबॉल खेल के नियम- वॉलीबाल (volleyball) डब्ल्यू० डी० मोर्गन द्वारा वॉलीबाल खेल का प्रारम्भ सन् 1895 ई० में अमेरिका में किया गया था। तदुपरान्त खेल में अनेक परिवर्तन हुए और आज यह खेल अन्तर्राष्ट्रीय खेल है। इसे सर्वप्रथम ओलम्पिक खेलों में 1964 ई० में सम्मिलित किया गया। यह प्रत्येक मौसम में आसानी से खेला जा सकता है। यह दो दलों के बीच खेला जाता है। प्रत्येक दल में सदस्यों की संख्या 6 होती है। यह खेल 15 अंक बनाने तक खेला जाता है। यदि दोनों टीमों के 14-14 अंक बन जाते हैं तो जो टीम लगातार दो अंक बनाती है वही विजयी घोषित की जाती है। इस खेल में रोटेशन पद्धति को अपनाया जाता है। मैदान की लम्बाई 18 मीटर तथा चौड़ाई 9 मीटर होती है। लम्बाई में 9 मीटर की दूरी पर अर्थात् लम्बी रेखा के मध्य नेट बाँधा जाता है। नेट की ऊँचाई फर्श या जमीन से 8 फीट होती है। बॉल की परिधि 65 से 67 सेमी होती है तथा बॉल का वजन 260 से 280 ग्राम तक होता है। वॉलीबाल मैदान का चित्र निम्नांकित है-
महत्त्वपूर्ण शब्द
सर्विस, ब्लॉक, स्टेशन, स्मैश, स्पिकर, अण्डर हैण्ड, टेनिस सर्विस, अटैक एरिया आदि वॉलीबाल खेल में महत्त्वपूर्ण शब्द प्रयोग होते हैं।
वालीबॉल खेल के नियम
(1) टॉस जीतने के बाद टॉस जीतने वाली टीम सर्विस या कोर्ट का चयन करता है। सर्विस करने वाली टीम अपनी पीछे वाली लाइन के दाहिने खिलाड़ी से सर्विस कराकर खेल शुरू करती है। सर्विस करने वाला खिलाड़ी खुले या मुट्ठी बँधे हाथ से गेंद को इस प्रकार मारता है कि वह जाल के ऊपर से होती हुई विपक्षी दल के अर्द्धक में पहुँच जाए। गेंद को उछालकर मारना ठीक है, हाथ में पकड़कर मारना निषिद्ध है। सर्विस की गेंद जाल को छुए बिना दूसरी ओर सीमा रेखाओं के बीच पहुँचती है, तो सर्विस ठीक मानी जाती है। यह सर्विस उस समय तक जारी रहेगी जब तक उसके पक्ष का कोई खिलाड़ी त्रुटि नहीं करता।
(2) गेंद के जाल को स्पर्श करने, जाल के नीचे से निकलने, फीते को छूने तथा अर्द्धक से परे जा गिरने पर त्रुटि मानी जायेगी तथा सर्विस बदलने के लिए सीटी बजायी जायेगी। इस प्रकार सर्विस बदल जायेगी।
(3)यदि सर्वर गेंद को हवा में उछाले तथा उस पर प्रहार न कर पाये तथा गेंद गिरती हुई सर्वर शरीर के किसी अंग को छू जाए तो यह सर्विस में त्रुटि मानी जायेगी और गेंद विपक्षी दल को दे दी जायेगी।
(4) खिलाड़ी क्षेत्र के बाहर से सर्विस करें, गेंद को फेंकें, दोनों हाथों से सर्विस करें, गलत खिलाड़ी सर्विस करे तथा प्रहार के बाद गेंद को छोड़े तो सर्विस में त्रुटि मानी जायेगी और गेंद विपक्षी दल को दे दी जायेगी।
(5) खेल के समय नेट को छूना भी निषिद्ध है।
(6) बॉल को एक तरफ केवल तीन बार खेला जायेगा। चौथे खिलाड़ी के छूने पर फाउल हो जायेगा। कोई भी खिलाड़ी बॉल को दो बार नहीं खेलेगा।
(7) खिलाड़ी द्वारा सेण्टर लाइन को पार करना फाउल कहलाता है।
(8) सर्विस करते समय खिलाड़ी गेंद को उछालकर नहीं मारे, अथवा सर्विस करते समय आखिरी लाइन को पार कर जाए तो वह सर्विस फाउल कहलाता है।
(9) सर्विस करने वाली टीम के सभी खिलाड़ी स्टेशन पर घूमते रहेंगे।
(10) सर्विस करने के बाद गेंद नेट पार विपक्षी के कोर्ट के अन्दर गिरे अथवा विपक्षी टीम उसे ढंग से न खेल पाये तो सर्विस करने वाली टीम को एक अंक मिलेगा। यदि सर्विस करने पर गेंद नेट पार न कर सके अथवा कोर्ट के बाहर जा गिरे अथवा विपक्षी द्वारा खेली गई गेंद सर्विस करने वाले दल की ओर ही आकर गिर जाए तो सर्विस बदलकर दूसरी टीम को दे दी जायेगी, और वह टीम उक्त प्रकार ही सर्विस करेगी। इस प्रकार खेल उस समय तक चलता रहेगा जब तक कि कोई भी एक टीम 15 अंक नहीं बना लेती।
(11) जब एक दल अंक बनाकर 2 अंकों से दूसरे दल से आगे रहता है तो वह विजयी घोषित कर दिया जायेगा। जब फलांक 14-14 हो तो निम्नलिखित फलांक तक खेल जारी रहेगा-
16-14,. 17-15, 18-16 तथा 19-17 आदि। अधिक फलांक वाला दल विजयी घोषित होगा। वॉलीबाल सम्बन्धित टूर्नामेंट निम्नलिखित प्रकार के हैं-
(1) नेशनल वॉलीबाल चैम्पियनशिप
(2) जे० आर० नेशनल चैम्पियनशिप
(3) फैडरेशन कप
(4) वर्ल्डकप
(5) एशियन कप।
प्रमुख खिलाड़ी
भारत– जे० एस० बावा, बलवन्त सिंह, शियोराज सिंह, जगदीश सिंह, टी० गोपालन, कुलदीप चोपड़ा, सत्यप्रकाश, महेन्द्र सिंह, दलेल सिंह, सुखपाल सिंह, अमीर सिंह, पी० वी० रमन आदि ।
रूस– अलैक्जेण्डर, पिननोव आदि
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