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कूदने वाली प्रतियोगिताएँ क्या है ?
कूदने वाली प्रतियोगिताएँ इन प्रतियोगिताओं में लम्बी कूद, ऊँची कूद, त्रिकूद तथा बाँस कूद प्रमुख हैं। ऊँची कूद के लिए क्रमानुसार 3.66 मी० की दूरी पर लकड़ी अथवा धातु के 3.98 मी० से लेकर 4.02 मी० लम्बे खम्बे अथवा छड़ें समतल भूमि पर लगाई जाती हैं। इन पर काला तथा सफेद रंग होता है। लम्बी कूद के लिए अवतरण क्षेत्र 27.5 मी० चौड़ा और कूद प्रारम्भ बिन्दु से अन्तिम छोर की दूरी कम-से-कम 10 मी० निर्धारित होती है। त्रिकूद में अवतरण क्षेत्र से पटल की दूरी वरिष्ठ वर्ग के लिए 13 मी० तथा कनिष्ठ वर्ग के लिए 11 मी० निर्धारित होती है। बाँस कूद में प्रतियोगी किसी भी प्रकार के मजबूत एवं सख्त खम्बे प्रयुक्त करते हैं। किन्तु खम्बों के बीच की दूरी 4.30 से 4.37 मी० कम नहीं होनी चाहिए।
कूदने वाली प्रतियोगिताओं के साधारण नियम
कूदने वाली प्रतियोगिताओं के साधारण नियम निम्नलिखित हैं-
- छलाँग लगाने वाले के हाथों में कोई भार नहीं होना चाहिये।
- प्रतियोगिता से पूर्व यह बता दिया जाए कि ऊँचाई कैसे बढ़ाई जाती है।
- सभी जम्पों में अच्छे प्रदर्शन वाला सबसे उत्तम माना जाएगा।
- टेक ऑफ ग्राउण्ड एक स्तर में हो।
- तीन बार असफल होने पर चौथा अवसर नहीं मिलेगा।
- रिकॉर्ड टूटने की दशा में निर्णायकों को समय और दूरी की जाँच अच्छी तरह करनी चाहिए।
एथलेटिक्स में कुदानें चार प्रकार की होती हैं-
(1) लम्बी कूद, (2) ऊँची कूद, (3) त्रिकूद, (4) उछल-कदम कूद, (5) बाँस कूद।
(1) लम्बी कूद (long jump)
इस कूद की तकनीक को चार भागों में बाँटा गया है-
- दौड़ रास्ता
- उछाल
- उड़ान
- जमीन पर आना।
इस कूद के लिये दौड़-पथ की लम्बाई 40 मीटर से कम नहीं होनी चाहिये। दौड़-पथ की चौड़ाई 1.22 मीटर होती है। इस पथ पर खिलाड़ी दौड़ता हुआ आता है और उछाल बोर्ड पर बायाँ अथवा दायाँ पैर रखकर उछाल लेता है। इसके बाद हवा में पैरों को आगे की ओर चलाते हुए अवतरण स्थल पर गिरता है। गिरते समय यथा-सम्भव आगे गिरने का प्रयत्न करना चाहिये। गिरते समय अपने हाथों को भी आगे रखने का प्रयत्न करना चाहिये। इस कुदान की दूरी उछाल बोर्ड से गिरने के स्थान तक मापी जाती है। प्रत्येक खिलाड़ी को तीन अवसर दिये जाते हैं।
(2) ऊँची कूद (high jump)
इस कूद की तकनीक भी चार भागों में पूर्ण होती है-
- दौड़
- उछाल
- छड़ पार करना
- जमीन पर आना।
इस दौड़ के लिए दौड़-पथ की लम्बाई निश्चित नहीं होती है। कम-से-कम 15 मीटर का दौड़-पथ होना चाहिये। यह दौड़-पथ खिलाड़ी की सुविधानुसार सीधा अथवा तिरछा हो सकता है। निश्चित दूरी से दौड़कर खिलाड़ी छड़ के नजदीक पहुँचकर एक पैर पर उछाल लेता है तथा छड़ को पार कर दूसरी और जमीन पर गिरता है। छड़ पार करने के कई तरीके होते हैं। इसमें कैंची शैली, स्ट्रैडल शैली प्रमुख हैं। खिलाड़ी कितनी अधिक ऊँचाई वाली छड़ को पार करता है, यह उसके उछाल एवं छड़ पार करने की शैली पर निर्भर करता है। प्रत्येक ऊँचाई पर प्रत्येक खिलाड़ी को तीन अवसर प्रदान किये जाते हैं।
(3) त्रिकूद (Triple jump)
इसमें तीन प्रकार की क्रियाएँ होती हैं। सबसे पहले दूर से दौड़कर आते हैं, टेक ऑफ बोर्ड पर बायाँ पैर रखकर पूरी ताकत से टेक ऑफ लेंगे और अधिकतम दूरी पर उसी पैर को (अर्थात् बायें पैर को) जमीन पर टिकायेंगे। इसे उछल (Hop) कहते हैं, फिर बायें पैर से उछाल लेकर अधिकतम दूरी पर दाहिने पैर को जमीन पर टिकायेंगे, इसे कदम (Step) कहते हैं। उसके बाद लम्बी कूद के समान दाहिने पैर से पूरी शक्ति के साथ उछाल लेकर ‘पिट’ (Pit) में ‘लैण्ड‘ करेंगे। ‘लैण्ड’ करते समय ‘पिट’ में दोनों पैर टिकाने का प्रयत्न करना चाहिये। यह क्रिया दाहिने पैर से प्रारम्भ करके भी की जा सकती है।
इस कूद का प्रारम्भ एवं अन्त लम्बी कूद के समान होता है। इस कूद के अभ्यास के लिये कदम ताल का अभ्यास धीरे-धीरे प्रारम्भ करते हुए अधिकतम ऊँचाई तक जाने एवं आगे की तरफ बढ़ते हुए करना चाहिए। इसके पश्चात् एक पैर पर उछाल लेने का अभ्यास करना चाहिए, फिर इस क्रिया का दौड़कर अभ्यास करना चाहिए। अभ्यास में उछाल लेते समय शरीर सन्तुलन पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
त्रिकूद के नियम-
- प्रत्येक प्रतियोगी की उसकी श्रेष्ठ कुदानों का श्रेय दिया जायेगा।
- आठ से अधिक प्रतियोगी होने पर प्रत्येक प्रतियोगी को तीन प्रयत्न (Chances) दिये जायेंगे तथा इनमें से श्रेष्ठतम कुदान वाले आठ प्रतियोगियों को तीन अतिरिक्त प्रयत्न (Chances) दिये जायेंगे। आठ से कम प्रतियोगी होने पर सबको छ: प्रयत्न दिये जायेंगे।
- टेक ऑफ लेते समय यदि धावक का पैर बोर्ड के आगे अथवा साइड में पड़ता है, तो प्रतियोगी असफल माना जायेगा।
- पिट में लैण्ड करने के बाद यदि प्रतियोगी पीछे की ओर लौटकर आता है तो वह असफल माना जायेगा। प्रतियोगी को चाहिए कि वह लैण्ड करने के पश्चात् आगे बढ़ते हुए ‘पिट’ से बाहर आये।
- सभी कुदाने टेक ऑफ बोर्ड से लैण्ड करने के समीपतम निशान तक मापी जाती हैं।
दौड़-पथ एवं बोर्ड–
दौड़-पथ की लम्बाई न्यूनतम 40 मीटर एवं चौड़ाई 1.22 मीटर होती है। टेक ऑफ बोर्ड से पिट की न्यूनतम दूरी 13 मीटर होती है। टेक ऑफ बोर्ड 1.22 मीटर लम्बा, 20 सेमी चौड़ा और अधिकतम 10 सेमी मोटा होता है।
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