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डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) क्या है?

किशोरावस्था में मानसिक विकास | mental development in adolescence
किशोरावस्था में मानसिक विकास | mental development in adolescence

डॉस आपरेटिंग सिस्टम पर प्रकाश डालिए।

डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) कम्प्यूटर के इतिहास में सबसे पहले डेस्कटॉप कंप्यूटर में प्रयोग किया गया ऑपरेटिंग सिस्टम है। यह आई.बी.एम. द्वारा बनाये गये प्रथम पर्सनल कम्प्यूटर में प्रयोग किया गया था। इसे माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी द्वारा बनाया गया था। इसीलिए इसे एम.एस. डॉस भी कहते हैं। यह सबसे अधिक माइक्रो कम्प्यूटर में प्रयुक्त होता है। इसके विकास में बिल गेट्स का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। इन्होंने अपनी कम्पनी माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन का गठन किया गया। जिसने 1981 अगस्त में MS-DOS 1.0 संस्करण विकसित किया। इसके बाद इसके संस्करणों में वृद्धि होती गई। आजकल एम०एस० डॉस का 6.2 संस्करण प्रचलित है जो साफ्टवेयर सिस्टम में प्रयोग किए जाते हैं वह उनके अनुसार कम्प्यूटर के सभी भागों तथा उनके कार्यों का नियन्त्रित करता है।

डॉस के विषय में जानने से पहले फाइल या डायरेक्टरी के विषय में जानना आवश्यक है।

ऑपरेटिंग सिस्टम लोड करना- डॉस को स्थायी रूप से हार्ड डिस्क या फ्लॉपी डिस्क पर लोड किया जा सकता है। डॉस जिस फ्लॉपी डिस्क में स्टोर होता है उसे सिस्टम या बूटेबिल फ्लॉपी कहते हैं।

डॉस फाइल सिस्टम- डॉस प्रोग्रामो का समूह है जो फाइलों में स्टोर होते हैं। प्रोग्राम शब्द का अर्थ निर्देशों को क्रम में रखना है, जो कि किसी काम को करने के लिए कम्प्यूटर को दिए जाते हैं। जब एम०एस० डॉस मैमोरी में लोड होता है तो इसमें तीन फाइलें पायी जाती हैं-

(i) IO. SYS (ii) MSDOS. SYS (iii) COMMAND.COM

IOSYS और MS DOS. SYS सिस्टम में छिपी हुई फाइल है। IO. SYS सिस्टम में होने वाले सभी इनपुट और आउटपुट ऑपरेशन को नियंत्रित करती है। MSDOS. SYS फाइल अन्य सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन की देखभाल करती है। Command.Com फाइलों की सूची में प्रदर्शित होती है। यह डॉस के सभी प्रोग्राम व निर्देश रखती है।

बूटिंग- तीनों फाइलें जो ऊपर समझाई गयी हैं; फ्लॉपी या हार्ड डिस्क के प्रथम सेक्टर में स्थित होती हैं। जब कम्प्यूटर को स्विच ऑन किया जाता है तो यह डॉस सॉफ्टवेयर को ढूँढ़कर मैमोरी में लोड करता है। डॉस को ढूँढ़ना फिर मैमोरी में लोड करना बूटिंग कहलाता है।

बूट-अप होने के बाद ही कम्प्यूटर हमारे द्वारा दिए कमाण्ड्स को समझ पाता है। इसके बाद स्क्रीन पर C:\> दिखाई देता है। जिसे हम C प्राम्प्ट कहते हैं। किसी भी कमाण्ड को चलाने के लिए यहीं पर कमाण्ड टाइप करते है। इसे रूट डायरेक्टरी भी कहते हैं। रूट डायरेक्टरी सभी डायरेक्टरी से ऊपर होती है तथा सभी डायरेक्टरी तथा फाइलें इसी में होती है।

  1. C (ड्राइव नेम)
  2. : कोलोन
  3. बैक स्लेस
  4. > प्रॉम्प्ट, ग्रेटर दैन (अधिक का चिन्ह)

यदि आपका सिस्टम व्यक्तिगत हार्डडिस्क पर आधारित है तो जब भी आप अपना कम्प्यूटर चलाएंगे तो बूटिंग के बाद उसमें C:\> दिखाई देगा।

डॉस कमाण्ड – डॉस में दो प्रकार के कमाण्ड्स होते हैं-

  1. आन्तरिक कमाण्ड
  2. बाहरी कमाण्ड

आंतरिक कमाण्ड – बूटिंग के समय सभी आंतरिक कमाण्ड फाइल में उपलब्ध होते हैं। ये कमाण्ड मैमोरी में लोड रहते हैं। कुछ आंतरिक निर्देश है- PROMPT, DIR, CLS, DATE, COPY, PATH, TYPE, MD, CD आदि ।

बाहरी कमाण्ड – डॉस की कुछ कमाण्ड्स इस प्रकार की होती हैं कि उनसे सम्बन्धित फाइल को कम्प्यूटर की विशेष डायरेक्ट्री में होना आवश्यक होता है। इस प्रकार की कमाण्ड्स को बाहरी कमाण्ड्स कहते हैं। जैसे- FORMAT, TREE, EDIT, SCANDISK, MOVE, RECOVER आदि।

फाइल एवं डायरेक्ट्री – कम्प्यूटर में सूचनाएं फाइल के रूप में संग्रहीत होती हैं। ये सभी फाइलें डायरेक्ट्री कहलाती हैं।

फाइलनेम निर्धारित करने के नियम

(1). MS-DOS में भी फाइल के नाम के दो भाग होते हैं-

  • (अ) प्राइमरी फाइलनेम
  • (ब) द्वितीय या विस्तारक

(अ) प्राइमरी फाइलनेम- यह अधिकतम 8 करेक्टर का हो सकता है। इसमें हम वर्णमाला के अक्षर, अंक का प्रयोग करते हैं। जैसे ABHI, RAM आदि। लेकिन ABHILASHA गलत है, क्योंकि इसमें 9 करेक्टर हैं। ध्यान रखें स्पेस को भी 1 करेक्टर गिनते हैं।

(ब) द्वितीय या विस्तारक – यह भाग किसी व्यक्ति के उपनाम के समान होता है। यह अधिकतम 3 करेक्टर का होता है। यह फाइलनेम की प्रकृति, प्रकार या विशेषता को व्यक्त करता है।

(2). फाइलनेम में विशेष चिन्ह का प्रयोग नहीं किया जा सकता है। जैसे-, *,@,, [ ], {}, ? आदि के प्रयोग की अनुमति नहीं है।

(3). प्राइमरी फाइलनेम और विस्तारक के मध्य डॉट (.) का प्रयोग करते हैं। जैसे- STUDENT. TXT

(4). दो या दो से अधिक फाइलों के फाइलनेम समान नहीं हो सकते है।

(5). ऐसे फाइलनेम नहीं दिये जा सकते हैं जिनके अर्थ MS-DOS में विशेष अर्थ रखते हो।

बैच फाइल – बैच फाइल एक टैक्स्ट फाइल है जिसमें DOS के सभी निर्देशों की श्रृंखला होती है। बैच फाइल COPY CON कमाण्ड की सहायता से बनाई जा सकती है। इस फाइल का विस्तार नाम Bat. है।

डायरेक्ट्री के कमाण्ड (DIR) – इस कमाण्ड का प्रयोग डायरेक्टरी के अन्तर्गत फाइलों को दिखाने में होता है।

Syntax : C:\DIR<Enter Key

जब DIR टाइप किया जाता है, यह क्रियाशील डायरेक्टरी के अन्तर्गत फाइलों और उप-डायरेक्टरी को दिखाता है। DIR ड्राइव के वाल्यूम लेबल और वॉल्यूम सीरियल नम्बर को भी दिखाता है। मान लीजिए C ड्राइव पर School उप-डायरेक्टरी ही हमारी वर्तमान क्रियाशील डायरेक्टरी है, तब DIR कमाण्ड निम्नलिखित सूचनाओं को दिखायेगी। डायरेक्टरियों के नाम DIR के साथ प्रदर्शित होंगे, और डायरेक्टरी और पेरेन्ट डायरेक्टरी को निर्दिष्ट करेंगी।

फाइलों की सूचनाएं मॉनीटर पर पाँच कॉलमों में दिखाई जाती हैं-

पहले कॉलम में आखिरी बार फाइल में किये गये कार्य का दिनांक होता है।

दूसरे कॉलम में आखिरी बार, फाइल में किये गये कार्य का समय होता है।

तीसरे कॉलम में फाइल का प्रकार होता है

चौथे कॉलम में फाइल का आकार (फाइल के द्वारा ली गई बाइट की संख्या) होता है।

पाँचवें कॉलम में फाइल का नाम आता है।

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Anjali Yadav

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