राजनीति विज्ञान / Political Science

नवीन लोक प्रशासन की विशेषताएँ | Features of New Public Administration in Hindi

नवीन लोक प्रशासन की विशेषताएँ | Features of New Public Administration in Hindi
नवीन लोक प्रशासन की विशेषताएँ | Features of New Public Administration in Hindi

नवीन लोक प्रशासन की विशेषताओं या मान्यताओं की विवेचना कीजिए।

1970 के दशक में लोक प्रशासन की प्रकृति और क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन आया है, जो 1970 के पूर्व की लोक प्रशासन के प्रकृति और क्षेत्र से विपरीत मालूम पड़ता है। 1970 के बाद प्रकृति और क्षेत्र के संदर्भ में व्यापक परिवर्तित लोक प्रशासन को ही नवीन लोक प्रशासन कहा जाता है। स्पष्टतः नवीन लोक प्रशासन को लोक प्रशासन का ही अंग माना जा सकता है जो 1970 के दशक में परिवर्तित रूप में सामने आया है और स्पष्ट रूप में 1971 में इसे मान्यता भी प्राप्त हुई है। अन्त में, यहाँ उल्लेख कर देना आवश्यक है कि नवीन लोक प्रशासन के जनक ड्वाइट वाल्डो हैं।

नवीन लोक प्रशासन की विशेषताएँ

नवीन लोक प्रशासन की विशेषताओं या मान्यताओं को निम्न रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है-

1. द्विविभाजन के सिद्धान्त में विश्वास नहीं

नवीन लोक प्रशासन राजनीति तथा प्रशासन के बीच विभाजक रेखा नहीं खींचना चाहता है। यह तो राजनीति और प्रशासन के बीच समन्वय करता है, ताकि लोक प्रशासन को व्यावहारिक तथा उपयोगी बनाया जा सके। वुडरो विल्सन, एफ. जे. गुंडनाव तथा प्रो. एल.डी. हाइट ने राजनीति और प्रशासन को विभाजित कर द्विविभाजन के सिद्धान्त का समर्थन किया, उस मान्यता को फ्रैंक मेरिनी, वाल्डो तथा मोशेर जैसे नवीन लोक प्रशासन के समर्थक विद्वान स्वीकार नहीं करते हैं। स्पष्टतः नवीन लोक प्रशासन की यह मान्यता या विशेषता है कि उसे राजनीति तथा प्रशासन विभाजन अर्थात् द्विविभाजन के सिद्धान्त में विश्वास नहीं है।

2. मूल्यों एवं तथ्यों के बीच में समन्वय

नवीन लोक प्रशासन का मानना है कि लोक प्रशासन का विकास तभी हो सकता है, जब मूल्यों एवं तथ्यों के बीच में समन्वय हो । दूसरे शब्दों में, लोक प्रशासन को उपयोगी एवं प्रासंगिक बनाने के लिए मूल्यों एवं तथ्यों के बीच का समन्वय अनिवार्य है। यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि 1970 के पहले लोक प्रशासन के क्षेत्र में मूल्यों एवं तथ्यों के बीच समन्वय पर जोर नहीं दिया गया था। व्यवहारवादी उपागम के प्रभाव में तो लोक प्रशासन के अन्तर्गत मूल्य-निरपेक्षता की अवधारणा Concept of Value- free पर जोर दिया गया। हर्बर्ट ए. साइमन ने तो व्यापक रूप में लोक प्रशासन के अन्तर्गत मूल्य-निरपेक्षता का समर्थन किया है। नवीन लोक प्रशासन के समर्थक इस व्यावहारवादी मान्यता को स्वीकार नहीं करते हैं तथा मूल्यों एवं तथ्यों के बीच समन्वय सम्बन्धी मान्यता को स्वीकार करते हैं।

(3) सामाजिक परिवर्तन

नवीन लोक प्रशासन के द्वारा सामाजिक परिवर्तन पर बल दिया जाता है। 1970 के पूर्व का लोक प्रशासन जिसे परम्परागत लोक प्रशासन कहा जा सकता है के द्वारा नियमों के कठोर अनुपालन पर जोर दिया जाता था, जबकि नवीन लोक प्रशासन नियमों के कठोर अनुपालन पर जोर नहीं देता है, क्योंकि इसका लक्ष्य सामाजिक परिवर्तन को प्राप्त करना है।

(4) सामाजिक न्याय

नवीन लोक प्रशासन का लक्ष्य सामाजिक न्याय की अवधारणा को प्राप्त करना है। नवीन लोक प्रशासन सामाजिक न्याय के आधार पर ही सामाजिक परिवर्तन को कायम करना चाहता है तथा इसी के लिए कानून के प्रयोग में शिथिलता या लचीलापन का समर्थक है।

(5) ग्राहक केन्द्रित प्रकृति

नवीन लोक प्रशासन की प्रकृति ग्राहक केन्द्रित है, -जो परम्परागत लोक प्रशासन की अवधारणा से भिन्न है। नवीन लोक प्रशासन के द्वारा इन नियमों को निर्धारित एवं क्रियान्वित किया जाता है, उनके केन्द्र में जनहित होता है। इस प्रकार के प्रशासन द्वारा इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि प्रशासन के कार्यों से जनता यानी ग्राहक में क्या प्रतिक्रिया है। यदि जनता प्रशासन के कार्यों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को कायम रखती है तो प्रशासन अपने कार्यों में सक्रियता दिखाता है, ठीक इसके विपरीत यदि जनता का रुख नकारात्मक है तो प्रशासन अपने कार्यों में संशोधन या सुधार करता है। स्पष्टतः नवीन लोक प्रशासन की प्रकृति या विशेषता इसका ग्राहक केन्द्रीय होना है।

(6) बाजार-उन्मुख

नवीन लोक प्रशासन की प्रकृति बाजार उन्मुख है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि नवीन लोक प्रशासन निजी प्रशासन के संदर्भ में लोक प्रशासन के सिद्धान्तों को निर्धारित व क्रियान्वित करना चाहता है। दूसरे शब्दों में, नवीन लोक प्रशासन बाजार के संदर्भ में जनहित से सम्बन्धित नीतियों को निर्धारित एवं क्रियान्वित करता है। इसलिए इसे बाजार-उन्मुख कहा जाता है।

( 7 ) मानवीय दृष्टिकोण

नवीन लोक प्रशासन को मानवीय मूल्यों से व्यापक रूप में प्रभावित कहा जा सकता है, अर्थात् नवीन लोक प्रशासन का दृष्टिकोण मानवीय है। यह वैज्ञानिक प्रबन्ध के इस मान्यता को स्वीकार नहीं करता है कि मानव केवल आर्थिक मानव होता है, बल्कि यह मानव सम्बन्धवादी विचारकों के इस मान्यता को स्वीकार करता है कि प्रबन्ध या प्रशासन में मानवीय तत्त्वों की प्रधानता होनी चाहिए। स्पष्टतः नवीन लोक प्रशासन मनुष्य को समाज का अंग मानता है, न कि उत्पादन का यंत्र ।

(8) लोक चयन उपागम या लोक विकल्प उपागम

नवीन लोक प्रशासन विन्सेन्ट ऑस्ट्रोम Vincent Ostrom द्वारा प्रतिपादित लोक चयन उपागम की मान्यताओं को स्वीकार करता है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि नवीन लोक प्रशासन इस बात से सहमत है कि प्रशासन राज्य से अलग होकर भी अर्थात् गैर-सरकारी माध्यमों से लोकहित को पूरा कर सकता है। नवीन लोक प्रशासन लोक चयन उपागम के समान गैर-सरकारी संगठनों (N.G.O.) की भूमिका को स्वीकार करता है।

( 9 ) प्रभाव-उत्पादकता

 परम्परागत लोक प्रशासन के द्वारा मितव्ययिता पर अत्यधिक जोर दिया जाता था, जबकि नवीन लोक प्रशासन जनहित के कार्यों को व्यापक रूप में पूरा करने के लिए और जनता में अधिक से अधिक अपने प्रभाव को कायम करने के लिए मितव्ययता से आगे बढ़कर घाटे की बजट की अवधारणा को स्वीकार करता है। स्पष्टतः नवीन लोक प्रशासन प्रभाव – उत्पादकता के लिए अधिक से अधिक खर्च करने का हिमायती है।

(10) प्रगतिशील विज्ञान

नवीन लोक प्रशासन को एक प्रगतिशील विज्ञान की संज्ञा दी जा सकती है। इसे प्रगतिशील कहने का कारण यह है कि परम्परागत लोक प्रशासन से अलग हट कर प्रगतिशील मान्यताओं को स्वीकार करता है, यह मूल्यों और तथ्यों के बीच समन्वय करता है, यह राजनीति तथा प्रशासन के बीच परिस्थिति के अनुरूप समन्वय का समर्थक है, यह सामाजिक न्याय और सामाजिक परिवर्तन जैसे प्रगतिशील मूल्यों का समर्थन करता है। नवीन लोक प्रशासन को प्रगतिशील कहने का कारण यह भी है कि इसके द्वारा ग्राहक केन्द्रित, बाजार- उन्मुख, प्रभाव उन्मुख तथा प्रासंगिक प्रशासन पर बल दिया जाता है।

विवेचनोपरान्त स्पष्ट है कि नवीन लोक प्रशासन एक प्रगतिशील विज्ञान है, यह परम्परागत लोक प्रशासन से अलग है। यह लोक प्रशासन को व्यावहारिक एवं प्रासंगिक बनाना चाहता है, यह 1970 के दशक में अस्तित्व व प्रभाव में आया है।

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Anjali Yadav

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