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नेतृत्व का अर्थ एंव परिभाषा | Meaning and definition of leadership in Hindi

नेतृत्व का अर्थ एंव परिभाषा | Meaning and definition of leadership in Hindi
नेतृत्व का अर्थ एंव परिभाषा | Meaning and definition of leadership in Hindi

नेतृत्व का अर्थ स्पष्ट करते परिभाषित कीजिए।

लोक प्रशासन के अन्तर्गत ही नहीं, निजी प्रशासन के अन्तर्गत भी नेतृत्व की अवधारण को महत्वपूर्ण माना जाता है तथा यह संगठन या प्रबन्ध का आन्तरिक भाग है। एम. एफ. ड्रकर नेतृत्व को मानवीय लक्षण मानते हैं जो मानवीय नजर को ऊंचा उठाता है, मानवीय निष्पादन के प्रमाण को बढ़ाता है और मानवीय व्यक्तित्व को सामान्य सीमाओं से ऊपर उठाता है। किसी व्यक्ति के नेतृत्व की स्थिति केवल मानव से सम्बन्धित होती है, वस्तुओं से नहीं। कोई भी संगठन कितना भी सम्पूर्ण क्यों न हो अथवा कोई भी संगठन कितना भी सुसज्जित क्यों न किया हो, नेतृत्व को प्रतिस्थापित नहीं कर सकता है और न अधिशासियों को आवश्यक प्रेरणा ही दे सकता है। नेतृत्व की आवश्यकता उपक्रम को अंधेरे से उजाले में ले जाता है और पग-पग पर उठने वाली कठिनाइयों पर विजय पाते हुए उसे प्रगति के मार्ग पर ले जाता है। नेतृत्व से आशय किसी व्यक्ति विशेष के उस गुण से है जिसके द्वारा वह अन्य व्यक्तियों का मार्ग-प्रदर्शन करता है तथा नेता के रूप में उनकी क्रियाओं का संचालन करता है। एक नेता के पीछे उसके अनुयायियों का एक समूह होता है जो उसके निर्देशन के अनुरूप कार्य करता है। वास्तव में, नेतृत्व में वह क्षमता है जिसके द्वारा उसके अनुयायियों के एक समूह से वांछित कार्य स्वेच्छापूर्वक कराए जाते हैं। एक शक्तिशाली नेतृत्व अपने अनुयायियों को कार्य-निष्पादन में आवश्यक प्रोत्साहन देता है, न कि हाँकता है। अच्छा नेतृत्व अपने अनुयायियों को कार्य-निष्पादन में कुशलता एवं सुरक्षा प्रदान करता है।

लोक प्रशासन के कुछ विद्वानों का यह विचार है कि किसी व्यक्ति में नेतृत्व सम्बन्धी गुण जन्मजात होते हैं, प्राप्त नहीं किए जा सकते। दूसरे शब्दों में, “नेता जन्म लेते हैं, बनाए नहीं जा सकते।” इसके विपरीत, कुछ विद्वानों का यह भी कहना है कि नेतृत्व प्राप्त किया जा सकता है. अर्थात नेता बनाए जा सकते हैं। इस वाद-विवाद के सम्बन्ध में ऑर्डेवे टीड ने अपने विचार निम्न प्रकार से प्रकट किए हैं- “नेता जन्मते भी हैं और बनाए भी जाते हैं। जिन व्यक्तियों में नेतृत्व के गुण होते हैं, वे अवसर पाते ही इसका लाभ उठाते हैं और स्वतः ही प्रकाश में आते हैं….।” मूने तथा रेले के शब्दों में, “प्रक्रिया में प्रवेश करते समय अधिकारी वर्ग जो स्वरूप धारण करता है, उसे नेतृत्व कहते हैं।” बर्नार्ड के अनुसार, “नेतृत्व का आशय व्यक्ति के व्यवहार के उस गुण से हैं जिसके द्वारा वह अन्य लोगों को संगठित प्रयास से सम्बन्धित कार्य करने में मार्गदर्शन करता है।” इन परिभाषाओं को ध्यान में रखते हुए यह कहा जा सकता है कि “नेतृत्व विद्यमान परिस्थितियों में निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु एक व्यक्ति द्वारा अन्य व्यक्तियों अथवा उसके समूह की क्रियाओं को प्रभावित करने एवं उनका मार्गदर्शन करने की प्रक्रिया है।”

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Anjali Yadav

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