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मुख्य कार्यपालिका के कार्य
मुख्य कार्यपालिका के कार्य को दो भागों में विभाजित करके स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) राजनीतिक कार्य और (2) प्रशासनिक कार्य
राजनीतिक कार्यों के अन्तर्गत नीति निर्माण, उनमें संशोधन तथा अन्य राजनीतिक कार्यों से सम्बन्धित कार्यों को शामिल किया जाता है। जबकि प्रशासनिक कार्य के अन्तर्गत पोर्डकोर्ब की प्रक्रिया को रखा जा सकता है। सम्मिलित रूप में मुख्य कार्यपालिका के कार्य को निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत प्रस्तुत किया जा सकता है-
1. नीति निर्णय सम्बन्धी कार्य-
मुख्य कार्यपालिका का प्रमुख राजनीतिक कार्य है कि वह संगठन प्रमुख के रूप में राजनीतिक कार्यों को सम्पन्न करें। मुख्य कार्यपालिका के राजनीतिक कार्य के अन्तर्गत नीति निर्माण सम्बन्धी दायित्व सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं प्राथमिक है। संगठन को संचालित करने के लिए यह आवश्यक है कि उसमें नीतियों का निर्माण वैज्ञानिक आधार पर तथा परिस्थिति के संदर्भ में किया जाए। इस दायित्व का अन्तिम रूप में निर्वहन मुख्य कार्यपालिका के द्वारा ही किया जाता है। कहना न होगा कि नीतियों का निर्माण उनके क्रियान्वयन से अधिक महत्वपूर्ण है। नीति निर्माण के साथ उनमें संशोधन भी महत्वपूर्ण होता है, जिसका दायित्व मुख्य कार्यपालिका पर ही होता है।
2. लोक सम्पर्क-
प्रशासन में लोक सम्पर्क की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि लोक सम्पर्क के माध्यम से ही प्रशासन जन आवश्यकताओं या इच्छाओं से अवगत होता है तथा जनता भी प्रशासन के उद्देश्यों एवं कार्य प्रणालियों से अवगत होती है। प्रशसन और जनता के बीच बेहतर सम्बन्ध कायम हो या प्रभावी लोक सम्पर्क स्थापित हो, इसके लिए जरूरी है कि संगठन प्रमुख यानी मुख्य कार्यपालिका महत्वपूर्ण रूप से कार्यों को सम्पन्न करे। स्पष्टतः लोक सम्पर्क को प्रभावी बनाने में मुख्य कार्यपालिका की भूमिका या दायित्व अति महत्वपूर्ण है।
3. नियोजन करना-
मुख्य कार्यपालिका की भूमिका या कार्य के अन्तर्गत नियोजन की प्रक्रिया को सम्पन्न करना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। वस्तुतः नियोजन प्रक्रिया की अन्तिम जवाबदेही मुख्य कार्यपालिका की ही होती है।
4. संगठन निर्माण-
मुख्य कार्यपालिका का कार्य न सिर्फ नियोजन सम्बन्धी कार्यों को करना है, बल्कि इसके साथ-साथ संगठन के निर्माण से सम्बन्धित कार्यों को सम्पन्न करना होता है। मुख्य कार्यपालिका ही संगठन निर्माण के समय इस बात पर विचार करती है कि संगठन को प्रशासन के किन सिद्धान्तों पर आधारित किया जाए? प्रशासन के सिद्धान्तों में पदसोपान, केन्द्रीकरण और विकेन्द्रीकरण तथा नियंत्रण के क्षेत्र एवं आदेश की एकता के सम्बन्ध में उचित निर्णय लेना मुख्य कार्यपालिका का ही कार्य है।
5. कर्मचारियों की नियुक्ति-
मुख्य कार्यपालिका का एक महत्वपूर्ण कार्य संगठन में आवश्यकता एवं योग्यता को ध्यान में रखते हुए कार्मिकों को नियुक्त करना भी है। यह उल्लेखनीय है कि अन्य कार्यों के समान इस कार्य को भी मुख्य कार्यपालिका किसी व्यक्ति या संगठन के माध्यम से सम्पन्न करता है।
6. निर्देशन-
मुख्य कार्यपालिका का एक कार्य संगठन प्रमुख के रूप में संगठन से सम्बद्ध पदाधिकारियों और संगठनों को निर्देशित करना होता है। जैसा कि हम जानते हैं कि संगठन की सफलता या असफलता में निर्देशन की भूमिका अति-महत्वपूर्ण होती है।
7. समन्वय करना-
संगठन में समन्वय एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया तथा सिद्धान्त है, जिसका प्रयोग कार्यों के सम्पादन में, नवीन संशोधन या आविष्कार से अवगत कराने में, प्रशासनिक कार्यों को सम्पन्न करने के संदर्भ में, उत्पन्न गतिरोध को दूर करने में भी होता है। समन्वय जैसे बहुआयामी प्रक्रिया या सिद्धान्त को मुख्य कार्यपालिका के नेतृत्व में ही प्रभावकारी बनाया जाता है।
8. प्रतिवेदन –
मुख्य कार्यपालिका का एक कार्य प्रतिवेदनों को अन्तिम रूप में निष्पादित करना होता है। किसी भी संगठन की अन्तिम रिपोर्ट संगठन प्रमुख के पास पहुँचती है। लोक प्रशासन में मुख्य कार्यपालिका के द्वारा ही प्रशासन से सम्बन्धित अन्तिम रूप में प्रतिवेदनों का निष्पादन होता है।
9. बजट –
संसदीय देशों में बजट सम्बन्धी कार्यों के निष्पादन में भी मुख्य कार्यपालिका की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। चूँकि संसदीय देशों में विधायिका और कार्यपालिका के बीच संयोग होता है, इसीलिए मुख्य कार्यपालिका ही बजट सम्बन्धी कार्यों का अन्तिम निष्पादक होता है।
मुख्य कार्यपालिका के कार्यों के विवेचन से स्पष्ट है कि संगठन में उसकी भूमिका अतिमहत्वपूर्ण होती है। वह न केवल राजनीतिक कार्यों को सम्पन्न करता है, बल्कि उसके द्वारा प्रशासनिक कार्यों को भी सम्पन्न किया जाता है। संगठन के अन्तर्गत सभी प्रकार के कार्यों की अन्तिम जवाबदेही मुख्य कार्यपालिका की ही होती है। वस्तुतः मुख्य कार्यपालिका के नेतृत्व में संगठन सफलता को प्राप्त करता है। दूसरे शब्दों में- लोक प्रशासनों का दारोमदार मुख्य कार्यपालिका पर ही होता है।
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