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बाह्य मूल्यांकन (External Evaluation) : अर्थ, मूल्यांकन चक्र, लाभ एंव सीमाएँ

बाह्य मूल्यांकन (External Evaluation) : अर्थ, मूल्यांकन चक्र, लाभ एंव सीमाएँ
बाह्य मूल्यांकन (External Evaluation) : अर्थ, मूल्यांकन चक्र, लाभ एंव सीमाएँ

 बाह्य मूल्यांकन (External Evaluation)

बाह्य मूल्यांकन एक बाहरी सलाहकार या विशेषज्ञों द्वारा किया जाने वाला मूल्यांकन है। इस प्रकार के मूल्यांकन में संस्थान के बाहर के विशेषज्ञों का सहयोग एवं सहायता छात्रों की विभिन्न शैक्षिक एवं बाह्रय गतिविधियों के मूल्यांकन में लिया जाता है। कई बार इस तरह के मूल्यांकन में सम्पूर्ण सदस्य बाहर के होते है या कुछ सदस्य बाहर के तथा कुछ सदस्य संस्थान के होते हैं, जिससे छात्रों के बारे में जानकारी प्राप्त करने में सदस्यों को किसी प्रकार से समस्या न हो तथा छात्रों का मूल्यांकन भी ठीक प्रकार से हो सके।

बाह्य मूल्यांकन-मूल्यांकन चक्र (External Evaluation – Evaluation Cycle)

बाह्य मूल्यांकन की प्रक्रिया को समझने के लिए हम एक चार्ट का अध्ययन करेंगे जो निम्नवत् है-

  • प्रारम्भिक बातचीत (Preliminary Talk)
  • स्कूल पोर्टफोलियो (School Portfolio)
  • दस्तावेजों का विश्लेषण (Document Analysis)
  • भ्रमण की योजना (Planning of the Visit)
  • आंकड़ों का संग्रहण (Data Collection)
  • आंकड़ों की व्याख्या (Interpretation of Data)
  • परिणाम का प्रस्तुतीकरण (Presentation of Results)
  • रिपोर्ट (Report)

वाह्य मूल्यांकन के लाभ (Benefits of External Evaluation)

बाह्य मूल्यांकन के लाभ निम्नलिखित हैं-

1) बाह्य मूल्यांकन में पक्षपात की सम्भावना न के बराबर होती है।

2) बाह्य मूल्यांकन में वस्तुनिष्ठता (Objectivity) होती है।

3) बाह्य मूल्यांकन में मानदण्डों का विशेष ध्यान रखा जाता है।

4) बाह्य मूल्यांकन में छात्र की वास्तविक स्थिति का पता चलता है।

5) बाह्य मूल्यांकन की विश्वसनीयता अधिक होती है।

बाह्य मूल्यांकन की सीमाएँ (Limitations of External Evaluation)

बाह्य मूल्यांकन की अपनी कुछ सीमाएँ भी होती है जो निम्नलिखित हैं-

1) वाह्य मूल्यांकन में लागत अधिक आती है।

2) वाह्य मूल्यांकन में आंकड़ों को एकत्र करना जटिल होता है।

3) अच्छे विशेषज्ञों के अनुभवों से लाभ उठा पाने में समस्या।

4) संस्थान के सदस्यों एवं बाहृय मूल्यांकनकर्ता के मध्य सहयोग एवं समन्वय में समस्याएँ।

5) वाह्य मूल्यांकन में लोचशीलता का अभाव ।

उपर्युक्त विभिन्न तथ्यों के विश्लेषण से स्पष्ट है कि आन्तरिक एवं बाह्रय मूल्यांकन की अपनी कुछ अच्छाईयाँ एवं सीमाएँ हैं। यदि इन दोनों की अच्छाईयों को अपना लिया जाए तो छात्रों एवं संस्थाओं का मूल्यांकन ठीक प्रकार से हो सकता है। इसके साथ ही उनकी कमियाँ सामने आ जाने से उन्हें दूर करने में सरलता होगी तथा कोई भी शिक्षक उन्हें अनुदेश प्रदान कर सकता है।

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About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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