समुदाय शिक्षा का सक्रिय एवं अनौपचारिक साधन है। आप स्कूल को समुदाय का केन्द्र बनाने के लिए क्या सुझाव देंगे ?
समुदाय से तात्पर्य व्यक्तियों के उस समूह से है, जो एक स्थान पर समान उद्देश्यों की पूर्ति के लिए रहता है। समुदाय शब्द अंग्रेजी के कम्युनिटी (Community) का रूपान्तर है। इसका अर्थ है-पारस्परिक सहयोग। ठीक भी है-जब व्यक्तियों का समूह किसी स्थान विशेष पर रहता है तो उसके सहयोग के बिना सार्वजनिक जीवन चल नहीं सकता।
मानव जीवन में स्थान तथा स्थानीयपन का बहुत महत्व रहा है। यह स्थानीयपन समुदाय के रूप में प्रकट होता है। यों तो समुदाय को हम राज्य, राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय रूप में ले जाते हैं, परन्तु हमारा आशय शिक्षा में केवल स्थान विशेष छोटे या बड़े समूह से है।
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समुदाय की परिभाषा
1. जिसबर्ग (Ginsberg)- समुदाय से हमारा तात्पर्य सामान्य जीवन व्यतीत करने वाले मनुष्य से है। इसमें सब प्रकार के असीमित, विभिन्न तथा जटिल सम्बन्ध होते हैं। ये सामान्य जीवन परिणाम होते हैं या उनके, जो उनका निर्माण करते हैं।
By community is to be understood a group of social beings living a common life including all the infinite variety a complexity of relations which result from common life or constitute it.
2. मैकाइवर (Mclver) – जब भी कभी छोटे या बड़े समूह के सदस्य एक साथ रहते हैं, वे किसी विशेष स्वार्थ की पूर्ति नहीं करते, ये केवल सामान्य जीवन की दशाओं में ही रहते हैं, उसे हम समुदाय कहते हैं। Whenever the members of any group, small or large, live together in such a way that they share, not this or that particular interest but the basic conditions of a common life, we call the group a community.
3. कोल- समुदाय से मेरा तात्पर्य एक संघन सामाजिक जीवन से है, ऐसी सघनता जिसमें मानव समान स्थितियों में रहते हैं तथा सामाजिक सम्बन्धों की स्थितियों में रहते हैं, परिवर्तनशील परम्पराओं, रीति-रिवाज, प्रथाओं से बँधे रहते हैं और किसी सीमा तक वे सामाजिक उद्देश्यों तथा स्वार्थों के प्रति चैतन्य रहते हैं।
4. बोगार्डस (Bogardus)- समुदाय एक ऐसा सामाजिक समूह है, जिसमें कुछ मात्रा में ‘हम’ की भावना होती है और वह एक क्षेत्र विशेष में रहता है।
A community is a social group with some degree of ‘we’ feeling and living in a given area. –
समुदाय और शिक्षा
परिवार के पश्चात् समुदाय में बालक की शिक्षा होती है। समुदाय में बालक को अपने मित्रों के मध्य रहना पड़ता है। वे मित्र उसके लिए समाज का निर्माण करते हैं और जिस प्रकार का उसका समाज होगा, वैसी ही आदतें तथा व्यवहार बालक में हो जायेंगे। विलियम यीगर के अनुसार- “मनुष्य स्वभाव से सामाजिक प्राणी है, इसलिए उसने वर्षों से सीख लिया है कि व्यक्तित्व और सामूहिक क्रियाओं का विकास समुदाय द्वारा ही सर्वोत्तम रूप में किया जा सकता है।
समुदाय, बालक को इस प्रकार शिक्षा देता है –
1. सामाजिक वातावरण का निर्माण करके-समुदाय एक स्थानीय समूह होता है, वह स्थानीय वातावरण का निर्माण करता है। यह वातावरण यदि सांस्कृतिक एवं सौम्य है तो वैसा ही प्रभाव बालक के सामाजिक-सांस्कृतिक विकास पर पड़ेगा। समुदाय वस्तुत: अपने अन्तवासियों के चरित्र-भावना, संवेगों का पूरा-पूरा प्रतिनिधित्व करता है। अत: इन्हीं भावनाओं, संवेगों एवं चरित्र का आरोपण बालकों पर भी उसी प्रकार का होता है, जैसे-समाज के अन्य सदस्यों पर। वातावरण निर्माण की प्रतिक्रिया उसकी विशेषता होती है।
2. सांस्कृतिक वातावरण का निर्माण करके-समुदाय में आचार-विचार, व्यवहार की अभिव्यक्ति समय-समय पर आयोजित उत्सवों तथा समारोहों से होती है। इन उत्सवों में समुदाय की आन्तरिक भावनाओं की अभिव्यक्ति हुआ करती है। अभिव्यक्ति का यह ढंग ही उस सांस्कृतिक वातावरण की रचना करती है, जिसमें बालक सहज रूप से कार्य करता है। सांस्कृतिक वातावरण से बालक के व्यवहार में परिष्कार होता है और वह समुदाय की सांस्कृतिक परम्परा का निर्वाह करने में अपनी शक्ति लगा देता है।
3. शिक्षा के ऊपर नियन्त्रण करके समुदाय की आवश्यकता के अनुसार शिक्षा की व्यवस्था होती है। समुदाय की आवश्यकता की पूर्ति करने वाली शिक्षा ही समुदाय को उन्नत बनाती है। समुदाय अपनी आवश्यकतानुसार शिक्षा की व्यवस्था करता है और उस पर अपनी आवश्यकता के अनुकूल नियन्त्रण भी करता है तो वह उसकी आवश्यकता की पूर्ति नहीं करता। यदि समुदाय शिक्षा पर नियन्त्रण नहीं करता तो समुदाय के नेता अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप पाठ्यक्रम तैयार करते हैं और समुदाय की भावी पीढ़ी के लिए शैक्षिक कार्यक्रम तैयार करते हैं।
4. विद्यालय पर नियन्त्रण करने हावर्थ का कहना है— “स्कूल समाज के चरित्र में परिष्कार करने का साधन है। सामाजिक विकास की दिशा में यह परिष्कार उनके आदर्श एवं विचारों पर निर्भर रहता है जो विद्यालय का संचालन करते हैं।” अतः स्पष्ट है कि समुदाय विद्यालय को अपने हाथ में लेकर ही वांछित दिशा में प्रगति कर सकता है। समुदाय का कर्त्तव्य हो जाता है कि वह विद्यालयों का संचालन करने के लिए योग्य व्यक्तियों को नियन्त्रण हेतु नियुक्त करे। इसके अभाव में विद्यालयों में अराजकता आ जाती है।
5. विद्यालय तथा समुदाय में सहयोग- विद्यालय उस समय तक प्रभावपूर्ण ढंग से कार्य नहीं कर सकते, जब तक कि समुदाय तथा विद्यालय में पारस्परिक सहयोग नहीं होता। क़ो एवं क्रो के अनुसार- “विद्यालय के उन नेताओं के साथ, जिनको नागरिकों ने शैक्षिक दायित्व सौंपे हैं, विशिष्ट रूप से उनको सहयोग दिया जाना चाहिए।”
“All the citizens of the community should co-operate intelligently with the school leaders whom they have delegated specific educational responsibilities.”
6. अनौपचारिक साधनों की व्यवस्था- बालक समुदाय के अन्दर विद्यालय से अधिक सीखता है। विद्यालय में तो वह केवल कुछ समय के लिए ही रहता है, उसका बाकी समय तो परिवार एवं समुदाय के अपने साथियों में ही व्यतीत होता है। अतः समुदाय का कर्त्तव्य हो जाता है कि वह परिवार तथा समुदाय में ऐसे केन्द्रों की स्थापना करे, जिससे समुदाय का हर बालक किसी न किसी रूप में उससे प्रभावित अवश्य हो । समुदाय पुस्तकालय, वाचनालय, विचित्रालय आदि की व्यवस्था करे, जिससे अनौपचारिक साधनों का विकास हो सके।
7. सामुदायिक शिक्षा के प्रभावक तत्व- समुदाय का शिक्षा देने में अनौपचारिक हाथ अवश्य है, परन्तु इसकी भूमिका किसी भी औपचारिक संस्था के लिए रीढ़ का काम करती है। समुदाय को शिक्षा के क्षेत्र में प्रभावित करने वाले तत्व इस प्रकार हैं
(i) सामाजिक- समुदाय समाज का लघु रूप है। समाज के प्रतिनिधि होने के कारण समुदाय विशिष्ट पद्धतियों, रीति-रिवाजों, प्रथाओं, रूढ़ियों के द्वारा प्रभावित होता है। यह प्रभाव समुदाय को अपने नियन्त्रण में रखता है। जिस प्रकार का समाज होगा उसी प्रकार की उसके समुदाय की स्थिति होगी। सामाजिक प्रभाव से ही समुदाय के विभिन्न स्वरूपों को समाज की विभिन्न प्रक्रियाएँ प्रभावित करती हैं।
(ii) सांस्कृतिक- समाज की संस्कृति भी होती है। मैकआइवर के अनुसार- “हमारी सभ्यता है, जो हम इस्तेमाल करते हैं, हमारी संस्कृति है, जो हम हैं।” (Our civilization is what we use and our culture is what we are.) अतः हमारा आचार-व्यवहार उसी से प्रभावित रहता है। सांस्कृतिक वंशक्रम से हमारा समाज भी प्रभावित होता है और समुदाय भी। अतः सांस्कृतिक तत्व भी समुदाय को प्रभावित करते हैं।
(iii) राजनीतिक-आज का युग सांस्कृतिक नहीं, राजनीतिक है। राजनीतिक प्रभाव से समुदाय भी प्रभावित होते हैं। अत: समुदाय में राजनीति ने विद्यालयों को भी प्रभावित किया है। परिणामतः समुदाय का नियन्त्रण राजनीतिक सत्ता के हाथों में आ गया है।
(iv) आर्थिक–आर्थिक कारण भी समुदाय की प्रगति का द्योतक है। अर्थाभाव के कारण समुदाय पिछड़ जाता है और इसी से बढ़ जाता है।
समुदाय, वास्तव में अपने सदस्यों की शिक्षा के लिए उत्तरदायी तो है ही, उसकी भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाती है। समुदाय स्थानीय निकायों के माध्यम से सामुदायिक सफाई, स्वास्थ्य तथा चिकित्सा की व्यवस्था कराता है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों द्वारा बालकों में मानसिक, सृजनात्मक एवं गतिशील विकास करता है। नैतिक तथा चारित्रिक विकास के लिए वह वातावरण का सृजन करता है। प्रेम, सहानुभूति, सहयोग तथा अन्य मानवीय गुणों के विकास द्वारा वह बालकों का सामाजिक विकास करता है। रीति-रिवाज, मूल्य तथा मान्यताओं के माध्यम से समुदाय, बालकों का सांस्कृतिक विकास करता है। औद्योगिक तथा रोजगार के अवसर प्रदान कर समुदाय बालकों की शैक्षिक क्षमता को विकसित करता है। आध्यात्मिक गुणों को विकसित कर सर्वधर्म समभाव की स्थिति उत्पन्न करता है। विलियम यीगर (William A. Yeager) के अनुसार-“मनुष्य स्वभाव से ही सामाजिक प्राणी है। उसने वर्षों के अनुभवों से सीख लिया है कि व्यक्तित्व और सामूहिक क्रियाओं का विकास समुदाय द्वारा ही सर्वोत्तम रूप में किया जा सकता है।”
Since man by nature is a social being he has learnt through the years that the personality as a group activities can be best developed through community.
अत: समुदाय शिक्षा अनौपचारिक साधन के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
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