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राज्य लोक सेवा आयोग | State Public Service Commission in Hindi

राज्य लोक सेवा आयोग | State Public Service Commission in Hindi
राज्य लोक सेवा आयोग | State Public Service Commission in Hindi

राज्य लोक सेवा आयोग पर विस्तृत निबन्ध लिखिए।

राज्य लोक सेवा आयोग

भारत सरकार अधिनियम, 1935 की धारा 264 के अनुसार प्रत्येक प्रान्त में लोक सेवा आयोग की स्थापना की व्यवस्था है। अप्रैल, 1937 में अधिनियम के प्रभावी हाने पर अनेक प्रान्तों में लोक-सेवा आयोग स्थापित हुए। भारत के नये संविधान के भाग के अनुच्छेद 315 से 323 में राज्य के लिए लोक सेवा आयोग की व्यवस्था है। राज्यों के लिए संयुक्त लोक-सेवा आयोग का भी प्रावधान है। उल्लेखनीय तथ्य यह है कि ब्रिटेन तथा अमेरिका में लोक-सेवा आयोग विधायिका की देन है। भारत में लोक-सेवा आयोग का आधार संवैधानिक है। इस प्रकार उनका आधार सुदृढ़ है।

राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य राज्यपाल द्वारा नियुक्त किये जाते हैं। राज्यपाल मन्त्रिमण्डल की सलाह पर यह कार्य करता है। दो या अधिक राज्यों के संयुक्त लोक- सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष या 60 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, हो सकता है। सदस्यों की सेवा शर्तें संघ लोक सेवा आयोग के समान है। एक राज्य के दूसरे राज्य में इनके वेतन में भिन्नता पायी जाती है। राज्य लोक-सेवा आयोग के व्यय राज्य की संचित निधि पर भारित है।

लोक सेवा आयोग के कार्य

राज्य लोक सेवा आयोग के निम्नलिखित कार्य हैं-

1. संघ लोक सेवा आयोग और राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा क्रमशः संघ तथा राज्य सेवाओं में नियुक्ति हेतु परीक्षाओं का आयोजन करना।

2. यदि दो या अधिक राज्य संघ लोक सेवा आयोग से किसी भी सेवा में संयुक्त भर्ती के लिए योजना बनाने या संचालित करने का आग्रह करें, जिसके लिए विशेष योग्यताएँ आवश्यक हों।

3. संसद द्वारा संघ लोक सेवा आयोग तथा राज्य विधानसभा द्वारा राज्य लोक-सेवा आयोग को सेवाओं के सम्बन्ध में सौंपे गये अन्य कार्य ।

4. परामर्श प्रदान करना –

(i) लोक-सेवाओं में भर्ती की पद्धति से सम्बन्धित प्रकरणों में,

(ii) लोक-सेवाओं में नियुक्ति, पदोन्नति, एक सेवा से दूसरी सेवा में स्थानान्तरण, उक्त नियुक्तियों, पदोन्नतियो और स्थानान्तरण के लिए उपयुक्त व्यक्तियों से सम्बन्धित सिद्धान्तों के विषय में;

(iii) राज्य शासन की सेवा में कार्यरत कर्मचारियों के अनुशासन सम्बन्धी समस्त प्रकरणों में प्रस्तुत स्मरण पत्र तथा प्रार्थना-पत्र आदि पर;

(iv) राज्य शासन में सेवारत या भूतपूर्व सेवी व्यक्ति के द्वारा अपने विरूद्ध अधिकारिक कार्यों के लिए वैधानिक प्रक्रिया पर हुए काम की क्षतिपूर्ति के दावे;

(v) शासकीय सेवा में कर्त्तव्य-निष्पादन करते हुए घायल होने के कारण पेन्शन प्रदान किये जाने विषयक दावे ।

लोक सेवा आयोग अपना कार्य सम्पन्न करने के लिए विभागाध्यक्षों, अन्य शासकीय अधिकारियों प्रत्याशियों के साक्षात्कार के लिए बाह्य विशेषज्ञों, परीक्षा संचालन के लिए परीक्षकों, निरीक्षकों और वीक्षकों आदि का सहयोग लेता है।

आयोग तथा शासन के विभिन्न विभागों के बीच सम्बन्धों में मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव समन्वय स्थापित करते हैं, लेकिन अपने दिन-प्रतिदिन के कार्यों एवं वैधानिक उत्तरदायित्व के निर्वहन में आयोग शासन के विभिन्न विभागों एवं विभागाध्यक्षों से प्रत्यक्षतः सम्पर्क करता है।

राज्य लोक सेवा आयोग अनुच्छेद 323 के अनुसार प्रति वर्ष अपने क्रियाकलापों के में के समक्ष प्रतिवेदन प्रस्तुत करता है। राज्यपाल राज्य विधानसभा के प्रत्येक सम्बन्ध राज्यपाल सदन में प्रतिवेदन व ज्ञापन इस व्याख्या के साथ प्रस्तुत करते हैं कि आयोग की अनुशंसा कतिपय प्रकरणों में, यदि कोई हो, किस कारण स्वीकार नहीं की गयी। आयोग के अतिरिक्त कार्यों, तथा नगरपालिका एवं स्थानीय निकाय आदि पर व्याख्यात्मक ज्ञापन का उपबन्ध लागू नहीं है।

प्रशिक्षण- लोक सेवा आयोग के चयनित अभ्यर्थियों का प्रशिक्षण प्रदेश सरकार अपनी सुविधानुसार भिन्न-भिन्न स्थानों पर करती है। जैसे उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक सेवा के चयनित अभ्यर्थियों का प्रशिक्षण लखनऊ में होता है। उत्तर प्रदेश में पुलिस सेवा में चयि अभ्यर्थियों का प्रशिक्षण मुरादाबाद में होता है।

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Anjali Yadav

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